बेस्ट की हड़ताल से बढ़ेंगी मुंबईकरों की मुश्किलें

मुंबई। मुंबईकरों को सोमवार शाम से परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि अलग-अलग मांगों को लेकर बेस्ट परिवहन के कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने की घोषणा कर दी है। यूनियन लीडर शंशाक राव ने स्पष्ट किया है कि प्रशासन द्वारा महाराष्ट्र एसेंशल सर्विस मैंटिनेंस ऐक्ट 2011 (मेस्मा) के तहत कार्रवाई करने पर जेल जाना मंजूर है, लेकिन मांगें नहीं मानी, तो हड़ताल तय है।

हड़ताल से पहले बेस्ट प्रशासन और यूनियन के बीच बैठक रखी गई है। प्रशासन के पास कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने से रोकने के लिए यह आखिरी मौका होगा। दूसरी ओर यूनियन लीडर शशांक राव ने बताया कि प्रशासन की ओर से बैठक केवल छलावा है। पिछले डेढ़ सालों से ग्रैच्युटी और वेतन से जुड़े विभिन्न मुद्दों को नजरअंदाज किया जा रहा है। अब जब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाएगा, तब तक हड़ताल नहीं टलेगी।

इससे पहले बेस्ट प्रशासन ने सर्क्युलर जारी कर विभिन्न विभागों को उनके अंतर्गत काम करने वाले किसी भी कर्मचारी को 7 जनवरी से छुट्टी नहीं देने का आदेश दिया है। सर्क्युलर में बताया गया है कि महाराष्ट्र सरकार ने 4 जनवरी को बेस्ट की दो सर्विस को मेस्मा के अंतर्गत शामिल किया है। इसमें इलेक्ट्रिक सप्लाइ और ट्रांसपोर्ट की सर्विस है।

यदि कोई कर्मचारी यूनियन द्वारा 7 जनवरी की रात से घोषित हड़ताल में शामिल होता है, तो उस पर मेस्मा के अंतर्गत कार्रवाई की जाएगी। 4 जनवरी को महाराष्ट्र सरकार के शहरी विकास विभाग की ओर से बेस्ट की दो सर्विस को मेस्मा के अंतर्गत लाने की जानकारी दी गई थी। वहीं, कर्मचारियों ने कहा है कि उन्हें मेस्मा से डर नहीं लगता।

कर्मचारियों के मुद्दों को सुलझाने के लिए प्रशासन द्वारा सप्ताह में दो बार मीटिंग की बात भी कही थी। इसके अंतर्गत 7 जनवरी को पहली और 8 जनवरी को दूसरी मीटिंग होनी थी। बात यहां तक बढ़ने के बावजूद पूरी तरह से मांग स्वीकार नहीं करने की बात कहकर शशांक राव की अध्यक्षता वाली यूनियन 7 जनवरी की रात से हड़ताल पर जाने की बात पर कायम है।

पिछले शुक्रवार को बेस्ट समिति की बैठक में सभी राजनीतिक पार्टी के प्रतिनिधियों ने 7 जनवरी से होने वाली हड़ताल को लेकर चिंता व्यक्त की थी। बेस्ट समिति के सदस्यों ने कर्मचारियों के मुद्दे नहीं सुलझाने पर आड़े हाथों लिया। सदस्यों का आरोप था कि प्रशासन ने यूनियन के साथ हुई बैठकों का जिक्र भी नहीं किया और न ही उनसे विचार विमर्श किया।

 


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