सनातन संस्था के सदस्य के पास से मिले देसी बम

साभार/ मुंबई। महाराष्ट्र के पालघर जिले के नालासोपारा से देर रात भारी मात्रा में विस्फोटक जब्त किया गया। इस बात का शक जताया जा रहा है कि इसमें आरडीएक्स भी हो सकता है। पुलिस ने जिसके पास से विस्फोटक जब्त किया है उसका नाम वैभव राउत है और कथित तौर पर वो विवादित सनातन संस्था से जुड़ा हुआ है। पुलिस के अनुसार, नालासोपारा पश्चिम के भंडार आली में यह विस्फोटक मिला है। पुलिस के एक अधिकारी के मुताबिक, विस्फोटक के बारे में सूचना मिलने के बाद महाराष्ट्र एटीएस और पालघर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे।

आपको बता दें कि ये पहला मौका नहीं है जब सनातन संस्था का नाम ऐसी किसी बड़ी वारदात में आया है। प्रख्यात चिंतक पनसारे और दाभोलकर की हत्या के आरोपी इस संस्था पर ऐसे कई और गंभीर आरोप भी लगे हैं।

सनातन संस्था
ये संस्था 24 मार्च 1999 को वजूद में आई थी। बताते चलें कि सनातन संस्था के संस्थापक जयंत बालाजी अठावले खुद पेशे से हिप्नोथिरेपिस्ट यानी सम्मोहन कला के विशेषज्ञ हैं। गोवा की राजधानी पणजी से करीब 28 किलोमीटर दूर एक गांव में सनातन संस्था का हेडक्वार्टर है। लंबे समय से ये संस्था लगातार विवादों में है।

सनातन संस्था पहली बार विवादों में तब आया था जब साल 2007 में एक नाटक के विरोध में मुंबई के उपनगरों में देसी बम रखने के आरोप में महाराष्ट्र एटीएस ने सनातन संस्था के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया था। इसके बाद साल 2009 में गोवा के मडगांव में दीपावली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी के मौके पर निकलने वाली नरकासुर यात्रा में एक स्कूटर बम धमाके में दो सवारों की मौत हो गई। जांच में आरोप लगा कि विस्फोटकों से लदे स्कूटर में हुए धमाके में मारे गए दोनों सवार सनातन संस्था के सदस्य थे।

पुणे के अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर की 2013 में हत्या कर दी गई। इस मामले में भी शक की सुई सनातन संस्था की ओर ही घूमी थी और इस मामले की जांच अब भी जारी है। साल 2015 की 13 जनवरी को सीपीआई नेता कामरेड गोविंद पानसरे की हत्या के मामले में गठित एसआईटी की जांच के घेरे में भी सनातन संस्था ही है। ऐसे ही विवादों की वजह से सनातन संस्था पर कई बार बैन लगाने की मांग की गई। संस्था से जुड़े चैतन्य राजहंस कहते हैं कि वो हिंदू धर्म का प्रचार करते हैं इसलिए कम्यूनिस्ट शक्तियां फंसाने का काम करती हैं।

आपको बता दें कि नरेंद्र दाभोलकर ने पुणे में अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति का गठन किया था। उनकी हत्या के बाद पूरे महाराष्ट्र में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हुए थे। जिसके बाद 2014 में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई। विशेष जांच दल (एसआईटी) ने गोविंद पनसारे हत्याकांड मामले में संतनन संस्था के सदस्य विरेन्द्र तावडे के खिलाफ कोल्हापुर की अदालत में एक पूरक आरोपपत्र (Supplementary Charge-sheet) दाखिल किया था।

आपको बता दें कि संस्था के हेडक्वार्टर में कई सौ साधक साधना करते हैं। सनातन संस्था के गोवा स्थित हेडक्वार्टर से हिंदू जनजागृति समिति का काम भी चलता है। संस्था के संस्थापक अठावले को लेकर कई चमत्कारिक दावे किए जाते हैं। भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का दावा करने वाली ये संस्था अपने ऐसे ही दावों और दूसरे विवादों की वजह से निशाने पर आ गई है। ‘हिंदू धर्म के प्रचार प्रसार’ का दावा करने वाली सनातन संस्था पर अंधविश्वास के खिलाफ मुहिम चलाने वाले श्याम मानव नाम के तर्कशास्त्री ने आरोप लगाया था कि वो लोगों को सम्मोहित करके उन्हें अपराधी बनाने का काम करती है।

संस्था पर लड़कियों को सम्मोहन जाल में फंसाने जैसे आरोपों भी लगे हैं। नासिक के विजय रोकड़े सनातन संस्था की सच्चाई सामने लाने के लिए केस लड़ रहे हैं। विजय की याचिका के आधार पर ही राज्य सरकार ने केंद्र को सनातन संस्था पर बैन लगाने का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन उस पर कार्रवाई नहीं हुई। विजय रोकड़े का आरोप है कि संस्था ने उनकी पत्नी पर सम्मोहन का इस्तेमाल किया, जिसके बाद वो घर छोड़कर चली गई। अपनी तहर का ये पहला मामला नहीं है। संस्था पर कई महिलाओं के ब्रेन वॉश करके उनके अपने लिए इस्तेमाल करने के आरोप भी लगे हैं।

ऐसे ही एक मामले में यूपी के भदोही में रहने वाले चौरसिया परिवार के घर की दोनों बेटियां प्रीति और प्रिया घर छोड़कर जा चुकी हैं। परिवार का आरोप है कि सनातन संस्था के लोग बहला फुसलाकर घर की बेटियों के साथ-साथ गहने और पैसे भी ले गए। अपनी शादी के जश्न में दिल खोलकर फरवरी 2014 में प्रीति की शादी थी। मेंहदी की रस्म थी और परिवार बेटी की शादी की खुशी में डूबा हुआ था। 30 साल की प्रीति पूरी खुशी और मर्जी से शादी कर रही थी लेकिन ये खुशी महज कुछ दिनों की मेहमान थी। शादी के महज सात महीने बाद ही प्रीति और प्रिया दोनों बहनें घर छोड़कर चली गईं।

अंधविश्वास के खिलाफ लड़ने वाले पुणे के नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड में सीबीआई ने 2016 में बड़ी गिरफ्तारी की थी। इस मामले में पुणे की सनातन संस्था से जुड़े हिंदू जनजागृति समिति के सदस्य डॉक्टर वीरेंद्र तावड़े को गिरफ्तार किया गया था। सनातन संस्था इस गिरफ्तारी को अपने खिलाफ साजिश बताया था। लेकिन जैसा की हम आपको बता चुके हैं कि इस संस्था से जुड़े कुछ सदस्यों पर पहले भी कई मामलों में सवाल उठ चुके हैं। ऐसे में हत्या के मामले में इस संस्था का नाम आने के बाद एक बार फिर ये सवाल उठे थे कि क्या सनातन संस्था पर पाबंदी लगा देनी चाहिए? कांग्रेस और महाराष्ट्र की राजनीति पार्टी एनसीपी की लंबे समय से मांग रही है कि इसे बैन कर देना चाहिए।

 


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