मैनेजमेंट गुरु थे भगवान श्रीराम-जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य

अवध किशोर शर्मा/सोनपुर (सारण)। श्रीगजेन्द्र मोक्ष देवस्थानम दिव्य देश पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य ने 30 मार्च को सारण जिला के हद में सोनपुर स्थित श्रीगजेन्द्र मोक्ष देवस्थानम में रामनवमी के अवसर पर भक्तों को संबोधित करते हुए कहा।

उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम का जन्म कर्कट लग्न में हुआ था। कर्कट लग्न में जन्म लेने वाले महापुरुष में मैनेजमेंट गुरु का लक्षण विद्यमान रहता है। राक्षसों का संहार करने के लिए, संतों को सदगति प्रदान करने के लिए ही भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था।

यहां नौलखा मंदिर परिसर में आयोजित भगवान श्रीराम के प्राकट्योत्सव के अवसर पर उन्होंने कहा कि श्रीराम और रावण में यही अंतर था कि श्रीराम त्यागी थे और समाज को लेकर चलते थे।

सबसे बड़ी बात यह थी कि वे एक पत्नी व्रती थे। आचरण के सभी गुणों से परिपूर्ण सत्यनिष्ठ, दृढ़प्रतिज्ञ थे। इन्हीं सुंदर आचरण एवं एक पत्नीव्रत के कारण श्रीराम ने रावण का वध किया। उन्होंने कहा कि मनुष्य में सब कुछ हो और आचरण नही हो, संसार की सभी वस्तुएं हों और आचरण ठीक नही हो तो उसका वध मैनेजमेंट गुरु के द्वारा होता है।

उन्होंने कहा कि अपने 14 वर्षों के वनवास काल में भगवान श्रीराम ने बड़े-बड़े संतों को मोक्ष देकर वैकुंठ प्रदान किया।इससे पूर्व जैसे ही भगवान के प्राकट्योत्सव का समय हुआ भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी, हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रुप विचारी मंगलमय महाआरती आरंभ हुआ। महाआरती से पहले प्रातः 9 बजे से 12 बजे तक भगवान का अभिषेक किया गया।

उनका नवीन दिव्य श्रृंगार किया गया। 24 घंटे का अखंड रामायण पाठ हुआ। महाआरती के बाद प्रसाद वितरण और महा भण्डारा का कार्यक्रम संपन्न हुआ।इस अवसर पर बाबा नंद कुमार राय, संत गोपाल, विनोद सिंह सहित हजारों की संख्या में भक्तों ने उपस्थित होकर भगवान का जन्म महोत्सव पूजा में भाग लिया।

 

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