परीक्षा के तनाव से बच्चों को ऐसे दिलाएं राहत

मुंबई। आज से दसवीं की बोर्ड परीक्षा (10th Board exam) की शुरू होने वाली है। वर्ष 2018-19 में नये पाठ्यक्रमों के साथ होने वाली परीक्षा के कारण परीक्षार्थी छात्रों में मानसिक दबाव देखा जा रहा है। 2 मार्च से होने वाली इस परीक्षा के दौरान अभिभावक अपने बच्चों को ऐसे राहत दिला सकते हैं।

माता-पिता चाहें तो बच्चे की परीक्षा का स्ट्रेस दूर करने में बहुत मददगार साबित हो सकते हैं। इससे न सिर्फ बच्चा मानसिक व शारीरिक तौर पर स्वस्थ रहता है, बल्कि उनके परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन कि संभावनाएं बढ़ जाती है। इस दौरान अभिभावक की भूमिका बहुत अहम होती है। इस तनाव को अलग-अलग तरीकों से कम किया जा सकता है। परीक्षा के लिए सही तैयारी करनी चाहिए और यह तय करना चाहिए कि बच्चों ने जितनी भी तैयारी की है, उसे सराहना चाहिए।

वातावरण को शांत बनाये रखें

परीक्षा के समय में या इससे पहले अपने घर को किसी कर्फ्यू क्षेत्र में तब्दील न करें। अपने बच्चे को शांत वातावरण में पढ़ने की अनुमति दें, ताकि उसका ध्यान, आपको यह दिखाने में न रहे कि मैं पढ़ रहा हूं। इससे ज्यादा अच्छा यह होगा कि उसे थोड़ी आजादी दें ताकि उसका ध्यान पढ़ाई में लगा रहे। उसे मौका दें कि वो खुद परीक्षा की गंभीरता को समझे, और सही तैयारी कर पाए। इतना ही नहीं बच्चे को अल्पविराम भी लेने दें। जैसा कि अक्सर बच्चे पर खुद ही परीक्षा का बहुत ज्यादा तनाव और दबाव होता है। बच्चे को चौबीसों घंटे स्टडी रूम में न घुसे रहने दें।

उसके लिये अल्पविराम की अवधि तय करें और उस दौरान तनाव से मुक्ति में उसकी मदद करें, उनके भोजन को थोड़े रंग मिलाएं: मतलब खाने में रंग मिला देने से नहीं है। बल्कि उनके आहार में से जंक फूड को बाहर कर अच्छी तरह से संतुलित और पौष्ठिक आहार शामिल करें। उनके खाने में ऐसे फल और खाद्य शामिल करें एकाग्रता को बेहतर बनाने में सहायता करें और बच्चे की स्मृरण शक्ति बढ़े। सकारात्मक सोच रखें!

अगर माता-पिता की सोच सकारात्मक है तो बच्चे स्वाभाविक रूप से गुणवत्ता को आत्मसात करते हैं। इसलिए, प्रिय माता-पिता अगर आप अपने बच्चे के साथ बैठे हैं और पढ़ाई में उसकी मदद कर रहे हैं तो अपने बच्चे के साथ सकारात्मक विचारों का आदान-प्रदान भी करें। आपके लिए अपने बच्चे की शैक्षणिक क्षमता को समझते हुए उसका भविष्य तय करने की जरूरत होती है। बच्चे पर ज्यादा नंबर लाने का दबाव बनाना उसके आत्मविश्वास को ठेस पहुंचाने जैसा है। इसलिए सकारात्मक रहें और उसको बेस्ट तैयारी करने में मदद करें।

बच्चे पर दवाव न डालें!

साल के इस तनाव वाले समय में बच्चों को माता-पिता से ज्यादा एक दोस्त की जरूरत होती है। जब आप उसकी जगह खुद को रखेंगे तो पाएंगे कि वास्तव में उस पर परीक्षा का क्या तनाव है और उसकी क्षमता और दृष्ठिकोण क्या है। बच्चे की पढ़ाई की क्षमता को समझना बहुत आवश्यक है। बच्चों को आवश्यक अंक के लिये दबाव डालना ठीक नहीं है। अपने बच्चे पर उसकी क्षमता से अधिक अंक लाने के लिये दबाव डालने से उसके आत्मविश्वास को समाप्त कर देगा। अभिभावकों के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि वे यह सुनिश्चित करें कि बच्चे सफलता और विफलता को सहज रूप से स्वीकार करने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहें।

पेपर में हुए इन स्टूडेंट फ्रेंडली बदलावों से छात्रों को के लिए खासा आसानी होगी। इस बार छात्रों को ज्यादा व्यवस्थित प्रश्नपत्र मिलेगा। हर पेपर में कई सब सेक्शंस में बंटे होंगे। उदाहरण के लिए, सारे ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न एक ही सेक्शन में होंगे। विकल्प भी बढ़ाए गए हैं। एक अधिकारी ने बताया, हर बार लगभग 10 प्रतिशत प्रश्न ऑब्जेक्टिव टाइप होते हैं। इस साल 25 फीसदी प्रश्न ऑब्जेक्टिव टाइप होंगे इसके बाद अधिक अंकों वाले सवाल एक साथ होंगे। परीक्षा के दौरान परीक्षा हॉल में आपके सामने सबसे बड़ी चुनौती होती है खुद को शांत रखना। आपको कूल-कॉंफिडेंट रखते हुए कई सवालों के जवाब एक तय वक़्त मे देने होते है। लिहाजा शुरू से लेकर अंत तक आपको आत्मविश्वास से युक्त रखना है। परीक्षा हॉल में कई छात्र-छात्राएं अच्छी तैयारी होने के बावजूद संयम खो बैठते हैं और उनका पेपर खराब हो जाता है। इसलिए सबसे जरूरी है खुद पर भरोसा रखना। आप जितना खुद पर विश्वास रखेंगे उतना ही आप पेपर में अच्छा करेंगे।

प्रश्न पत्र को ध्यान से पढ़ें

परीक्षा शुरू होने के शुरुआती 15 मिनट का उपयोग करते वक़्त आपको सावधान रहना चाहिए। कठिन सवालों से घबराएं नहीं, आसान सवालों को पहले हल करें। घड़ी पर भी नजर बनाएं रखें सभी छात्रों को स्कूल यूनिफॉर्म में ही प्रवेश दिया जाएगा। इस बार प्रवेश पत्र पर छात्र और प्रधानाचार्य के साथ ही अभिभावकों के हस्ताक्षर भी जरूरी होंगे। ऐसा नहीं होने पर छात्रों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। परीक्षा के दौरान छात्र अपने साथ केवल कलम, प्रवेश पत्र और पारदर्शी बैग ही लेकर जा सकेंगे।

सुप्रिया मोरे55

मानसशास्त्र व समुपदेशक (चेंबूर)

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