बिहार के आठ जिलों में बाढ़ का कहर

साभार/ पटना। नेपाल (Nepal) में भारी बारिश के कारण उत्तर बिहार की सभी नदियां लगातार उफान पर हैं। नदियों के बढ़ रहे जल स्तर का प्रभाव अब तटबंधों पर दिखने लगा है। मधुबनी, पूर्वी चंपारण और सीतामढ़ी में शनिवार की देर रात से रविवार तक छह तटबंध टूट गये। मोतिहारी में तिलावे नदी का तटबंध फुलवार और रोहिनिया गांव के बीच टूट गया। सीतामढ़ी के पुपरी में मरहा नदी का बिररवा तटबंध टूट गया।

मधुबनी में सबसे अधिक चार तटबंध टूटे। जिले में शनिवार की देर रात से रविवार के दिन तक कमला नदी का तीन, भूतही बलान का एक और धौंस का एक तटबंध टूट गया, जिससे झंझारपुर, अंधराठाढ़ी, खुटौना, फुलपरास, घोघरडीहा, मधेपुर, हरलाखी, बासोपट्टी सहित 111 गांव बुरी तरह पीड़ित हो गये हैं। सबसे खराब स्थिति नरूआर व गोपलखा की बतायी जा रही है। स्थानीय लोगों के अनुसार तटबंध टूटने से नरूआर गांव व गोपलखा के करीब दो दर्जन पक्का मकानों सहित 50 से अधिक घर पानी में विलीन हो गये हैं। नरूआर गांव के लोगों ने बताया कि कुछ परिवार लापता हैं।

हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है। उधर कोसी बराज से पानी छोड़े जाने के बाद सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, अररिया, किशनगंज, कटिहार व पूर्णिया के नये इलाकों में बाढ़ का पानी घुस गया है। सबसे ज्यादा क्षति अररिया व किशनगंज में हुई है. बाढ़ से अब तक 46 लोगों की मौत हो चुकी है। कई लोग लापता बताये जा रहे हैं।

बाढ़ग्रस्त आठ जिलों शिवहर, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, अररिया, किशनगंज, सुपौल व दरभंगा के पदाधिकारियों की छुट्टी रद्द कर दी गयी है। वहीं, बाढ़ से क्षतिग्रस्त ग्रामीण सड़कों को लेकर ग्रामीण कार्य विभाग ने निर्देश दिया है कि बिना अनुमति के अभियंता मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे। मुख्यालय छोड़ने के पहले कार्यपालक अभियंता को विभाग के सचिव या अभियंता प्रमुख से निर्देश लेना होगा। आठ जिलों के 44 प्रखंड और 287 पंचायतों में 12 लाख 25 हजार 535 से अधिक लोग बाढ़ का कहर झेल रहे हैं।

जिन जिलों में बाढ़ का पानी पंचायतों तक पहुंच गया है, उन जिलों में बचाव व राहत के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की 12 टीमें तैनात की गयी हैं। शनिवार देर रात कोसी बराज के सभी 56 फाटक खोल दिये जाने से नये इलाकों में पानी फैला है। अररिया जिले के सात प्रखंडों की 100 से अधिक पंचायतों में बाढ़ का कहर जारी है। अररिया जिले में रविवार को आठ लोगों की मौत हुई है।

अररिया प्रखंड की 18 नयी पंचायतों के साथ ही अररिया शहर के दक्षिणी व उत्तर-पूर्वी भागों में पनार नदी का पानी प्रवेश कर गया है। वहीं, जोकीहाट प्रखंड के दक्षिणी हिस्सों बैदना, पछियारी पिपरा, चौकता, आमगाछी, केलाबाड़ी, टेकनी, घुमना आदि नये इलाकों में पानी फैल रहा है।

फारबिसगंज अनुमंडल के दक्षिणी हिस्सों में तेजी पानी फैल रहा है। जोकीहाट प्रखंड के चैनपुर में बना चंद्रशेखर बांध पर पानी का दबाव बढ़ रहा है। त्रिशुलिया पुल के आगे कोशिकिपुर में स्थित कलवर्ट भी पानी के तेज बहाव में ध्वस्त हो गया। पानी के तेज बहाव में फारबिसगंज के बहेलिया धार में बना पुल ध्वस्त हो गया। कई गांवों में विद्युत सेवा व मोबाइन नेटवर्क ध्वस्त हो गया है। कुर्साकांटा प्रखंड में ऊंचे स्थानों से पानी घटा जरूर है, लेकिन निचले हिस्सों में पानी तेजी से फैल रहा है।

किशनगंज जिले में बाढ़ की स्थिति जस की तस बनी हुई है। शनिवार की रात किशनगंज में रिकॉर्ड मूसलधार बारिश 186.8 एमएम दर्ज की गयी है। सभी नदियां उफान पर है। पश्चिम बंगाल के इस्लामपुर स्थित महानंदा बराज से रविवार सुबह आठ बजे 107.200 क्यूसेक व तिस्ता कैनाल से 295.887 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। जिले के पांच प्रखंडों किशनगंज, बहादुरगंज, दिघलबैंक, कोचाधामन व टेढ़ागाछ की 40 पंचायतों के 51085 लोग बाढ़ग्रस्त है। सुपौल रविवार की सुबह सदर प्रखंड सहित किसनपुर, सरायगढ़-भपटियाही, निर्मली एवं मरौना प्रखंड के सैकड़ों गांव में नदी का पानी प्रवेश कर गया।

कोसी व उसकी सहायक नदियां विहुल, तिलयुगा व बलान नदी का जलस्तर बढ़ने से मरौना प्रखंड क्षेत्र में भारी तबाही मची है। रविवार की सुबह बलान व बिहुल नदी के बढ़ते जलस्तर से मरौना प्रखंड में मुसहरी के समीप निर्मली-मरौना-भलुआही मुख्य सड़क ध्वस्त हो गयी, जिससे प्रखंड के लोगो का थाना व पीएचसी से संपर्क टूट गया। बसंतपुर प्रखंड की निर्मली पंचायत अंतर्गत वार्ड नंबर सात में छह माह बनी सड़क भारी बारिश के कारण बह गया।

सहरसा जिले की पंचायतों के दर्जनों गांव मे बाढ़ का पानी घिर चुका है। बलुआहा गंडौल मुख्य पथ से ऐना जाने वाली सडक मुरली व आरापट्टी के बीच, बहोरवा से बेलडावर पथ के महेशपुर व लिलजा के बीच व लिलजा तेलवा के बीच मुख्य सडक पर पानी बह जाने से ग्राम पंचायत ऐना, झारा, तेलवा पूर्वी व पश्चिमी व आरापट्टी पंचायत का सड़क संपर्क टूट गया है। कटिहार जिले के महानंदा नदी रविवार को खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर बह रही है, जबकि गंगा व कोसी नदी भी चेतावनी स्तर तक पहुंचने को आतुर है।

इसके कारण आजमनगर, कदवा, प्राणपुर, बलरामपुर आदि प्रखंड के दर्जनों गांव बाढ़ के पानी की चपेट में आ चुके हैं। प्रखंड मुख्यालय कदवा से चौकी पीडब्लूडी पथ के नरगददा में पुल ध्वस्त होने के कारण चार पंचायतों के दर्जनों गांवों के लोगों का सड़क संपर्क प्रखंड मुख्यालय से भंग हो गया है। प्रखंड मुख्यालय कदवा-सोनैली पीडब्लूडी पथ के शिवगंज मोड़ स्थित डायवर्सन में पानी के दबाव के कारण डायवर्सन के ऊपर से पानी बह रहा है।

मधुबनी के झंझारपुर में रविवार की सुबह आठ बजे कमला बलान खतरे के निशान से 311 सेंमी ऊपर थी। झंझारपुर में 2004 में सबसे अधिक जलस्तर 53.01 मीटर मापा गया था। ऐसे में यह उच्चतम जल स्तर से 10 सेंमी ऊपर था।

वहीं केंद्रीय जल आयोग के अनुसार गंडक नदी का जल स्तर डुमरियाघाट में खतरे के निशान से 28 सेंमी ऊपर था। इसमें सोमवार सुबह छह बजे तक 10 सेंमी बढ़ोतरी की संभावना है। बागमती नदी का जल स्तर सुबह छह बजे ढेंग ब्रिज में खतरे के निशान से 286 सेंमी ऊपर था।

इसमें सोमवार सुबह छह बजे तक 166 सेंमी कमी होने की संभावना है। वहीं रुन्नीसैदपुर में यह नदी खतरे के निशान से 307 सेंमी ऊपर थी। इसमें सोमवार सुबह छह बजे तक 85 सेंमी बढ़ोतरी की संभावना है। बेनीबाद में यह नदी खतरे के निशान से 22 सेंमी ऊपर थी। इसमें फिलहाल परिवर्तन की संभावना नहीं है।

विभाग के मुताबिक शिवहर में 14 और किशनगंज छह सामुदायिक किचेन काम करने लगे हैं। वहीं, बाकी जिलों में भी सामुदायिक किचेन बनाया जा रहा है। इन किचेन में बाढ़ के दौरान रेस्क्यू किये गये लोगों को खाना मिलेगा, जिसकी मॉनीटरिंग डीएम करेंगे।

बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के आंगनबाड़ी केंद्रों के सहायिका सेविका के माध्यम से गर्भवती व छोटे बच्चों की पहचान कर सीडीपीओ के माध्यम से जिला मुख्यालय को रिपोर्ट करने की जिम्मेदारी सेविका को दी गयी है। बाढ़ के दौरान आसपास के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को एक-दूसरे में टैग करने का निर्देश दिया गया है। आंगनबाड़ी केंद्रों को टैग करने के बाद कम्यूनिटी किचेन बनाया जायेगा। साथ ही बाढ़ के दौरान भी बच्चे सुरक्षित आंगनबाड़ी केंद्रों में आये, इसके लिए निर्देश दिया गया है।


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