न्यायालय आदेश पर मेकॉन टीम ने की बंद सीपीपी की जांच

विरोध में बकायेदारों ने जमकर काटा बबाल, निदेशक के आश्वासन के बाद थमा बबाल

एस. पी. सक्सेना/बोकारो। झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा वर्ष 2018 से बंद बोकारो जिला के हद में गोमियां प्रखंड के असनापानी स्थित कैप्टिव पॉवर प्लांट की स्थिति का आकलन को लेकर तीसरे पक्ष से जांच का आदेश दिया गया।

इसी के आलोक में न्यायालय के आदेश पर 20 जून को सीसीएल मुख्यालय, निजी कंपनी इंपीरियल के निदेशक तथा मेकॉन के प्रतिनिधि ने कथारा क्षेत्र के बंद सीपीपी का दौरा किया। टीम द्वारा सीपीपी की वर्तमान स्थिति से न्यायालय को अवगत कराना है, ताकि हुई क्षतिपूर्ति का आकलन किया जा सके।

बताया जाता है कि टीम के सीपीपी पहुंचने की सूचना के बाद यहां कार्यरत पूर्व कर्मी, बकायेदार आदि अपने बकाये राशि की मांग को लेकर जमकर बबाल काटा। बाद में इम्पीरियल कंपनी निदेशक के लिखित आश्वासन के बाद मामला शांत हुआ।

जानकारी के अनुसार मेकॉन टीम के साथ इंपीरियल के वाइस चेयरमैन नवल किशोर, निदेशक रंजन कुमार, सीसीएल मुख्यालय रांची के मुख्य प्रबंधक विद्युत एवं यांत्रिक अरुण कुमार पंजियार, कथारा क्षेत्र के एसओ (इएंडएम) विपिन कुमार, सीसीएल मुख्यालय से प्रबंधक प्रशिक्षु विधिक अंकित सिंह चौहान के अलावा मेकॉन के सहायक महाप्रबंधक अरुण कुमार, मुकेश कुमार, शाहनवाज सुमानी तथा कमलेश कुमार शामिल थे।

जबकि विधि व्यवस्था को लेकर कथारा ओपी प्रभारी जितेश कुमार, महाप्रबंधक कार्यालय के सुरक्षा प्रभारी मो. इबरार, नागेश्वर नोनियां, देवांशु कुमार, संजय कुमार दास आदि तैनात थे।

टीम ने सीपीपी के बंद प्लांट का गहनता से आकलन तथा निरीक्षण किया। इस दौरान सीसीएल मुख्यालय के मुख्य प्रबंधक विद्युत एवं यांत्रिक पंजियार से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि इंपीरियल कंपनी को वर्ष 2005 में एक एमओयू के तहत 20 साल के लिए उक्त प्लांट को चलाने का सीसीएल द्वारा ठेका दिया गया था।

कंपनी द्वारा बीच में ही काम छोड़ दिया गया। इसे लेकर दोनों पक्ष न्यायालय गए हैं। उन्होंने बताया कि न्यायालय के निर्देश पर थर्ड पार्टी के तौर पर मेकॉन कंपनी को जांच का जिम्मा सौंपा गया है। उक्त कंपनी इसकी जांच कर वास्तविक स्थिति न्यायालय को सौंपेगी। उन्होंने कहा कि जब तक उक्त कंपनी यहां के कामगारों तथा अन्य के बकाये राशि का भुगतान नहीं करता है, तब तक सीसीएल सीपीपी को अधिग्रहित नहीं करेगी।

इस बावत इंपीरियल के वाइस चेयरमैन नवल किशोर तथा निदेशक रंजन कुमार ने प्रथमतः मामला न्यायालय में विचाराधीन होने की बात कह पल्ला झाड़ना चाहा। बाद में बताया कि वह बकाये राशि का भुगतान करने के लिए तैयार है, बशर्तें बकाये से संबंधित वास्तविक रिकॉर्ड उन्हें मिल सके।

कहा गया कि जब भी वास्तविक रिकॉर्ड लेने के लिए उनके द्वारा प्रयास किया गया तभी उन्हें प्लांट के भीतर नहीं जाने दिया गया। ऐसे में किसे कितनी राशि देना है यह संशय बना हुआ है, जबकि मुख्यालय मैनेजमेंट ट्रेनी लीगल अंकित सिंह चौहान ने कहा कि वे न्यायालय के निर्देश पर थर्ड पार्टी मेकॉन को दिए गए जांच को लेकर यहां आए, ताकि हुई घाटे की भरपाई का आकलन किया जा सके।

बाद में टीम जैसे ही कथारा स्थित अतिथि भवन पहुंची, कि सीपीपी में पूर्व में कार्यरत मजदूर, ठेका मजदूर, संबंधित ठेकेदार, ट्रांसपोर्टर आदि पहुंचकर जमकर बवाल काटा। परिणाम स्वरुप पुलिस हस्तक्षेप के बाद अतिथि भवन सभागार में वार्ता की गई। ‌क्रूद्ध भीड़ अपने बकाया राशि के भुगतान पर अड़ा था।

इस दौरान मामला शांत कराने को लेकर समझाने गये भीड़ का कोपभाजन कथारा ओपी प्रभारी को होना पड़ा। बताया जाता है कि असनापानी रहिवासी आलम रजा ने कथारा ओपी पुलिस पर लोहा चोरों से सांठगांठ कर सीपीपी से लोहा चोरी करने का आरोप लगा दिया, जिससे स्थिति पुनः बिगड़ने लगा। ओपी प्रभारी ने संयम रखते हुए क्रूद्ध भीड़ में से कइयों को वार्ता करने की बात कही।

बताया जाता है कि वार्ता के क्रम में सीपीपी के पूर्व कर्मी हसन अंसारी तथा मोहम्मद जहांगीर ने इम्पीरियल कंपनी पर कामगारों को बरगलाने, बकाया राशि का भुगतान नहीं करने, बिना वेतन दिए 5 माह तक काम कराने आदि का आरोप लगाते हुए ऑन स्पॉट बकाया राशि भुगतान की मांग की।

वहीं झिड़की रहिवासी कांग्रेसी नेता सह ट्रांसपोर्टर मोहम्मद इजराफिल उर्फ बबनी ने कोल ट्रांसपोर्टिंग तथा अन्य मद कार्य के बदले बकाया राशि की मांग की। वहीं कथारा वस्ती रहिवासी प्रदीप यादव ने कहा कि उसके पंप से इंपीरियल कंपनी द्वारा 5 लाख 13 हजार रुपए का डीजल आदि लुब्रिकेंट लिया गया था, जिसका भुगतान को लेकर इम्पीरियल कंपनी निदेशक द्वारा पूर्व में जो चेक दिया गया था, वह बाउंस कर गया। लिहाजा उसे भी उक्त बकाये राशि का भुगतान किया जाए।

बताया जाता है कि काफी हील-हुज्जत के बाद इंपीरियल निदेशक रंजन कुमार द्वारा न्यायालय आदेश अथवा प्राप्त रिकॉर्ड की प्राप्ति के एक माह के भीतर सभी बकायदारों के भुगतान की लिखित सहमति दी गयी। इसके बाद क्रूद्ध कर्मी, ट्रांसपोर्टर व् अन्य शांत हुए।

वार्ता में उपरोक्त के अलावा क्षेत्रीय सुरक्षा पदाधिकारी सुनील कुमार गुप्ता, पूर्व जिप सदस्य गुलशन शरीफ, इम्पीरियल में कार्य कर चुके पूर्व कर्मी अशोक यादव, मजदूर नेता मोहम्मद निजाम अंसारी, कामोद प्रसाद, इम्तियाज़ खान, शमशुल हक, कथारा पंचायत के मुखिया पति सत्येंद्र कुमार दास आदि शामिल थे।

 256 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *