बिहार की सियासत का ‘कटप्पा’ कौन?

प्रहरी संवाददाता/ मुजफ्फरपुर (बिहार)। बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2020) में कटप्पा की एंट्री भी हो गई। दरअसल तेजस्वी यादव के समर्थकों ने फ़ेसबुक के ज़रिए एक तस्वीर डाली है जिसमें नीतीश कुमार (Nitish kumar) को कटप्पा के गेट अप में दिखाया गया है जो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के गेट अप वाली तस्वीर को तलवार से भेद रहा है। इस तस्वीर के बहाने समझा जा सकता है कि राजद के नेता और कार्यकर्ता आज तक महागठबंधन से नीतीश कुमार के अलग होने को बर्दाश्त नहीं कर पाए हैं। यही वजह है कि तेजस्वी हो या राजद के दूसरे बड़े नेता समय-समय पर नीतीश कुमार को विश्वासघाती कह हमला बोलते रहते हैं।

कटप्पा के गेटअप वाली तस्वीर पर राजद नेता विजय प्रकाश कहते हैं कि तस्वीर में ग़लत क्या है। ये बात तो बिहार की जनता अच्छे से जानती है कि कैसे लालू यादव की वजह से जीतने वाले नीतीश ने धोखा देकर बीजेपी से हाथ मिला लिया। इस बार के चुनाव में जनता पिछला सारा हिसाब-किताब पूरा कर लेगी।

दरअसल वर्ष 2015 में नीतीश कुमार ने महगठबंधन (जिसमें कांग्रेस और राजद शामिल थी) के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। दो साल के बाद ही नीतीश और लालू में तेजस्वी यादव पर चल रहे भ्रष्टाचार के आरोप को लेकर दूरियां बढ़ती गईं। नतीजा यह रहा कि नीतीश कुमार ने लालू यादव का साथ छोड़ दिया और भाजपा के साथ हो लिए। इसी बात को आज तक राजद नेता नहीं भूले हैं और समय- समय पर नीतीश कुमार पर विश्वासघात का आरोप लगाकर हमला बोलते रहते हैं।

राजद नेता के नीतीश कुमार को विश्वासघाती कहने और कटप्पा के पोस्टर केे बहाने हमला बोलने पर जेडीयू नेता और मंत्री नीरज कुमार ने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि जो लोग सीएम नीतीश पर आरोप लगाते हैं वो पहले अपनी गिरेबां में झांक कर देखें। नीतीश की मदद से 2015 में सत्ता में आकर सत्ता का सुख भोगा और जब आय से अधिक संपत्ति मामले में फंस गए। तब सीएम नीतीश ने सिर्फ़ जनता के सामने आकर अपना पक्ष रखने की बात कही तो सांप सूंघ गया था। जनता के पैसे को खाकर जेल की हवा खा रहे लालू यादव ने बिहार की जनता के पीठ में जो छुरा घोंपा है उसे बिहार की जनता आज तक नही भूली है।

फ़िल्म बाहुबली का एक पात्र है जिसने अपने राजा को धोखे से पीठ पर तलवार से वार कर हत्या कर दी थी। जिसे लेकर कई बार नेताओ में धोखे का पर्याय मान आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहा है। एक बार फिर विधानसभा चुनाव में कटप्पा के बहाने सियासी प्रतिद्वंद्विता पर धोखेबाज़ी का आरोप लगाकर हमला बोला जा रहा है।

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