बजट : 5 लाख से ज्यादा वालों को टैक्स में छूट नहीं

साभार/ नई दिल्ली। मोदी सरकार ने आयकर छूट की सीमा ढाई लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया है। लोकसभा चुनाव से पहले सवर्ण आरक्षण के बाद यह मोदी सरकार का दूसरा सबसे बड़ा दांव है। पिछले 5 साल से देश की जनता को टैक्स के मोर्चे पर सरकार से रियायत की उम्मीद थी, और सरकार ने भी उन्हें नाउम्मीद नहीं की।

दरअसल नए ऐलान के अनुसार नौकरी-पेशा लोगों को 5 लाख रुपये तक की कमाई पर अब कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा। अब तक ढाई लाख से 5 तक लाख रुपये तक की कमाई पर 5 फीसदी आयकर टैक्स देना पड़ता था, जिसे अब खत्म कर दिया गया है। यानी जिनकी आमदनी 5 लाख रुपये से ज्यादा है, उन्हें पुराने टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स देना ही पड़ेगा।

नए ऐलान से पहले 5 लाख रुपये तक की आदमनी पर 5 फीसद आयकर देना पड़ता था। अगर किसी की कमाई ढाई लाख रुपये से ज्यादा थी, तो उसे साढ़े 12 हजार रुपये तक टैक्स चुकाना पड़ता था। यानी अब कम से कम ढाई लाख से 5 लाख रुपये तक आमदनी वालों को सालाना साढ़े 12 हजार रुपये की बचत होनी वाली है।

पीयूष गोयल ने कहा कि कि इस टैक्स छूट का लाभ 3 करोड़ मध्यवर्गीय करदाताओं को मिलेगा। नए स्लैब के मुताबिक 5 लाख रुपये तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। जबकि 5 लाख से 10 लाख रुपये तक की कमाई पर 20 फीसदी आयकर टैक्स लगेगा। जबकि 10 लाख से अधिक आमदनी वालों को 30 फीसदी कर वसूला जाएगा। यानी सरकार ने केवल 5 फीसदी वाले टैक्स स्लैब को खत्म कर दिया है।

इसके अलावा पिछले बजट में लाए गए स्टैंटर्ड डिडक्शन की सीमा भी मोदी सरकार ने 40 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दी गई। यही नहीं, 40000 रुपये तक की ब्याज आय पर अब कोई टीडीएस नहीं देना होगा। पीयूष गोयल ने अपने बजट भाषण में बताया कि अगर 6.5 लाख रुपये तक की कमाई करने वाले प्रोविडेंट फंड और अन्य इक्विटीज में निवेश करते हैं तो कोई टैक्स नहीं देना होगा।

इसके अलाव पीयूष गोयल ने बजट भाषण में कहा, ‘टैक्स भरने वालों की संख्या 80 फीसदी तक बढ़ी है। जिससे टैक्स कलेक्शन बढ़कर 12 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। हमने टैक्स फाइलिंग को प्रक्रिया को आसान बनाया है, 24 घंटे में आयकर रिटर्न प्रोसेसिंग की सुविधा दी जा रही है, जिसमें पहले महीनों लग जाते थे। टैक्स मूल्यांकन के लिए अब दफ्तर नहीं जाना पड़ेगा।’

गौरतलब है कि इससे पहले इनकम टैक्स में आयकर छूट का दायरा ढाई लाख रुपये तक था, जिसे अब बढ़ा दिया गया है। इस ऐलान से पहले टैक्स स्लैब में 2.5 लाख रुपये तक सालाना कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता था। जबकि 2.5 से 5 लाख रुपये की आय पर 5 फीसद की दर से टैक्स लगता था, इसे खत्म कर दिया गया है। वहीं 5-10 लाख रुपये की सालाना आय पर 20 फीसदी और 10 लाख रुपये से अधिक की सालाना आय पर 30 फीसदी टैक्स लगता था और अब भी वसूला जाएगा।

पीयूष गोयल ने बताया कि नोटबंदी के बाद 1 करोड़ लोगों ने पहली बार टैक्स फाइल किया। नोटबंदी के 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये का टैक्स मिला है। आखिरी में पीयूष गोयल ने कहा कि यह सिर्फ अंतरिम बजट नहीं, देश के विकास यात्रा का माध्यम है, ये जो देश बदल रहा है इसका श्रेय देशवासियों को जाता है।

 


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