मंत्रिमंडल में मिथिलांचल की उपेक्षा भाजपा को महंगा पड़ेगा-सुरेंद्र प्रसाद सिंह

एस. पी. सक्सेना/समस्तीपुर (बिहार)। बिहार के मिथलांचल के सभी सीटों पर एकतरफा विजयी पाने वाली भाजपा द्वारा मंत्रीमंडल में मिथिलांचल की उपेक्षा किये जाने का चर्चा आम है। निकट भविष्य में मिथिलांचल का यह उपेक्षा भाजपा को महंगा पड़ेगा।

उक्त बातें भाकपा माले समस्तीपुर जिला स्थाई समिति सदस्य सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने मोदी मंत्रिमंडल गठन के बाद पत्रकारों से बात करते हुए 11 जून को कही। उन्होंने कहा कि मिथिलांचल का सभी 5 सीट भाजपा एवं उसके सहयोगी दल को मिला है। वह भी अपार बहुमत से।

उन्होंने बताया कि मधुबनी से भाजपा के अशोक यादव, झंझारपुर से रामफल मंडल, दरभंगा से गोपालजी ठाकुर, उजियारपुर से नित्यानंद राय एवं समस्तीपुर से शांभवी चौधरी (लोजपा) ने बड़ी मार्जिन से जीत दर्ज की। कहा कि चुनाव कैंपेन के दौरान भाजपा नेताओं ने मंत्रीमंडल में मिथिलांचल को बड़ी जिम्मेवारी देने की बात कहा था।

जब मिथिलांचल ने सभी सीटें भाजपा की झोली में डाल दी तब 3.0 की नई मोदी कैबिनेट गठन में भाजपा द्वारा मिथिलांचल का घोर उपेक्षा करने से मिथिलांचलवासी सकते में हैं। मंत्री के नाम पर उजियारपुर के सांसद नित्यानंद राय को पुनः केंद्रीय गृह राज्यमंत्री बनाया गया है। यह मिथिलांचलवासी को पच नहीं रहा है।

पत्रकार द्वारा पूछे जाने पर माले नेता सिंह ने बताया कि 40 में से 30 सीट का बंपर बहुमत देने वाला बिहार का भी भाजपा द्वारा उपेक्षा किया गया है। मंत्रीमंडल के नाम पर बिहार के सभी सांसदों को झुनझुना थमाया गया है। हम के अकेला सांसद जीतन राम मांझी को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, जदयू के ललन सिंह को पंचायती राज, मत्स्य एवं पशुपालन मंत्रालय, गिरीराज सिंह को टेक्सटाइल मंत्रालय, चिराग पासवान को फूड प्रोसेसिंग मंत्रालय, आदि।

राज्य सभा सांसद रामनाथ ठाकुर को कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्रालय, नित्यानंद राय को गृह राज्य मंत्रालय, सतीश चंद्र दुबे को कोयला एवं खनन राज्य मंत्रालय जैसे दोयम दर्जे का मंत्रालय सौंपा गया है। उन्होंने कहा कि मिथलावासियों का मानना है कि इन मंत्रालयों से मिथिलांचल का उत्तरोत्तर विकास संभव नहीं है।

भाकपा माले नेता सिंह ने कहा कि जब देश के महत्वपूर्ण राज्यों से भाजपा को जबरदस्त नुकसान हुआ जिसकी अकेले बिहार से सत्ता से दूर जा रही भाजपा एवं एनडीए गठबंधन को 30 सीटें सौंपकर सत्ता में बने रहने का रास्ता साफ कर दिया, फिर भी मिथिलांचल एवं बिहार का मंत्रीमंडल में भाजपा द्वारा उपेक्षा किया जाना मिथिलांचल एवं बिहारवासी को निराश किया है। यह निराशा आगामी चुनाव में भाजपा के लिए महंगा साबित होगा।

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