झारखंड के प्रवासी मजदूर की मुबंई में लुटेरों ने कर दी हत्या

प्रहरी संवाददाता/बोकारो। झारखंड के बोकारो जिला के हद में गोमियां के एक युवक की मुंबई में हत्या कर दिए जाने का मामला प्रकाश में आया है। इस घटना के बाद से मृतक का परिवार सदमें में हैं।

ज्ञात हो कि, बीते पांच माह पूर्व गोमियां प्रखंड के हद में चतरोचट्टी थाना क्षेत्र के बड़की चिदरी पंचायत असनाबेडा निवासी 23 वर्षीय भोला कुमार महतो मुंबई काम करने गया था। वहां वह एक कंपनी में ट्रक चालक के रूप में कार्यरत था।

बताया जाता है कि 25 सितंबर की सुबह करीब तीन बजे वह ट्रक लेकर जा रहा था, इस दौरान ट्रक के टायर में कुछ गड़बडी की अंशका पर वह गाडी से उतर कर टायर चेक करने लगा। इस दौरान दो-तीन अज्ञात बदमाश उसके पास पहुंचे और उससे पैसा व मोबाइल लूटने लगे। भोला ने जब इस लूट का विरोध किया तो बदमाशों ने चाकू से उसपर हमला कर उसे बुरी तरह घायल कर दिया।

तभी उक्त कंपनी की दूसरी गाड़ी उसी सड़क से गुजर रही थी। उक्त वाहन को आता देख बदमाश भाग निकले। कंपनी के दूसरे वाहन का चालक आसपास के रहिवासियों के सहयोग से भोला को घायल अवस्था में तुरंत ठाणे के नजदीकी अस्पताल में ले गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम की कार्रवाई में जुट गयी। घटना की जानकारी मृतक के पिता दीपक महतो को दी गई। मृतक के माता पिता के अलावा उसके दो भाई और एक बहन है। इस घटना से परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है।

इस घटना को लेकर प्रवासी मजदूरों के हित में कार्य करने वाले समाजसेवी सिकन्दर अली मृतक के घर पहुँचकर संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि झारखंड के नौजवानों की मौत के मुंह में समा जाने की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी कई प्रवासी मजदूरों की मौत हो चुकी है। कहा कि रोजी-रोटी की तलाश में परदेस गये प्रवासी झारखंडी मजदूरों की मौत का सिलसिला जारी है।

हर रोज झारखंड के किसी न किसी इलाके से प्रवासी मजदूर की दूसरे राज्यों या विदेश में मौत की खबरें आ रही है। अली ने कहा कि प्रवासी मजदूरों की सबसे ज्यादा तादाद हजारीबाग, बोकारो और गिरिडीह का है।

जहां अपना घर छोड़कर परदेस गये इन मजदूरों की जिंदगी तो कष्ट में बीतती ही है, मौत के बाद भी उनकी रूह को चैन नसीब नहीं होता है। किसी की लाश हफ्ते भर बाद, तो किसी को लाने में ढाई से तीन महीने लग जाते हैं। ऐसे में सरकार को रोज़गार की ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि मजदूरो का पलायन रोका जा सके।

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