भारतीय मनीषा के स्वर थे प्रथम प्राचार्य महेंद्र कुमार-रामाशीष सिंह
डॉ विजय कुमार पांडेय/सीवान (बिहार)। भारतीय संस्कृति बेहद प्राचीन रही है। इस संस्कृति ने विश्व को शांति और सद्भभावना का संदेश दिया है। भारतीय संस्कृति सहिष्णुता की पर्याय रही है। भारतीय मनीषा का स्वर ही सहिष्णुता का रहा है। स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद् और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित स्वयंसेवक व महावीरी सरस्वती विद्या मंदिर विजयहाता सिवान के प्रथम प्राचार्य महेंद्र कुमार ने भारतीय मनीषा के मौलिक तथ्यों के प्रति अपने समर्पित प्रयासों से समाज को संदेश दिया। उन संदेशों को समझने और उस पर अमल करना ही महेंद्र कुमार के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि हो सकती है।
उक्त बातें बीते 24 अक्टूबर को सीवान के माधवनगर स्थित महावीरी सरस्वती बालिका विद्या मंदिर परिसर में महेंद्र कुमार जन्म शताब्दी समापन समारोह में बोलते हुए प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य व राष्ट्रवादी विचारक रामाशीष सिंह ने कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता सीवान के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ विनय कुमार सिंह ने की।
कार्यक्रम के प्रारंभ में महेंद्र कुमार के तैल चित्र पर आगत अतिथियों द्वारा श्रद्धा सुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इसके बाद अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ और अंग वस्त्र से किया गया। महावीरी सरस्वती बालिका विद्या मंदिर के बालिकाओं द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया।
इस अवसर पर प्रोफेसर रविंद्रनाथ पाठक ने कहा कि दिवंगत महेन्द्र कुमार इस बात के प्रतीक थे कि एक आदमी अपने जीवन में कितनी सार्थक भूमिकाओं का निर्वहन कर सकता हैं? समाज में निर्माण की प्रक्रिया को आकार देनेवाले व्यक्तित्वों का सादर पुण्य स्मरण हमें सार्थक दिशा दिखाता है।
महेंद्र कुमार व विद्या भारती के संबंध विषय पर विद्या भारती के विभाग निरीक्षक राजेश कुमार रंजन ने विस्तार से अपनी बाते रखी। डॉ अमित कुमार मुन्नू ने महेन्द्र कुमार जन्म शताब्दी समारोह के दौरान साल भर चले विविध कार्यक्रमों की जानकारी दी। मुख्य अतिथि के तौर पर उद्बोधन में प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य रामाशीष सिंह ने अपने संबोधन में भारतीय संस्कृति की प्राचीनता और भारतीय मनीषा के व्यापक संदर्भों पर विचार प्रकट किए। उन्होंने कहा कि भारत इंडिया से कहीं अधिक प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर को समेटे है।
जो पुण्य करते हैं, वही भारत में जन्म लेते हैं। उन्होंने कहा कि समर्पित स्वयंसेवक रहे महेंद्र कुमार के व्यक्तित्व में एक विशेष आकर्षण था। जगह जगह घूम कर उन्होंने भारतीय मनीषा के स्वर को जन जन तक पहुंचाया। हर किसी के प्रति सम्मान की भावना, मानवता के संदेश का प्रसार, भारतीयता के मौलिक तथ्यों के प्रति अनुराग आदि महेंद्र कुमार के प्रति श्रद्धा सुमन के आयाम हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि महेंद्र कुमार अनवरत चलनेवाले व्यक्ति थे। वे सिर्फ चलते नहीं थे, अपितु उनकी आत्मा भी उनके सद्कर्मों के साथ चलती थी। अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ विनय कुमार सिंह ने कहा कि महेंद्र कुमार के व्यक्तित्व और कृतित्व से हमें प्रेरणा मिलती है। मंच संचालन डॉ वी. के. पांडेय ने किया।
इस अवसर पर विद्या भारती के क्षेत्रीय प्रचार-प्रसार संयोजक नवीन सिंह परमार, बालिका विद्या मंदिर के अध्यक्ष सुनील दत्त शुक्ल, सचिव डॉ ममता सिंह, प्रधानाचार्या सिम्मी कुमारी, समाजसेवी रमेश सिंह, ललनजी मिश्र, शिक्षाविद् डॉ गणेश दत्त पाठक, महावीरी शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य कमलेश नारायण सिंह, ओमप्रकाश दूबे, पारस नाथ सिंह, कौशलेंद्र प्रताप, ज्ञाणेश्वर श्रीवास्तव, देवेन्द्र गुप्ता, आदित्य कुमार विनोद, अरविंद कुमार सिंह, शैलेंद्र कुमार वर्मा, संदीप गिरि, अभिषेक कुमार सिंह, प्रमोद मिश्रा, डॉ आशुतोष कुमार, कमलेश्वर ओझा, विजय कुमार, प्रकाश वर्मा, प्रोफेसर डॉ अनिल कुमार प्रसाद, डॉ ज्योत्स्ना प्रसाद, कमलेश सिंह सहित सैकड़ों की संख्या में शहर के प्रबुद्ध नागरिक व महावीरी विद्यालयों के आचार्य व समिति सदस्य उपस्थित थे।
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