म्हाडा के आर आर बोर्ड में बड़ा सुधार

अब डेट नहीं ऑन लाईन होगा काम- विनोद घोसालकर

मुश्ताक खान/मुंबई। महाराष्ट्र गृह निर्माण व क्षेत्र विकास मंडल के मुंबई आर आर बोर्ड (Mumbai RR Board) के सभापति विनोद घोसालकर के क्वीक एक्शन की चौतफा तारीफ हो रही है।

पिछले तीन वर्षो में उन्होंने यह साबित कर दिया की डेट पर डेट नहीं समस्यओं का समाधान तुरंत होना चाहिए। उनके क्वीक एक्शन और फैसले ने विभाग के कर्मचारियों को (Department employees) फुर्तीला बना दिया है।

इससे समस्याओं से जुझ रहे लोगों का समय के साथ-साथ पैसों की भी बचत होती है। इतना ही नहीं घोसालकर के इस रवैये ने घूंसखोरी पर भी लगाम कस दिया है। विशाल पहाड़ों जैसे विचारों के स्वामी घोसालकर सुलझे हुए नरम दिल इंसान हैं।

मराठा राजा शिवाजी महाज की घरती से आए विनोद रामचंद्र घोसालकर का जन्म रायगढ़ जिले के मानगांव में हुआ था। उनकी प्राथमिक शिक्षा भी पहाड़ी व जंगलों से घिरे रायगढ़ जिले की सुंदर वादियों में हुआ। १९७३ में कई सपनों को सजाए विनोद घोसालकर अपने गृह जिला से मुंबई आए।

वादों के पक्के , दिल के सच्चे और पार्टी के लिए समर्पित घोसालकर १९७७ में साधारण कार्यकर्ता के रूप में शिवसेना के साथ जुड़े। उनकी निष्ठता और उत्कृष्ट कार्यो को देखते हुए पार्टी ने उन्हें 1982 में शाखा प्रमुख बना दिया।

इसके बाद शिवसेना ने उन्हें 1986 में मनपा के चुनावी समर में उतारा, उस चुनाव में दहीसर के वार्ड क्रमांक 126 से जनता ने उन्हें बहूमत से जिताया। इस जीत ने विनोद घोसालकर को 1991 में उप विभाग प्रमुख फिर 1992 में विभाग प्रमुख बना दिया।

यानी मुकद्दर के सिकंदर बने घोसालकर पार्टी (Party) के उप नेता के रूप में 2004 में उभरे और 2009 में पार्टी ने उनकी लोकप्रिता और जन संपर्क को देखते हुए विधानसभा में मौका दिया। यहां भी उन्होंने अपने कायों की बदौलत प्रचंड जीत हांसिल कर 2009 से 2014 तक विधायक (MLA) बने रहे।

पार्टी के विश्वासपात्र होने के कारण मौजूदा समय में विनोद घोसालकर को म्हाडा में मुंबई इमारत दुरूस्ती व पुनरर्चना मंडल (आरआरबोर्ड) का सभापति बनाया दिया है। इस पद पर होते हुए उन्हें थोड़ा भी घमंड नहीं है। घोसालकर सभी की समस्याओं को सुनते हैं और यथा संभव उसे हल करने की कोशिश भी करते हैं।

उनके क्वीक एक्शन और डिसीजन से यहां आने वाला हर सख्स चौंक जाता है। क्योकि अब लोगों को धक्के नहीं खाने पड़ते हैं। यहां डेट पर डेट नहीं बल्कि ऑन लाइन की तरह ऑन दा स्पोर्ट काम होता है। सभापति के कायों को देखते हुए उनके सहयोगी भी अब ऑन दॉ स्पोर्ट काम करने लगे हैं।

बताया जाता है कि श्वितखोरी के इस युग्य में ऐसा कम ही होता है लेकिन विनोद घोसालकर ने यह साबित कर दिया है कि इमानदारी किसे कहते हैं। इन्हीं कारणों से इस विभाग से जुड़े लोगों में उनकी चौतरफा वाह वाही हो रही है।

लगभग 60 वर्षीय विनोद घोसालकर में एक नहीं अनेक खासियत है। उनके पास आने वाले हर मुंबईकर को मान और सम्मान दिया जाता है। इसके अलावा आने वाले अगंतुओं का काम भी ऑन दॉ स्पोर्ट (On the support)  होता है। इस विभाग में आने के बाद उन्होंने काफी सुधार की दिशा में काम किया है, जिसका नतीजा अब देखने को मिल रहा है।

बताया जाता है कि विनोद घोसालकर के विचार रायगढ़ के एतिहासिक किला और पहाड़ियों से भी उंचे हैं। बता दें कि राजनीति में आने से पहले विनोद घोसालकर महेंद्र एन्ड महेंद्र में काम करते थे, नौकरी के दौरान ही उन्होंने शिवसेना का दामन थामा था, जो आज इस मुकाम तक लाई है।

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