पीएम झारखंड को तोहफा नहीं विशेष राज्य का दर्जा देने की घोषणा करें-नायक

एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झारखंड को तोहफा नहीं बल्कि विशेष राज्य का दर्जा देने की घोषणा करें।

उपरोक्त बातें एक मार्च को संपूर्ण भारत क्रांति पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सह प्रभारी झारखंड व् छत्तीसगढ़ विजय शंकर नायक ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के झारखंड दौरे पर आने पर उक्त बातें एक मार्च को कही। नायक ने कहा कि अब झारखंड को किसी तोहफे की आवश्यकता नहीं, बल्कि झारखंड को विशेष राज्य का दर्जा देने की समय की मांग है।

नायक ने कहा कि झारखंड जब अलग राज्य बना था, तो इसके 14 जिले उग्रवाद प्रभावित थे। अब यह संख्या बढ़कर 21 हो गई है। कहा कि झारखंड राज्य में 24 जिले हैं। राज्य सरकार की रिपोर्ट बताती है कि 142 थाने नक्सल प्रभावित हैं। कहा कि आज 25 प्रखंड नक्सल गतिविधियों की टॉप सूची में शामिल हैं।

इन 23 वर्षों में हजारों नक्सली हत्याएं हुई हैं। उन्होंने बताया कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री (वर्तमान में केंद्रीय मंत्री) अर्जुन मुंडा ने भी उग्रवाद की समस्या के समाधान के लिए झारखंड को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाने की मांग वर्ष 2012 में अपने मुख्यमंत्रीत्व कार्यकाल मे किया था। उन्होंने तो नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल की बैठक में भी प्रधानमंत्री के समक्ष विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग की थी।

तब उन्होंने कहा था कि झारखंड नक्सल प्रभावित इलाका है। विरासत में इसे बेहतर विकास नहीं मिलने से यह पिछड़ता चला गया है इसलिए इसे विशेष राज्य का दर्जा मिलना ही चाहिए।

नायक ने पीएम मोदी का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि आज राज्य में न सिंचाई और न खेती की उचित व्यवस्था है। राज्य सरकार की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट बताती है कि राज्य में 29.74 लाख हेक्टेयर जमीन कृषि योग्य है। लेकिन सिंचाई की सुविधा महज 40 फीसदी है। कुल आबादी के 58 फीसदी किसान और खेतिहर मजदूर हैं। 80 फीसदी जनता एक से दो हेक्टेयर जमीन के जोतदार हैं।

राज्य में पर कैपिटा 250 ग्राम अनाज उपलब्ध है, जबकि राष्ट्रीय पैमाना 583 ग्राम है। उन्होंने कहा कि आज झारखंड राज्य शिक्षा व स्वास्थ्य में भी पीछे है। राज्य में कुल साक्षरता दर 67.63 प्रतिशत है। इनमें महिलाओं के बीच साक्षरता दर 56.21 फीसदी है, जबकि जनजातीय महिलाओं में साक्षरता दर 39.35 प्रतिशत है।

नायक ने कहा कि राज्य के 30 फीसदी बच्चे ही पूरी तरह प्रतिरक्षित हैं। राज्य में संस्थागत प्रसव की दर लगभग 40 प्रतिशत है। जनजातीय इलाकों में 72 फीसदी युवतियों की शादी कम उम्र में होती हैं। झारखंड में मातृ मृत्यु दर 261 है, जबकि राष्ट्रीय औसत 212 है। उन्होंने कहा कि ये आंकड़े गवाह हैं कि विशेष राज्य की मांग वाजिब है और इसे मिलना ही चाहिए।

नायक ने कहा कि राज्य के सभी पार्टी के नेता, पूर्व झाविमो अध्यक्ष व् वर्तमान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी एवं आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने तो कई बार विशेष राज्य का दर्जा दिलाने हेतु आंदोलन भी किया था।

नायक ने बताया कि वर्ष 2013 मे भाजपा सांसद शांता कुमार की अध्यक्षता वाली संसद की स्थायी समिति ने औद्योगिक रूप से पिछड़े राज्यों जैसे बिहार, ओडिशा, झारखंड तथा ऐसे ही अन्य राज्यों को विशेष श्रेणी के राज्य का दर्जा दिये जाने की सिफारिश की थी। इसलिए अब किंतु परंतु किए बिना प्रधानमंत्री मोदी झारखंड को विशेष राज्य का दर्जा देने की घोषणा कर झारखंडी समाज को सबसे बड़ा तोहफा देने का काम करें।

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