झारखंड में भूख से एक और महिला की मौत

साभार/ चतरा। झारखंड के गिरिडीह में भूख से हुई महिला की मौत की आग ठंडी भी नहीं हुई थी कि सोमवार की रात लगभग नौ बजे चतरा में भी कचरा बीनने वाली महिला की भूख से मौत हो गई। महिला की पहचान मीना मुसहर (45) के रूप में हुई है। वह बिहार के गया जिले के बाराचट्टी की मूल निवासी थी। फिलहाल, वह चतरा के इटखोरी स्थित प्रेमनगर मोहल्ले के आसपास रहती थी।

महिला के बेटे गौतम मुसहर के अनुसार, उसने और उसकी मां ने पिछले चार दिनों से कुछ नहीं खाया था। वहीं इटखोरी प्राथमिक चिकित्सा केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. डीएन ठाकुर का कहना है कि महिला की मौत कैसे हुई इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। शव के पोस्टमार्टम के बाद ही कुछ स्पष्ट हो सकेगा। उन्होंने बताया कि महिला का पुत्र उसे लेकर अस्पताल आया था, लेकिन पहले ही उसकी मौत हो चुकी थी।

इधर, लोगों ने बताया कि मृतका का पुत्र शव को अपने कंधे पर लादकर लाया था। वहीं, अस्पताल में भी अव्यवस्था का आलम यह था कि वह अपनी मां के शव को कंधे पर लादे हुए भटकता रहा। बाद में डॉक्टरों ने महिला का परीक्षण कर उसे मृत घोषित कर दिया। इस प्रकरण का वीडियो वायरल हो गया। इससे प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया।

जानकारी के अनुसार, महिला व उसका पुत्र कूड़े के ढेर से प्लास्टिक बीनकर दो जून की रोटी जुगाड़ करते थे। महिला अपने पुत्र के साथ करीब तीन महीनों से इटखोरी में रह रही थी। घटना की जानकारी होने के बाद प्रशासनिक अमला आननफानन में मामले की लीपापोती में जुट गया। कोई इसे बीमारी से हुई मौत बता रहा है तो कोई अन्य कारण गिना रहा है।

मीना के बेटे का कहना है कि बीते तीन-चार दिनों से कोई कमाई नहीं हुई थी, इसलिए दोनों भूखे थे। सोमवार की शाम उसकी मां की तबीयत अचानक बिगड़ गई, लेकिन इलाज कराने या दवा खरीदने के लिए पास में पैसे नहीं थे। इस पर विवश होकर वह उन्हें कंधे पर लादकर अस्पताल ले गया, जहां डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

इससे पहले झारखंड में गिरिडीह जिले के मंगरगड्डी गांव में 58 वर्षीय महिला सावित्री देवी की भूख से मौत हो गई। पिछले तीन दिनों से उनके घर में चूल्हा नहीं जला था। बहुएं अगल-बगल के घरों से उधार चावल लाकर अपने बच्चों का किसी तरह पेट पाल रही थीं। चार दिनों तक भूख से तड़पने के बाद शनिवार की सुबह करीब साढ़े आठ बजे जीवन से लड़ने की उनकी क्षमता खत्म हो गई और उनके प्राण निकल गए। भूख से महिला की मौत की बात रविवार की सुबह सामने आई।

बेटे के इंतजार में शव घर पर ही पड़ा था। उनके दो बेटे हैं और दोनों बाहर थे। सूचना पाकर रविवार की सुबह उनका छोटा बेटा हुलास महतो पहुंचा। दोनों भाई रोजगार के लिए कुछ दिन पूर्व ही घर से बाहर निकले हैं। अब तक वे अपने घर एक फूटी कौड़ी भी भेज नहीं पाए थे। महिला के पति द्वारिका महतो की 10 साल पहले मौत हो चुकी थी।

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