पारदर्शी तरीके से योजनाओं का हो क्रियान्वयन- उपायुक्त

एस.पी.सक्सेना/ देवघर (झारखंड)। भारत सरकार मात्स्यिकी पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के द्वारा प्रधानमंत्री मतस्य संपदा योजना को देवघर जिले में लागू करने को लेकर 25 अगस्त को देवघर (Deoghar) जिला उपायुक्त कमलेश्वर प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में समाहरणालय सभागार में बैठक का आयोजन किया गया। इस दौरान जिले में योजना के तहत किन किन कार्यो का निष्पादन किया जाय एवं योजना के सफल क्रियान्वयन के साथ जिले के मछुआरों के आय को दुगनी करने संबंधी विभिन्न विषयों पर विस्तृत चर्चा की गयी।

समीक्षा बैठक के क्रम में उपायुक्त सिंह द्वारा जानकारी दी गई कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना केंद्र एवं राज्य सरकार तथा लाभुकों के बीच अंशदान से संबंधित योजना है। जिसके तहत सामान्य कोटि के लाभुक (पुरुष) द्वारा कुल परियोजना लागत का 60 प्रतिशत अंशदान होगा एवं अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लाभुकों के लिए एवं सभी कोटि की महिलाओं के लिए योजना में लाभुक का अंशदान परियोजना लागत का 40 प्रतिशत होगा।

शेष राशि केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा मिलकर वहन किया जाएगा। बैठक के दौरान उपायुक्त ने ऑनलाइन आवेदन के संदर्भ में जानकारी देते हुए कहा की लाभार्थियों को प्रथम आवक-प्रथम पावक के आधार पर योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। साथ हीं प्रधानमंत्री मतस्य संपदा योजना के तहत 19 योजनाओं का चयन किया। जिसके माध्यम से जिले में रोजगार सृजन में काफी मदद मिलेगी। साथ ही मतस्य उत्पादन में भी वृद्धि होगी। इच्छुक व्यक्ति जिला मतस्य कार्यालय, देवघर में आवेदन दे सकते हैं। सभी आवेदनों पर राज्य के तकनीकी सदस्यों के द्वारा योजनाओं का चयन कर अंतिम स्वीकृति दी जाएगी।

बैठक में उपरोक्त के अलावे उपविकास आयुक्त शैलेन्द्र कुमार लाल, वरीय वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र पी.के.सनिग्रही, झारखंड रिजर्व बैंक प्रभारी कुजूर, एल.डी.एम. आर.पी.एम.सहाय, जिला योजना पदाधिकारी अजय सिंह बड़ाइक, जिला मतस्य पदाधिकारी प्रशांत कुमार दीपक, निदेशक आर्सेटी कुलानंद झा, डीडीएम नाबार्ड आनंद कुमार, मतस्य प्रसार पदाधिकारी रामेंद्र नाथ सहाय, प्रशिक्षक आर्सेटी सियाराम सिंह, प्रबंधक इओडीबीएम पीयूष कुमार आदि उपस्थित थे।

*प्रधानमंत्री मतस्य संपदा योजना के तहत 19 योजनाओं का चयन किया गया जो निम्न है-

  1. कार्प हैचरी की स्थापना,
  2. नये रियरिंग तालाब का निर्माण (नर्सरी/बीज रियरिंग तालाब),
  3. मिश्रित मत्स्य पालन अन्तर्गत पंगेशियस तथा तिलापिया के लिए नये तालाबों में इनपुट,
  4. वायोफ्लोक टैंक का निर्माण,
  5. अंगुलिकाओं का संचयन (दर 1000 प्रति हेक्टेयर),
  6. अलंकारी मछलियों की रियरिंग ईकाई,
  7. आरएएस का निर्माण (90 घन मी0x8 टैंक),
  8. RAS का निर्माण (30 घन मी 0x6 टैंक),
  9. आरएएस का निर्माण (100 घन मी0x1 टैंक),
  10. जलाशयों में केज अधिष्ठापन,
  11. आरएएफ/पेन कल्चर,
  12. कोल्ड स्टोरेज तथा आईस प्लांट का निर्माण,
  13. रेफरीजेरेटेड वाहन,
  14. फिश कियोस्क,
  15. मोटरसाइकिल + वर्फ बॉक्स,
  16. फिश फीड मील,
  17. टेंपू + वर्फ बॉक्स,
  18. नाव तथा
  19. मछली बाजार।

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