बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद भी हर जगह उपलब्ध है शराब

गंगोत्री प्रसाद सिंह/हाजीपुर (वैशाली)। बिहार में पूर्ण शराब बंदी कानून लागू हुए लगभग 7 वर्ष हो चुके हैं। इस दौरान शराब बन्दी कानून तोड़ने बाले लगभग 5 लाख मुकदमे दर्ज हो चुके हैं।

जानकारी के अनुसार बिहार में इस कानून के तहत 5 लाख से अधिक पियक्कड़ तथा धंधेबाज गिरफ्तार होकर जेल की हवा खा चुके हैं या अंदर सड़ रहे हैं।

बिहार में शराब बंदी कानून बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार की एक महत्वाकांक्षी योजना है। जिसके लाभ हानि का सरकार या किसी संस्था द्वारा कोई आंकलन अभी तक पेश नही किया गया है। इस कानून से सामाजिक स्तर पर थोड़ा बहुत लाभ जरूर मिला है, लेकिन सात साल बीत जाने के बाद भी बिहार में शराब बन्दी अभी तक नही हो सका है।

बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड, बंगाल, नेपाल, यूपी में जहां शराब की खुली बिक्री है वहां से शराब चोरी छुपे बिहार में रोज आ रहे हैं। इसके अलावे राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, अरुणाचल प्रदेश से शराब कन्टेनर और ट्रक से भर भर कर आ रहे हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार मध निषेध विभाग की ओर से बिहार पुलिस द्वारा रोज कहीं न कही ट्रक पर लदे अंग्रेजी शराब के खेप पकड़ रही हैं। फिर भी शराब का अवैध कारोबार बिहार में खूब फल फूल रहा है। राज्य सरकार चाह कर भी इसे बंद नही कर पा रही है।

ज्ञात हो कि 22 जून को समाहरणालय औऱ कचहरी परिषर हाजीपुर में आये सामाजिक कार्यकर्ता, अधिवक्ता और वुद्धिजीवियों से बिहार में लागू शराब बन्दी कानून के फायदे और नुकसान के मुद्दे पर बातचीत किया गया। अमूनन सभी ने शराब बन्दी कानून को अच्छा बताया, लेकिन सभी ने बिहार में शराब बंदी कानून को फेल बताया।

इस कानून से हुए फायदे या नुकसान के सम्बंध में वैशाली जिला पूर्व सैनिक संघ के महासचिव सुमन कुमार ने बताया कि बिहार में शराब बंदी कानून लागू होने के बाद लगभग 75 प्रतिशत पूर्व सैनिकों ने पूर्णतः शराब पीना छोड़ दिया है। नौकरी में रहने के दौरान सैनिकों को शराब पीने की आदत हो गई, जो धीरे धीरे जाएगी। उन्होंने बताया कि सेना के जवान को सफर या छुट्टी पर घर जाने वक्त 2 बोतल दारू का परमिट मिलता है।

लेकिन बिहार आने या सफर के दौरान बिहार से गुजरने पर अपने पास शराब नही रखने की अब हिदायत दी गई है। फिर भी असम से दूसरे राज्यो को आने जाने वाले जवान के पास बिहार से ट्रेन गुजरने के दौरान यदि उनके पास अंग्रेजी शराब की बोतल पाई जाती है तो उस जवान या अधिकारी को ट्रेन से उतारकर जेल भेज दिया जाता है।

यह दु:खद बात है। शराब बन्दी को इन्होने अच्छा बताया लेकिन अभी तक बिहार में यह पूर्णतः लागू नही हो सका है। उन्होंने कहा कि शराब का अवैध धंधा जबतक बन्द नही होगा यह कानून सफल नही होगा। इस कानून में सुधार की जरूरत है।

सोनपुर स्थित सबलपुर के सामाजिक कार्यकर्ता बिनोद राय ने शराब बन्दी कानून के नुकसान गिनाते हुए बताया कि इस कानून की वजह से राज्य सरकार को अब तक 50 हजार करोड़ का नुकसान हो चुका है। शराबबन्दी और बालू बन्दी के चक्कर मे हजारो युवा अपना जीवन बर्बाद कर चुके हैं। पुलिस और प्रशाशन में भ्रष्टाचार बढ़ा है। कुछ बड़े लोग और पुलिसकर्मियों को फायदा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की नीति सही नही है, जिस वजह से इस कानून का लाभ नही दिख रहा है।

सामाजिक कार्यकर्ता सह अधिवक्ता अरुण कुमार ने बिहार में लागू दारु बन्दी कानून को विफल बताते हुए कहा कि जब अवैध रूप से शराब हर जगह मिल रहा है तो फिर शराब बन्दी कानून का क्या औचित्य है। उन्होंने कहा कि सात साल में सरकार जब इस कानून को पूर्णरूपेण लागू नही कर पा रही है, लोग जहरीली शराब पीने से मर ही रहे हैं तो इस कानून के रहने से क्या फायदा।

इस कानून को वापस लेकर गुजरात राज्य में लागू शराब बन्दी कानून को लागू किया जाय औऱ पीने वालो के लिये परमिट सिस्टम की व्यवस्था लागू की जाये। इससे अवैध शराब का धंधा भी बंद होगा और लोग जहरीली शराब से भी नही मरेंगे।

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