गंगाजल में भू माफियों की कारगुजारियों के खिलाफ किसानों का महापंचायत

किसानों ने कई मुद्दों पर प्रदर्शन कर जाहिर की अपनी नाराजगी

अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। सारण जिला के हद में सोनपुर प्रखंड अंतर्गत केपीएसपी हाई स्कूल प्रांगण के गजेंद्र नाथ कला मंच परिसर में 10 सितंबर को आयोजित किसान महापंचायत में भू-माफियाओं की नाजायज कारगुजारी, राज्य सरकार की लाल फीताशाही सहित विभिन्न ज्वलंत मसलों को लेकर सामूहिक आवाज बुलंद करते हुए प्रदर्शन किया गया।

मालूम हो कि, पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार किसान महापंचायत का आयोजन किया गया जिसमें भरपुरा, गंगाजल, खरिका, कसमर सहित आधा दर्जन पंचायत के सैकड़ों किसानों ने भाग लिया। ग्राम विकास समिति गंगाजल, सोनपुर सारण की ओर से आयोजित किसान महापंचायत की अध्यक्षता भूतपूर्व शिक्षक राजनाथ सिंह तथा संचालन कुमुद राज सिंह गुडू ने किया।

 

किसान महापंचायत में भू धारियों ने भू-माफियाओंकी गैरकानूनी कारगुज़ारी, जमीन के दलालों की साजिश, बिहार सरकार की लाल-फीताशाही नीति एवं रेल मंत्रालय के अधिकारियों की तानाशाही के खिलाफ अपनी नाराजगी एवं आक्रोश जाहिर किया गया। इस दौरान पीड़ित और प्रभावित किसानों और भूधाधारियों ने रोषपूर्ण प्रदर्शन भी किया।महापंचायत को कई वर्तमान एवं पूर्व जनप्रतिनिधियों ने भी सम्बोधित किया।

इस मौके पर निर्णय लिया गया कि जो भी भू माफिया और जमीन के दलाल गलत दस्तावेज और फ़र्ज़ी कागजात के आधार पर जमीन की खरीद बिक्री कर सरकार के राजस्व का चूना लगाने के साथ ही किसानों की जमीन को जबरदस्ती दखल करने में लगे हुए हैं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें एवं उनका सामाजिक बहिष्कार किया जाए।

आयोजित महापंचायत में प्रमुख किसानों में चंद्रशेखर सिंह,
इंद्रजीत सिंह, अरबिंद सिंह, शंभू सिंह, तारकनाथ सिंह, किशोर सिंह, पूर्व मुखिया संजय सिंह, पूर्व पंचायत समिति सदस्य सुरेश सिंह, पंच बृजेश सिंह, रत्नेश सिंह, राकेश कुमार, अखिलेश सिंह, पप्पू सिंह सहित बड़ी संख्या में किसान मौजूद थे।

इन पंचायतों के भू स्वामी बने सहभागी

किसान महापंचायत में गंगाजल, मिर्जापुर, बड़का-बगीचा, सुल्तानपुर, खरिका, बड़तारा, कसमर, रसूलपुर, लोदीपुर, पहलेजा सहित कई गांव के प्रभावित किसान एवं भूधारी सहभागी बने। उक्त गांव के किसान एवं भूधारी रोज-रोज भूमाफियाओं के गैर कानूनी कार्य एवं दलालों के षड्यंत्र से त्राहिमाम कर रहे हैं।

यहां के दलालों के सहयोग से भू माफिया गलत व्यक्ति और गलत दस्तावेज के आधार पर रोज गलत तरीके से जमीन की रजिस्ट्री कराकर नया विवाद पैदा कर रहे हैं। किसानों की जमीन पर भू माफिया जबरदस्ती दखल कब्जा कर रहे है। बिहार सरकार और निबंधन विभाग इस पर उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं।

जिसके कारण किसानों में रोष है।भारत सरकार और बिहार सरकार के कई नई परियोजनाओं में किसानों की जमीन कई किस्तों में ली गई और अब थोड़ी बहुत बची हुई जमीन पर इन भू माफियाओं की कुटिल निगाह है। ये गलत तरीके से फ़र्ज़ी दस्तावेजों के आधार पर किसानो की जमीन हड़प रहे हैं। वहीं रेल मंत्रालय के निर्धारित प्रावधान के तहत रेल पुल परियोजना के विस्थापित भूधारियों को नौकरी देने की प्रक्रिया पर अनावश्यक रूप से विवाद पैदा किया गया है।

जो किसान अपनी भूमि गंवाने के बाद दर- दर की ठोकर खा रहे हैं। किसी तरह से आर्थिक विपन्नता झेलते हुए न्यायालय की शरण में गए। पटना उच्च न्यायालय विस्थापित भूधारियों के पक्ष में निर्णय दिया। मगर रेल अधिकारियों के उदासीन रवैया के कारण अब भी मामला अधर में लटका है।

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