राष्ट्रीय भूमि मौद्रीकरण निगम, राष्ट्रीय सम्पत्ति की लूट की एक और विनाशकारी चाल-शर्मा

एस. पी. सक्सेना/बोकारो। सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेडयूनियन्स (सीटू) के बोकरो जिलाध्यक्ष सह राज्य सचिव भागीरथ शर्मा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि कॉरपोरेट लॉबी द्वारा राष्ट्रीय संपत्ति की लूट में तेजी लाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार (Modi government) के एक और विनाशकारी अभियान की सीटू निंदा करता है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय (National) भूमि मौद्रीकरण निगम (एनएलएमसी) नामक एक पूर्ण स्वामित्व वाली सार्वजनिक क्षेत्र की ईकाई को सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियों और विभागीय उपक्रमों को निपटाने के लिए देशी – विदेशी निजी कॉरपोरेट्स को विशाल भूमि और संबंधित सम्पत्तियों को बेचने के लिए बनाया जा रहा है।

यह नृशंस कदम सरकार की एक और लूट परियोजना को सुविधा जनक बनाने और उसके पूरक के तौर पर है, जिसे राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाईपलाईन (एनएमपी ) कहा जाता है।

शर्मा के अनुसार सावधानीपूर्वक एक- एक करके बुनियादी ढांचागत क्षेत्र जैसे रेलवे, रोडवेज, विजली ग्रिड नेटवर्क, पेट्रोलियम और गैस पाईपलाईन नेटवर्क, बंदरगाह और डाक, कोयला परियोजनाएं, दूरसंचार नेटवर्क आदि को मुफ्त मे ही निजी कम्पनियों के हाथो संपूर्ण रूप से सौंपने के लिए डिजाइन किया गया है। वह भी उन परिस्थितियों से हासिल राजस्व के बहुत ही मामूली हिस्से को सरकार के साथ साझा करने की व्यवस्था के साथ।

शर्मा ने बताया कि एनएलएमसी को व्यवहारिक रूप से विभिन्न सार्वजनिक उपक्रमों और रेलवे, प्रतिरक्षा, दूरसंचार आदि जैसे विभागीय उपक्रमों के आधिपत्य में विशाल भूमि और अन्य संपत्तियों जैसे भवनों आदि की बीक्री की निगरानी में और संचालन के लिये एक प्रकार की रीयल एस्टेट एजेंसी में संचालित करने की कल्पना की गई है।

सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और डीपीएसयू के पास मौजूद भू – संपत्ति का उपयोग लाभ कमानेवाले और कोर सेक्टर के पीएसयू और डीपीएसयू के विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए किया जा सकता है। जो राष्ट्रीय राजकोष में नियमित और बारम्बार योगदान कर रहे हैं, लेकिन सरकारी उपक्रमों को अपने कॉरपोरेट आकाओं के पक्ष में पूरी तरह से निजीकरण करने के लिए कुख्यात दृष्टिकोण के साथ जुटनेवाली सरकार से इस तरह की बुनियादी आर्थिक समझदारी की उम्मीद नहीं है।

उन्होंने बताया कि जब सरकार किसी भी कीमत पर और किसी भी तरीके से राष्ट्रीय संपत्ति को बेचने के लिए उतारू है। सार्वजनिक उपक्रमों को खत्म करने के कार्यक्रम से ग्रस्त है। उससे कभी भी राष्ट्रीय हित की उम्मीद नहीं की जा सकती है।

अभी तक बीएसएनएल (BSNL) से बाल्को, आइपीसीएल, हवाई अड्डों, एयर इंडिया आदि के निजीकरण सौदों में से कोई भी निष्पक्ष और पारदर्शी नहीं था। यहां तक कि सीएजी भी उन सौदों में से कई पर टिप्पणी करने से नहीं बच सका। शर्मा के अनुसार वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था के तहत, भू-संपत्ति के तथाकथित मौद्रीकरण से राषट्रीय हितों के लिए अकल्पनीय नुकसान होना तय है।

सरकार के नेतृत्व में किसी भी अचल संपत्ति के लेन देन में प्राकृतिक तथ्य यह है कि स्वाभाविक रूप से उसे कम कीमत पर ही बेचा जा रहा है। इस कुख्यात एनएलएमसी का एक ही मकसद है। विशाल भूमि और ढांचागत संपत्ति को बेचकर शासन मे बैठे सांप्रदायिक, कॉर्पोरेट गठजोड़। यह शासकों की हताश विकृति के अलावा और कुछ नही है।

उन्होने कहा कि एनएलएमसी की घोषणा के तुरंत बाद मुख्यधारा की मीडिया ने अतिरिक्त भूमि के आंकड़े प्रकाशित करना शुरू कर दिया है। रेलवे और प्रतिरक्षा देश के सबसे बडे सरकारी भूमि के मालिक है। सरकार के उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक रेलवे के पास कुल 11. 80 लाख एकड़ जमीन उपलब्ध है, जिसमें से 1.25 लाख एकड़ जमीन खाली है।

प्रतिरक्षा सम्पदा महानिदेशालय के आंकडों के अनुसार रक्षा मंत्रालय के पास लगभग 17.95 लाख एकड़ भूमि है। जिसमें लगभग 1.6 लाख एकड़ 62 छावनियों के अंदर है। लगभग 16.35 लाख एकड़ भूमि उनकी सीमाओं के बाहर है।

एनएलएमसी के माध्यम से इस विशाल भू-संपत्ति देशी -विदेशी बडे कारपोरेटट्स को सस्ती कीमतों पर दे दी जाएगी। मीडिया में चर्चा यह है कि कर्नाटक में बीईएमएल और एचएमटी की विशाल अधिशेष भूमि जल्द ही बेची जाएगी।

शर्मा ने कहा कि सीटू एनएमपी के साथ तथाकथित एनएलएमसी के इस तरह के राष्ट्र विरोधी संदिग्ध प्रयास की कडी निंदा करता है और मजदूर वर्ग को एकजुट संघर्ष के माध्यम से राष्ट्रीय संपत्ति की लूट के इस तरह के कुख्यात इरादों का प्रतिरोध और खिलाफ करने का आह्वान करता है।

इसके लिए दो दिवसीय देशव्यापी आम हडताल का जोरदार तरीके से पालन करना जरूरी समझता है। इसलिए आगामी 28-29 मार्च की दो दिवसीय हडताल को सफल कर मजदूर वर्ग सरकार की उक्त देश विरोधी नीतियों के मुखालफत कर नई उंचाई देगा।

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