बिहार के पूर्व सीएम ने छोड़ा NDA का साथ

पटना। बिहार की राजनीति में बुधवार को बड़ा उलटफेर हुआ। एनडीए से नाराज चल रहे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिन्‍दुस्‍तानी आवाम मोर्चा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जीतनराम मांझी से राजद अध्‍यक्ष लालू प्रसाद यादव के पुत्र व नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव एवं तेजप्रताप यादव ने मुलाकात की। इसके बाद मांझी ने महागठबंधन में शामिल होने का एलान कर दिया। मांझी ने बताया कि इसकी औपचारिक घोषणा रात आठ बजे की जायेगी। हालांकि, कई भाजपा नेताओं ने कहा कि मांझी को मना लिया जाएगा।

बुधवार की सुबह तेजस्‍वी यादव और तेजप्रताप यादव राजद नेता भोला यादव के साथ जीतनराम मांझी से मिलने उनके आवास पर पहुंचे। वहां करीब एक घंटे की बैठक के बाद जीतनराम मांझी ने यह घोषणा कर दी कि वे राजद से अलग हो रहे हैं और महागठबंधन में जायेंगे।  इस मुलाकात के बाद तेजस्‍वी यादव ने कहा कि जीतनराम मांझी बिहार के बड़े नेता हैं। वे दलितों-पिछड़ों के नेता हैं। उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री रहते हुए काफी सराहनीय काम किया है। मांझी लगातार दलितों और पिछड़ों की अावाज उठाते रहे हैं।

तेजस्‍वी ने कहा कि मांझी उनके लिए पिता तुल्‍य व अभिभावक हैं। अब वे साथ आ गए हैं। महागठबंधन में उन्‍हें हमेशा सम्‍मान मिलेगा। एनडीए में सहयोगी दलों का सम्‍मान नहीं किया जाता है। जब देश में ही इमरजेंसी लागू है तो ऐसे में समझा जा सकता है कि गठबंधन में क्‍या हाल होगा।

बिहार कांग्रेस के कार्यकारी अध्‍यक्ष कौकब कादरी के महागठबंधन में शामिल होने के फैसले का स्‍वागत किया है। कहा कि मांझी जी ने देर से लेकिन दुरूस्त फैसला लिया है। वे महागठबंधन विचारधारा के हैं। एनडीए गठबंधन ने सिर्फ मांझी का दोहन किया है। आने वाले समय में रालोसपा भी महागठबंधन में शामिल होगा। सूत्रों के अनुसार, मांझी और तेजस्‍वी के बीच बंद कमरे में हुई बैठक के दौरान हम पार्टी को विधान परिषद चुनाव में दो सीटें देने की बात कही गई है। मांझी ने एक सीट प्रदेश अध्‍यक्ष वृषिण पटेल तथा दूसरा सीट अपने बेटे संतोष मांझी के लिए मांगी है।

जीतनराम मांझी के महागठबंधन में जाने की घोषणा के बावजूद इसके औपचारिक एलान में अभी देर है। सूबेक के पथनिर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव ने कहा कि मांझी को मना लिया जाएगा। कुद अन्‍य भाजपा नेताओं ने कहा कि वे मांझी के संपर्क में हैं। इसके पहले मांझी ने कहा था कि जो पार्टी उनके नेता का राज्यसभा में समर्थन करेगी, उसके साथ आगे की राजनीति का विकल्प खुला हुआ है। बच्चा जब तक रोता नहीं है, तब तक मां उसे दूध नहीं पिलाती है। कुछ ऐसी ही स्थिति राजग में उनकी पार्टी की हो गई है। उन्‍होंने कहा था कि राजग में किसी भी मुद्दे पर उनकी राय नहीं ली जाती है। राजग के कार्यक्रमों में उन्‍हें निमंत्रण तक नहीं दिया जाता है। मगर, हमारी भी सहनशक्ति की हद है।

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