सीसीएल की विस्थापन समस्या को लेकर एसडीओ कार्यालय में बैठक

प्रहरी संवाददाता/पेटरवार (बोकारो)। बोकारो जिला (Bokaro district) के हद में सीसीएल ढोरी क्षेत्र अंतर्गत अमलो परियोजना के पुरनाटांड़ बस्ती के विस्थापितों और सीसीएल प्रबंधन के बीच चल रहे विवाद के सवाल पर 19 जुलाई को तेनुघाट स्थित एसडीओ (SDO) कार्यालय में त्रिपक्षीय वार्ता का आयोजन किया गया। उक्त बैठक बेरमो एसडीओ अनंत कुमार की अध्यक्षता में आयोजित हुई।

बैठक में विस्थापित संघर्ष समन्वय समिति के अध्यक्ष लखनलाल महतो, महासचिव काशीनाथ केवट, कार्यकारी अध्यक्ष काशीनाथ सिंह, सूरज महतो, नरेश महतो, पंचानन मंडल, लालमोहन महतो, त्रिलोकी सिंह, लालमोहन यादव, दशरथ महतो, बबीता देवी, विरेन्द्र करमाली, राजेश गुप्ता, चंदन राम एवं सीसीएल की ओर से रेभेन्यू ऑफिसर बी.के ठाकुर, कारो पीओ के डी प्रसाद के अलावे अन्य अधिकारीगण मौजूद थे।

विस्थापित नेताओं ने एसडीओ को सीसीएल प्रबंधन द्वारा रैयतों के साथ किए जा रहे नाइंसाफ़ी से अवगत कराया। साथ हीं कहा कि प्रशासन अपने स्तर से सीसीएल प्रबंधन को निर्देश दें कि पुरनाटांड के रैयतों की जमीन के बदले नौकरी दिया जाय।

बैठक में कहा गया कि जिनका दो एकड़ जमीन नहीं हो पाता है, ऐसे विस्थापितों को वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था किया जाय। जमीन का मुआवजा आरएफसीटी एलएंडआर 2013 के तहत वर्तमान बाजार दर से चार गुणा के दर से मुआवजा का भुगतान किया जाय।

यदि किसी रैयत की जमीन का सत्यापन नहीं हो पाया है, तो ऐसे रैयतों की जमीन का सत्यापन त्वरित गति से किया जाय। एसडीओ ने कहा की विस्थापितों के साथ नाइंसाफी नहीं होने दिया जाएगा।

एसडीओ ने सीसीएल अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे विस्थापितों की उत्पन्न समस्याओं को त्वरित गति से सुलझाएं, क्योंकि विस्थापितों ने अपने पुरखों की जमीन देकर कोलियरियों को खड़ा किया है।

मौजूद सीसीएल अधिकारियों ने एसडीओ को जानकारी दिया कि पुरनाटांड में दो एकड़ जमीन पूरा करने वाले रैयतों को नौकरी दिया जाएगा और बाकी विस्थापितों को रोजगार देने के निमित्त पूरनाटांड में एक अलग लोकल सेल पॉइंट खोला जाएगा। इसके आलावा विस्थापितो को आउटसोर्सिंग में सभी तरह के कार्यो में भी लगाया जाएगा।

बैठक में समिति के नेताओं ने कहा कि सीसीएल प्रबंधन तबतक विस्थापितों की जमीन पर बुलडोजर नहीं चलाएं, जबतक कि रैयतों के हक बहाल नहीं हो जाते। विस्थापित नेता लखनलाल महतो एवं काशीनाथ केवट ने कहा कि प्रबंधन को विस्थापितों को बेहतर जगह पर रैयतों की सहमति से पुनर्वासित करना होगा।

आरएफसीटी एलआर एक्ट 2013 के अनुसार वर्तमान बाजार दर से चार गुणा ज्यादा के दर से मुआवजा भुगतान करना होगा। साथ ही प्रभावित लोगों के लिए वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था करनी होगी। नेताद्वय ने कहा कि जमीन सत्यापन कार्य सीसीएल प्रबंधन को प्रशासन से मिलकर कराना होगा।

इसपर एसडीओ ने सहमति जताई। विस्थापितों ने कहा कि हमारी जमीन बीएंडके प्रबंधन ने कारो परियोजना के लिए सीबीए एक्ट 1957 के तहत 24 मार्च 1984 से अधिग्रहित की गई है।

अब यहां जमीन में प्रबंधन रैयतों को बगैर मुआवजा-नौकरी दिए उत्खनन का कार्य करने पर अमादा है। ऐसे में हम विस्थापित कहाँ जाएंगे। इसलिए भूख और बदहाली से घुट घुट कर मरने के बजाय अब हम विस्थापित जीवन मरन की लड़ाई लड़ेंगे।

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