प्रतिमा को देखने उमड़ी भीड़, पूजा शुरू

तीतीर स्तूप में मिला प्राचीन प्रतिमा

सिवान (बिहार)। जीरादेई के बंगरा गांव के एक खेत में जोताई के दौरान भगवान गौतम बुद्ध की टूटी हुई मूर्ती मिलने से पूरे इलाके के श्रद्धालु इसे देखने के लिए टूट पड़े हैं। इतना ही नहीं इस खेत में श्रद्धालुओं द्वारा पूजा अर्चना भी शुरू की जा चुकी है। वहीं भारत सरकार का पुरातत्व विभाग खानापूर्ति कर अपनी पीठ थप-थपा रहा है। इससे श्रद्धालुओं सहित ग्रामीणों में रोष व्याप्त है।

गौरतलब है कि जीरादेई प्रखंड के बंगरा गांव में तीतीर स्तूप से सटे दक्षिण की ओर खेत में जोताई के दौरान मंगलवार को प्राचीन पत्थर की टूटी मूर्ती मिली। बताया जाता है कि इस खेत का मालिक किसान हरिशंकर प्रसाद हैं। उन्होंने बताया कि मैं ट्रैक्टर से अपना खेत जोत रहा था, उसी क्रम में एक पत्थर की टूटी प्रतिमा मिली। इसकी सूचना जब ग्रामीणों को दिया गया तो बड़ी संख्या में लोग इसे देखने पहुंच गए। उन्होंने बताया कि तीतिर स्तूप भगवान बुद्ध से संबंधित है।

यह प्रतिमा भगवान बुद्ध के जैसी प्रतीत होती है। किसान हरिशंकर प्रसाद के अनुसार विगत माह भारतीय पुरातत्व विभाग (भारत सरकार) द्वारा यहां परीक्षण उत्खनन कराया गया था। जिसमें बहुत से पुरातात्विक साक्ष्य तथा एक छोटा शिलालेख मिला था। खुदाई के दौरान मौर्य, कुषाण एवं गुप्ता के समय का मिश्रित ईंट से निर्मित भवनावशेष, दीवारें मिली है। ग्रामीण शैलेष दीपू व विशाल ने बताया कि यहां से अवसर हम लोगों को चमकीले काली पॉलिशड का मिट्टी के बर्तन का टुकड़ा, खिलौना व मूर्तियां मिलती रहती है। वहीं गांव के बुजुर्ग बताते है कि यह भगवान बुद्ध का स्थान है। आज भी यहाँ उनकी पूजा आराधना होती है तथा विदेशी बौद्ध भिक्षुओं का टीम भी आता है।

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पुरातत्व विभाग द्वारा परीक्षण उत्खनन के लिए 30 दिन का आदेश निर्गत हुआ था। लेकिन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा परीक्षण उत्खनन कार्यों को मात्र 16 दिन में ही बंद कर दिया। बता दें कि पुरातात्विक अवशेष अन्वेषण के क्रम में मिला उसे बिना संरक्षण किये ही छोड़ दिया गया है। शोधार्थी कृष्ण कुमार सिंह ने बताया कि यह प्रतिमा आरंभिक अवधि की प्रतीत होती है पर सही आकलन कोई पुरातत्वविद ही दे सकता है।

इस प्रतिमा में दो तस्वीर है जिसमे एक बुद्ध जैसा प्रतीत होता है तथा एक का चेहरा टूटा हुआ है। यह प्रतिमा कलात्मक नहीं है व पत्थर पर फिनिशिंग भी नहीं है। उन्होंने बताया कि गढ़ के ऊपरी भाग से खेत 25 फीट नीचे है यही कारण है कि गढ़ के सटे किसी भी भाग में चार या पांच फीट खोदने पर एनबीपी व धूसर मृदभांड व टेराकोटा की मूर्तियां, गोली व खिलौने मिलने लगते है।

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