लोक कल्याणकारी ब्रह्मर्षि महंत दर्शन दास का व्यक्तित्व और समाज को उनका अमर योगदान

गंगोत्री प्रसाद सिंह/ वैशाली (बिहार)। मुजफ्फरपुर जिले के महन्थ मनियारी ग्राम में एक ब्रह्मर्षि परिवार में वर्ष 1896 के वैसाख माह में लोक कल्याणकारी संत ब्रह्मर्षि महंत दर्शन दास का जन्म हुआ था। ग्राम मनियारी मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) शहर से 12 किमी दक्षिण में स्थित है। जहाँ उदासी सम्प्रदाय का बहुत पुराना मठ और मन्दिर रहता आया है। जिसके प्रवर्तक श्रीचंद जी महाराज गुरुनानक के पुत्र थे और इस मठ का संचालन दर्शन दास जी के पूर्वज करते आये हैं। सन 1910 में दर्शन दास उक्त मठ की गद्दी पर आसीन हुये।

तब मनियारी मठ के अधीन 6 मठ मन्दिर थे। महन्थ बनने के बाद दर्शन दास जी मठों की सम्पति की देखभाल की व्यवस्था सही तरह से करने लगे और पूरा समय मठों और मन्दिर को देने लगे। दर्शन दास धर्मपरायण के साथ ही मानव प्रेमी भी थे। मठ की आय को सामाजिक कार्य मे खर्च करने लगे। उन्होंने पुराने मन्दिरों का जीर्णोद्धार कराया। तथापि वैशाली जिले के प्रतापटांड़ और दरभंगा राज किला के शुभंकरपुर में भव्य शिव मंदिर की स्थापना करवाई। गांव के एक किनारे जहाँ श्मशान स्थल है वहाँ भी एक शिव मंदिर की स्थापना किया।

दर्शन दास जी को भारतीय सनातन संस्कृति से अगाध प्रेम था। उन्होंने सर्वपथम एक संस्कृत पाठशाला खोला जिसमें छात्रों को रहने और खाने की व्यवस्था मठ से किया जाने लगा। यह संस्कृत पाठशाला ही आज दर्शन संस्कृत महाविद्यालय के नाम से जाना जाता है जहाँ संस्कृत भाषा के साथ अन्य शास्त्रों का ज्ञान कराया जाता है। यह महाविद्यालय दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय से सम्बद्ध है।

वर्ष 1919 में महात्मा गांधी चंपारण जाते समय मुजफ्फरपुर में रुके थे और ग्राम सुधार का नारा दिया था। तब मनियारी या आसपास के रहिवासियों को कोई चिकित्सा की सुविधा नही थी। तब महंत दर्शन दास ने अपने मठ की जमीन में ही जनता के लिये एक आयुर्वेदिक औषधालय खोला। जिसमे गरीबो के लिये निशुल्क दवा और चिकित्सा की व्यवस्था थी। गांव के आस पास के क्षेत्रो में कई एक तालाब और कुएं खुदवाए। गांव में एक प्राइमरी स्कूल खुलवाया जिसका सारा खर्च मठ की आमदनी से दिया जाता था।

मठ के पास कई एक गांव में जमीन थी। मुजफ्फरपुर शहर के पास भी बहुत जमीन थी और इन सबो की देखभाल के लिये मुजफ्फरपुर में एक मठ का कोठी भी था जिसमें महंत जी खुद भी आते जाते थे और कारिंदा ओर मुंशी भी रहते थे।

1920 में देश की स्वतंत्रता के लिये आंदोलन शुरू हो चुका था लेकिन दर्शन दास जी न तो कांग्रेस पार्टी से जुड़े न किसी अन्य दल से लेकिन आंदोलन के लिये चन्दा कांग्रेसियों ओर क्रांतिकारियों को देते रहे। मठ की आमदनी को समाज सेवा में लगाते आये। जनता के आग्रह पर दर्शन दास जी ने मुजफ्फरपुर पूर्वी क्षेत्र से सन 1924 में बिहार विधान परिषद का चुनाव लड़ा ओर चुनाव में जीत कर विधान परिषद के सदस्य बनकर तीन वर्षो तक परिषद के सदस्य रहे।

इसी दौरान इनका सम्पर्क बिहार के मंत्री सर गणेशदत्त सिंह, कांग्रेस नेता बाबू रामदयालु सिंह, श्रीकृष्ण सिंह के साथ हुयी। ये लोग जब भी मुजफ्फरपुर आते दर्शन दास जी के मुजफ्फरपुर कोठी पर या मठ पर रुकते। कालांतर में महंत दर्शन दास जी की रामदयालु बाबू से काफी घनिष्ठता हो गई। रामदयालु बाबू मुजफ्फरपुर में रहने पर महंत जी के पास रुकते। इन राजनेताओं के सम्पर्क के बाबजूद दर्शन दास जी खुलकर कांग्रेस की किसी सभा मे नही गए और न कभी दल में।

दर्शन दास जी पर सर गणेश दत्त का ज्यादा प्रभाव पड़ा और दर्शन दास जी अपना ज्यादा समय समाज सेवा और शिक्षा पर देने लगे। सन 1932 में दर्शन दास जी ने स्त्री शिक्षा के लिये गांव में कन्या पाठशाला की स्थापना की। 1932 में ही मनियारी गांव में 32 बेड का अंग्रेजी अस्पताल खुलवाया जिसमें डॉक्टर, नर्स, कम्पाउंडर, दाई, चपरासी की व्यवस्था की ओर अस्पताल जनता को मुफ्त चिकित्सा करने लगी। इस अस्पताल का सारा खर्च मठ की आमदनी से ही होता था।

तब इस अस्पताल का उद्घाटन श्रीकृष्ण सिंह ने किया था। दर्शन दास ने मवेशी के इलाज के लिये भी एक अस्पताल खुलवाया जो आगे चलकर सरकार द्वारा अधिग्रहित किया गया। सन 1940 में गांव में जो प्राइमरी स्कूल खोले गए थे उसको हाई स्कुल मे बदल दिया गया तथा छात्रों के लिये हास्टल की भी व्यवस्था किया। 1941 में दर्शन दास मुजफ्फरपुर जिला परिषद के उपाध्यक्ष बने।

जिप उपाध्यक्ष के रूप में पूरे पुराने मुजफ्फरपुर जिले के कई एक गावों में प्राइमरी और मध्य विद्यालय खुलवाया। जिले में कई सड़कों का निर्माण ओर नदी पर बांधो का निर्माण करवाए। उनके कार्यो की धमक पूरे मुजफ्फरपुर में गूँजने लगी। मुजफ्फरपुर में लड़कों के लिये लँगट सिंह कॉलेज था लेकिन लड़कियों के लिये कोई कॉलेज नही था। जिस वजह से 1946 में मुजफ्फरपुर के बुद्धजीवियों ने दर्शन दास से लड़कियों के लिये कॉलेज खोलने की गुजारिश की।

जिसके लिये दर्शन दास तैयार हो गये और अपने मित्र रामदयालु सिंह, डॉ भादुड़ी, रायबहादुर नारायण महथा, सर चन्देश्वर नारायण सिंह, राय बहादुर उमाशंकर प्रसाद के सहयोग से मुजफ्फरपुर में 15 अगस्त 1946 को महिला महाविद्यालय की स्थापना चैपमैन गर्ल्स हाई स्कूल में की गई और दर्शन दास जी ने पटना विश्वविद्यालय से सम्बद्धता के लिये। यहां महंत जी ने एक लाख का चेक दे दिया।

दर्शन दास के अथक प्रयास से 4 वर्ष के अंदर ही कालेज के लिये 4 एकड़ जमीन में अपना भवन तैयार हो गया। महाविद्यालय के भवन निर्माण से लेकर कालेज के सभी व्यवस्था पर खर्च दर्शन दास ने अपने पास से किया।लड़कियों को कालेज आने जाने के लिये बस की व्यवस्था की। इन सब कार्यो के लिये महन्तजी ने सैकड़ो बीघा जमीन बेच दी। इस महिला मबिद्यालय का नाम उनके नाम पर एमडीडीएम कॉलेज रखा गया और आज महंत दर्शन दास महिला कॉलेज का स्थान बिहार में ऊंचा है।

देश की आजादी के बाद सन 1952 के प्रथम आम चुनाव में डॉ श्रीकृष्ण सिंह और बाबू रामदयालु सिंह ने दर्शन दास जी से विधान सभा या लोकसभा चुनाव कांग्रेस की टिकट पर लड़ने का आग्रह किया। लेकिन दर्शन दास चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। कांग्रेस के महेस प्रसाद सिंह, ललितेश्वर शाही ने महन्तजी से लॉ कॉलेज खोलने की इच्छा जताई।

महंत जी ने श्रीकृष्ण जुबली ला कॉलेज को 1 लाख रुपये का चन्दा दिया। मुजफ्फरपुर में लड़कों के लिये दूसरा कॉलेज खोलने के लिये महेश प्रसाद सिंह, भुनेश्वर चौधरी, एल पी शाही ने महंत जी को मनाया जिसके लिए महंत जी तैयार हो गए और इस कॉलेज के लिये महंत जी ने दिल खोलकर रुपया दिया लेकिन कॉलेज का नाम अपने मित्र रामदयालु सिंह के नाम पर रखा। आज जो मुजफ्फरपुर का रामदयालु सिंह महाविद्यालय है वस्तुतः महंत दर्शन दास जी द्वारा ही स्थापित है।

दर्शन दास जी ने मनियारी गांव को सभी सुविधाओं से सम्पन्न बनाया। गांव में डाक खाना भी खुलवाया। एक पंचायत भवन भी बनवाया। गांव की किसी समस्या का हल पंचायती से किया जाता था। महंत जी का निर्णय निष्पक्ष होता था जिसे सभी मानते थे। महंत जी चाहते थे कि उनके जाने के बाद भी अस्पताल और विद्यालय का काम चलता रहे जिस वजह से दर्शन दास जी ने 25फरबरी 1946 को 2 लाख 10 हजार रुपये बिहार सरकार के पास स्थाई जमा कर दिया। जिसके ब्याज से मनियारी गांव के मेधावी छात्र और अस्पताल का व्यय वहन होता है।

महंत दर्शन दास आजीवन बिहार विश्वविद्यालय के सीनेट के सदस्य रहे। महा मानव दर्शन दास जी 15 फरवरी 1961 को इस दुनिया से अपनी अमर कृतियों को छोड़ कर चले गये। महंत दर्शन दास के स्वर्गारोहण के बाद उनके छोटे भाई विशम्भर कुमार दास मनियारी मठ में महंत और न्यासी बने। विशम्भर कुमार दास पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता रहे है तथा इनकी पत्नी रत्ना शर्मा मगध महिला कॉलेज में हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष रही है।
(स्वयं लेखक गंगोत्री प्रसाद सिंह अधिवक्ता वैशाली जिला न्यायालय हाजीपुर 1980 तक की पढ़ाई के दौरान मुजफ्फरपुर में रहे हैं।)

 784 total views,  1 views today

You May Also Like