नीतीश सरकार ने महामारी के बीच स्वास्थ्य प्रमुख को हटाया

संतोष झा/ मुजफ्फरपुर (बिहार)। ज्यादा दिन नहीं हुए जब केंद्र सरकार ने सेवानिवृत हो रहे अपने स्वास्थ्य सचिव का कार्यकाल इस कारण से बढ़ा दिया कि देश कोरोना संकट से जूझ रहा है। अगर स्वास्थ्य सचिव रिटायर हो गये तो नये सिरे से काम करने वाले के लिए बडी मुसीबत होगी। लेकिन बिहार में जब कोरोना (Coronavirus) का संकट भीषण रूप लेता जा रहा है तब राज्य सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार को हटा दिया है। सरकार द्वारा अचानक लिये गये फैसले में संजय कुमार को स्वास्थ्य विभाग से हटाकर फिलहाल मृत पड़े पर्यटन विभाग में भेज दिया गया। महामारी के बीच स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव का तबादला सामान्य बात नहीं है और सरकार के भीतर ये चर्चा आम है कि संजय कुमार बहुत दिनों से राजा की आंखों में खटक रहे थे। जानिये क्या है वे कारण जिसके कारण सरकार ने ये फैसला लिया है।

बिहार के सचिवालय में हर कर्मचारी-अधिकारी जानता है कि सरकार को अधिकारियों की एक खास लॉबी चला रही है। कहा यह भी जाता है कि अधिकारियों की इस लॉबी के हेड के सामने पूरी राजसत्ता नतमस्तक रहती है। बिहार में ट्रांसफर-पोस्टिंग से लेकर ठेका-पट्टे के सारे बड़े काम इसी लॉबी के रास्ते अंजाम तक पहुंचते हैं।लेकिन स्वास्थ्य महकमे में इस लॉबी की चल नहीं रही थी। लिहाजा लगातार ये कोशिशें हो रही थी कि महकमे का कंट्रोल ऐसे हाथों में सौंपा जाये जिससे अपने मनमाफिक काम कराया जा सके।

बिहार (Bihar) के स्वास्थ्य विभाग में मंत्री और प्रधान सचिव के बीच टकराव की खबरें आम थी। यहां तक की सोशल मीडिया पर भी दोनों के बीच तालमेल न होने की बात आम हो गया था। कोरोना को लेकर मंत्री और प्रधान सचिव के ट्वीट में अक्सर कोई तालमेल ही नहीं दिख रहा था। स्वास्थ्य विभाग में होने वाली चर्चाओं के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्री और प्रधान सचिव के बीच टकराव की खबरें लगातार आम हो रही थीं। लिहाजा सरकार में शामिल बीजेपी की ओर से भी स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को हटाने का दवाब था।

हालांकि जानकार बताते हैं कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के शासनकाल में मंत्रियों की नाराजगी से अधिकारियों का कुछ नहीं बिगड़ा है। ऐसे में अगर महामारी के दौर में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव हटाये गये हैं तो बात साफ है। फैसला सत्ताशीर्ष से हुआ है। राजा और राजा के रणनीतिकारों ने फैसला लिया है। दुर्भाग्यपूर्ण बात ये है कि कोरोना संकट के दौर में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव का तबादला महामारी के खिलाफ मुहिम पर बड़ा असर डाल सकता है। लेकिन सरकार को इसकी फिक्र हो ये जरूरी तो नहीं।

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