कर्पूरी के रास्ते चुनाव लड़ते माले उम्मीदवार बने चर्चा का केंद्र

एस.पी.सक्सेना/समस्तीपुर(बिहार)(Bihar)। बिना तामझाम के सादगीपूर्ण तरीके से चुनावी अभियान चलाने में सुमार रहे समाजवादी जननायक कर्पूरी ठाकुर की धरती समस्तीपुर के कल्याणपुर में महागठबंधन समर्थित भाकपा माले उम्मीदवार रंजीत राम चर्चा के केंद्र में हैं। न गाड़ियों का काफिला, न कोई तामझाम और न ही उम्मीदवार होने का घमंड। सवारी के नाम पर 3-4 मोटर साइकिल साथ में 7-8 छात्र-नौजवान। जहाँ जो बुलाया सहज रूप से पहुँच गये। जो दे दिया खा लिये। जहाँ रात हो गई सो गये। फिर सुबह ही उठकर टोली के साथ जनसंपर्क अभियान शुरू।
मोटरसाइकिल के अपने फायदे भी है। जिस दलित- गरीब की बस्ती में चार चक्का वाहन नहीं पहुँच पाते, वहाँ मोटरसाइकिल से आसानी से जाया जा सकता है।
आइसा के बैनर तले दरभंगा आगमन पर लालकृष्ण आडवाणी को काला झंडा दिखाने के मामले में जेल जा चुके रंजीत राम जनता में जितना नर्म दिखाई देते हैं। अफसरशाही एवं भाजपा-जदयू के खिलाफ उतना ही कड़क हैं। जाति-धर्म से दूर शिक्षा, रोजगार, चिकित्सा, मान-सम्मान, लोकतंत्र, संविधान के साथ ही विकास एवं कल्याणकारी योजनाओं जैसे अनेकानेक मुद्दे और समाधान को वे अपना प्राथमिकता बताते हैं। बेबाक बोल के उम्मीदवार से जनता जब सवाल पूछती है तो सहज रूप से जनता को संतुष्ट कर देते हैं। वे कहते हैं विकास और कल्याणकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार रोकने के अलावे इसे पारदर्शी तरीके से वे लागू करेंगे। हंसमुख एवं सरल स्वभाव के राम अपने विरोधियों को भी आसानी से समर्थक बना लेते हैं। क्षेत्र में कई जगह विकास योजनाओं के खस्ताहाल के कारण वोट नहीं गिराने पर आमादा ग्रामीणों को वे आसानी से वोट गिराने को राजी करा लेते हैं। वारिसनगर के हजपूरबा के पुस्तैनी निवासी चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी के पुत्र रंजीत राम की पहचान अपने पिता के नाम पर नहीं बल्कि अपने संघर्ष के बल पर है।
पूछे जाने पर उनके लिए कैंपेन कर रही महिला संगठन ऐपवा के जिलाध्यक्ष सह भाकपा माले नेत्री बंदना सिंह बताती हैं कि रंजीत राम के चुनावी अभियान में छात्र, नौजवान, मजदूर, किसान की बढ़ती भीड़ मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। कई पार्टी के लोग दलाल-विचौलियों के सहारे अर्जित अकूत धन से चुनाव को अपनी ओर मोड़ने की जी तोड़ कोशिश करते दिख रहे हैं। वहीं माले उम्मीदवार का सादगी भरा चुनाव अभियान क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। पहनावे के नाम पर पैंट पर कुर्ता एवं लाल-हरा गमछा शुमार है। पेशे से वकील रंजीत राम बताते हैं कि चुनाव उम्मीदवार नहीं क्षेत्र की जनता लड़ रही है। अगर चुनाव में विजयी मिलता है तो यह विजयी उनकी नहीं कल्याणपुर की जनता की होगी। वे आगे कहते हैं कि उनका मोबाइल नंबर सिर्फ चुनाव के समय ही नहीं बल्कि हमेशा खुला रहता है। वे अपना फोन स्वयं उठाते हैं, उनका असिस्टेंट नहीं। आवेदन भी जो जहाँ समस्या बताया वहीं लिख दिए। बाद में बुलाने का झंझट ही नहीं। वे कहते हैं कि वे वर्षाती मेढ़क नहीं सदाबहार हैं। उनके टीम में शामिल आइसा के मयंक कुमार, सुनील कुमार, लोकेश राज, सोनू कुशवंशी, अभिषेक यादव आदि छाया की तरह उनके साथ रहते हैं। उक्त छात्र नेताओं ने बताया कि मार्क्सवादी चुनावी अभियान के बारे में सुने थे पर साक्षात देखकर वे खुश हैं। इस अभियान को वे प्रयोगशाला बताते हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि कर्पूरी ठाकुर के रास्ते सादगीपूर्ण चुनावी अभियान चलाने वाले की जीत से खर्चीला चुनावी अभियान से जनता को सीख मिलती है या कॉरपोरेट एवं डिजीटल चुनाव अभियान मसलन शराब, पैसा, पैरवी, महंगी गाड़ी, हाईटेक चुनावी अभियान वाले बाजी मार ले जाते हैं।
प्रहरी संवाददाता/

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