दो की अदावत में तीसरे को फायदा- विकास सिंह

एस.पी.सक्सेना/ बोकारो। परिवार, समाज हो या देश दो पक्षो की अदावत का लाभ हमेशा तीसरे पक्ष को मिलता। तीसरा पक्ष चतुर सियार की तरह कभी नहीं चाहता कि दोनों पक्ष मिल जाये और उसके कमाई व् मलाई का मजा लेने का श्रोत ही समाप्त हो जाये। आज कुछ इसी पर आधारित है झारखंड के प्रखर राजनैतिक विश्लेषक विकास सिंह व्यंगात्मक लेख :-

जब से दोनो भाई रामलाल और श्यामलाल के बीच अदावत हुई है तब से मेरी तो चाँदी कट रही है।
ऐसा है कि मेरे दादा की हथियारों की दुकान थी। जिसमें कबाड़ के रूप में बहुत से पुराने हथियार पड़े हुये थे। एक दिन मैंने एक पुरानी बँदूक उठायी और पहूँच गया रामलाल के घर। कुशल क्षेम पूछने के बाद मैं असली मकसद पर आते हुये कहा कि देख भाई रामलाल ! तू ठहरा अपना पुराना यार। जब से श्यामलाल से तुम्हारी अदावत हुई है मेरा जी तेरी खैरियत के लिये बहुत घबड़ाता है।

श्यामलाल कभी भी तुझपर हमला कर सकता है। तू अपनी सुरक्षा का इँतजाम कर। रामलाल सचमुच चिंतित हो उठा। तब मैंने धीमी आवाज में सलाह दिया कि तू मेरी बँदूक खरीद ले। श्यामलाल पास नहीं फटकेगा। रामलाल तुरत राजी हो गया और मुँह मांगी रकम पर मेरी पुरानी बँदूक खरीद लिया।

फिर मैंने एक पुरानी राईफल निकाली और पहुंच गया श्यामलाल के घर। श्यामलाल घर में हीं मिल गया। हालचाल लेन देन करने के बाद मैनें मतलब की बात कही। देख भाई श्यामलाल ! तू ठहरा मेरा बचपन का यार। रामलाल ने तुझसे अदावत करके अच्छा नहीं किया। भला सगे भाई से भी कोई दुश्मनी करता है! लेकिन तू सावधान रह। सुना है उसने तुझे मारने के लिये बँदूक खरीदी है।

अब तू भी अपनी रक्षा के लिए यह राईफल रख ले! बँदूक की मार सौ मीटर है तो राईफल की मार पाँच सौ मीटर है। राईफल लेकर तू अपनी सुरक्षा के लिए निश्चिंत हो जा। घबड़ाये श्यामलाल ने भी मुँह मांगी रकम देकर राईफल खरीद ली!

एक-एक करके मेरे सारे हथियार जो कबाड़ बन गये थे, दोनो भाईयों ने एकदूसरे से खतरे की आशँका से जमीन और घर के गहने बेच बेच कर खरीद लिये। दोनो कँगाल हो गये और मैं मालामाल!

रामलाल और श्यामलाल के बच्चों की पढ़ाई छूट गयी। बीमारी और दवा नहीं खरीद पाने से माँ बाप की मौत हो गई। दोनों की बेटियों की अर्थाभाव में शादी भी नहीं हो रही। दोनो की पत्नियां दूसरों के घरों में नौकरानी का काम करके घर का खर्च चला रही हैं, लेकिन रामलाल और श्यामलाल मूँछों पर ताव देकर एकदूसरे को बर्बाद कर देने का ‘ आल्हा ‘ गाते रहते हैं। समय समय पर मैं दोनों को एकदूसरे से खतरे की चेतावनी देकर सावधान करते रहता हूँ !! बाकी आप खुद समझदार हैं।

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