हादसों को रोकने में नाकाम रेल प्रशासन

5 साल में 586 हादसे

नई दिल्ली। उत्कल एक्सप्रेस रेल हादसा सहित पिछले पांच साल में देश में 586 हादसों ने यात्रियों में दहशत फैला दी है। 586 रेल हादसों में से करीब 53 प्रतिशत घटनाएं ट्रेन के पटरी से उतरने के कारण हुर्ईं। सुरक्षा ढांचे को बेहतर बनाने का दावा करने वाली रेल प्रशासन के प्रयासों के बावजूद ऐसी घटनाओं के कारण हादसों का ग्राफ बढ़ता ही जा रही है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर के पास शनिवार शाम उत्कल एक्सप्रेस के 14 डिब्बे पटरी से उतर गए, जिसमें 20 से अधिक यात्रियों की मौत हो गई और करीब 156 हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच साल में 586 रेल हादसे हुए हैं और इनमें से 56 प्रतिशत घटनाओं का कारण ट्रेन का पटरी से उतरना रहा है। नवंबर 2014 से अभी तक 20 रेल हादसे हुए इनमें छोटी मोटी घटनाएं भी शामिल हैं।

लेकिन सबसे भयंकर हादसा 20 नवंबर 2016 को इंदौर-पटना एक्सप्रेस के कानपुर के पास पटरी से उतरने की थी, जिसमें 150 लोग मारे गए और 150 से अधिक लोग घायल हुए। ट्रेन कानपुर की बाहरी सीमा स्थित पुखरायां स्टेशन से थोड़ी दूर जाते ही पटरी से उतर गई थी। ट्रेन में क्षमता से अधिक लोगों के भरे होने और रेल लाइन में दरार होने सहित हादसों के लिए कई चीजों को जिम्मेदार ठहराया गया।

वहीं बारह सितंबर 2015 को छोटी लाइन पर चलने वाली ट्रेन शिवालिक क्वीन पटरी से उतर गई थी। यह कालका से शिमला के बीच चलती है। ट्रेन में 36 ब्रिटिश पर्यटक और एक पर्यटक गाइड सवार थे। हादसे में दो पर्यटकों की मौत हो गई थी और अन्य 15 लोग घायल हो हुए थे। इसके बाद सिकंदराबाद जंक्शन-मुंबई लोकमान्य तिलक टर्मिनस दुरंतो एक्सप्रेस के नौ डिब्बे कनार्टक के कलबुगीर में 12 सितंबर 2015 को पटरी से उतर गए थे। हादसे में दो लोगों की मौत हो गई थी और सात अन्य लोग घायल हो गए थे।

फिर मध्य प्रदेश में 4 अगस्त 2015 को हुई दोहरी रेल दुर्टना में 31 लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक लोग घायल हो गए। कामायनी एक्सप्रेस और जनता एक्सप्रेस दोनों ही पटरी से उतर गई थीं। इसके बाद राउरकेला-जम्मू तवी मूरी एक्सप्रेस 25 मई 2015 को उत्तर प्रदेश के कौशांबी में पटरी से उतर गई थी। हादसे में पांच लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक लोग घायल हुए।

देहरादून-वाराणसी जनता एक्सप्रेस 20 मार्च 2015 को रायबरेली जिले में पटरी से उतर गई थी, जिसमें 58 लोगों की मौत हुई थी और 150 से अधिक लोग घायल हुए थे। 13 फरवरी 2015 को बेंगलूरु की बाहरी सीमा पर बैंगलूरु-एनार्वुत्र्लम इंटरसिटी एक्सप्रेस के नौ डिब्बों के पटरी से उतरने से 10 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 150 अन्य घायल हो गए थे।

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