शहरों से अधिक ग्रामीण इलाकों में शिक्षा की जरूरत-मौलाना इजराइल

एस. पी. सक्सेना/बोकारो। शहरों में शिक्षा की जितनी सुविधा है उतना ग्रामीण क्षेत्र में नहीं है। आज जरूरत है ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छे शैक्षणिक संस्थानों की, ताकि ग्रामीण कृषि कार्य करते हुए अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सके। उक्त बातें 28 अप्रैल को बोकारो जिला के हद में तेलमूंगा रोड कसमार स्थित डीएबी नेशनल स्कूल के संस्थापक प्राचार्य मौलाना मो. इजराइल हसन ने एक भेंट में कही।

उन्होंने कहा कि आज हमारे देश में किसानों की कमी होती जा रही है। सभी ग्रामीण हलकों में रहनेवाले रहिवासी किसानी छोड़ शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण ग्रामीण इलाकों में बच्चों के लिए शैक्षणिक माहौल तथा अच्छे शिक्षा संस्थानों की कमी है। मौलाना इजराइल के अनुसार हर माँ-बाप अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहता है।

इसके लिए उसे शहरों में अपने बच्चों को भेजना मजबूरी हो जाता है। जिसके कारण अभिभावक भी कृषि कार्य छोड़कर शहरों में रोजगार के लिए पलायन कर जाते हैं। यदि वैसी हीं शिक्षा ग्रामीण हलकों में भी मिलने लगे तो ग्रामीण स्वतः हीं गांव में रहकर अपने बच्चों को शिक्षा दिलाएंगे। जिससे उनमे एकबार फिर कृषि कार्यों में रुची बढ़ेगा, और पलायन भी रुकेगा।

उन्होंने बताया कि उनके पिता कोलियरी में नौकरी करते थे। इसलिए उनकी शिक्षा बाहर ही हुई। उन्होंने दारुल उलूम नदवतुल वलमा लखनऊ (उत्तर प्रदेश) से वर्ष 2011 में फ़ाजिल करने के बाद बैंगलोर के श्रीरंगापटल मैसूर (कर्नाटक) से अरबीक विषय में पीजी की। इस दौरान वर्ष 2012 से 2017 तक फ़ैजाबाद के एकरा पब्लिक स्कूल में बतौर शिक्षक काम किया। वहीं वर्ष 2017 में जामिया मीलिया नई दिल्ली से डिस्टेंस कोर्स से अरबीक में ग्रेजुएशन की।

मौलाना मो. इजराइल ने बताया कि उनकी सोंच अपने गांव तथा आसपास के गांवो के बच्चों को शहरी शिक्षा की तरह शिक्षित करना हैं। इस लिहाज से उन्होंने लखनऊ से नौकरी छोड़कर वर्ष 2019 में अल फ़लाह एजुकेशनल वेलफेयर ट्रस्ट के सहयोग से अपने गांव गर्री कसमार के तेलमूंगा रोड (कब्रिस्तान के समीप) डीएबी नेशनल स्कूल की स्थापना की, तथा अपने गांव एवं आसपास के गांवो के बच्चों को बेहतर शिक्षा देने का बीड़ा उठाया।

उन्होंने बताया कि वर्तमान में उक्त स्कूल में छह शिक्षक सेवारत हैं। जबकि यहां लगभग 150 बच्चे अध्ययनरत हैं। जिसमें कसमार, सुरजुडीह, कुलागूजू, मंजूरा, बहादुरपुर, कुरुबटांड़ आदि गांव के बच्चे अध्ययनरत हैं।

मौलाना के अनुसार यहां बच्चों को मुख्य रूप से इंग्लिश, हिंदी, गणित, विज्ञान, उर्दू तथा अरबीक की शिक्षा दी जा रही है। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि उनका संकल्प जरुर रंग लाएगा और गांवो से पलायन रुकेगा। ग्रामीण कृषि कार्य से पुनः जुड़ सकेंगे।

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