भगवान महावीर का जन्म पौराणिक वैशाली के बसोंकुंड में हुआ था

चुनाव आचार संहिता का भेंट चढ़ा इसबार वैशाली महोत्सव

गंगोत्री प्रसाद सिंह/हाजीपुर (वैशाली)। गणतंत्र की जननी वैशाली भगवान बुद्ध की कर्मभूमि के साथ ही जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर की जन्म भूमि भी है।

जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान महावीर का जन्म पौराणिक वैशाली के बसोंकुंड में हुआ था। खास यह कि 21 अप्रैल को महावीर जयंती है।वैशाली जिले के रहिवासियों के लिए आज का दिन गौरव का दिन है।

महावीर जयंती के अवसर पर यहां हर साल धूमधाम से आयोजित होने वाला वैशाली महोत्सव इस बार लोकसभा चुनाव की भेंट चढ़ गया है। सरकारी तौर पर आयोजित होने वाले तीन दिवसीय महोत्सव में जिले से लेकर राष्ट्रीय स्तर की कला हस्तियां अपने फन का जलवा बिखेरती रही है। इस बार यह सब यादों में ही रह जायेगा।

गणतंत्र की जननी वैशाली अपने ऐतिहासिक महत्व के कारण विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है। वैशाली तीर्थंकर महावीर की जन्मभूमि और महात्मा बुद्ध की कर्मभूमि के रुप में विख्यात है। बज्जिकांचल की मातृभाषा बज्जिका की जन्मस्थली वैशाली ही है। विश्व की अप्रतिम सुंदरी अम्बपाली वैशाली की नगर वधू और राजनर्तकी थी, जिसने बौद्ध धर्म स्वीकार कर बौद्ध भिक्षुणी बन गयी।

वैशाली के ऐतिहासिक महत्व से प्रभावित होकर तत्कालीन हाजीपुर के अनुमंडल पदाधिकारी जगदीश चंद्र माथुर ने वर्ष 1945 में वैशाली महोत्सव का शुभारंभ किया था। तीन वर्षों तक यह महोत्सव विभिन्न तिथियों पर आयोजित हुआ, लेकिन वर्ष 1948 से वैशाली महोत्सव तीर्थंकर महावीर के जन्मदिन पर आयोजित होने लगा। यह सिलसिला आज तक कायम है।

शुरु के दिनों में इस महोत्सव का उद्घाटन राष्ट्रीय स्तर के बड़े राजनीतिज्ञ तथा किसी खास विधा के ख्याति प्राप्त गणमान्यों द्वारा होता था। प्रथम वैशाली महोत्सव में राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर ने वैशाली पर रचित अपनी कविता पाठ किया था। अनेक लेखकों और कवियों ने वैशाली की गौरवपूर्ण महिमा का वर्णन किया है।

वैशाली के कवि महावीर प्रसाद शर्मा विप्लव का बज्जिका भाषा में लिखा महाकाव्य तीर्थंकर महावीर का प्रकाशन राष्ट्रीय बज्जिका भाषा परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष रामनरेश शर्मा के प्रयास से कवि के मरणोपरांत संभव हो पाया है।

इस महाकाव्य में वैशाली के प्राचीन वैभव का वृहत वर्णन है।
वैशाली के वासूकुंड में महावीर की जन्मस्थली पर एक भव्य भगवान महावीर का मंदिर है, जो दर्शनीय के साथ ही जैन धर्मालंबियो के लिए तीर्थस्थल है।

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