सरकार के गले का फांस बना बिहार में शराब बंदी

गंगोत्री प्रसाद सिंह/हाजीपुर (बिहार)। बिहार (Bihar) में लागू शराब बन्दी कानून और कोरोना की वजह से जहाँ पटना उच्च न्यायालय में जमानत के आवेदन का अंबार लगा है, वही जेलों में कैदियों को ठूस ठूस कर रखा जा रहा है।

जानकारी के अनुसार वैशाली जिला मुख्यालय हाजीपुर (Vaishali district Headquarter Hajipur) में स्थित जेल में मात्र 1141 कैदियों के रखने की व्यवस्था है। वहां अभी 3 हजार के लगभग कैदी बन्द है। जिनमें शराब से जुड़े कैदियों की सँख्या अधिक है।

राज्य में शराब बन्दी कानून लागू होने के बाद सबसे अधिक शराब की बरामदगी वैशाली जिले में ही हुई है। वर्ष2021 में राज्य में सबसे अधिक 5 लाख लीटर से अधिक शराब बरामदगी का रिकार्ड वैशाली जिले के नाम ही है। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है, कि जिले में अवैध शराब का धंधा कितने जोरो पर है।

पुलिस (Police) द्वारा जो गिरफ्तारियां हुई है, उसमें शराब पीनेवाले या छोटे धंधे वाले ज्यादा है। बड़े धंधेबाज अपना ट्रक या माल छोड़कर भाग जा रहे हैं और गिरफ्तारी से बच जा रहे हैं।

इस शराब बन्दी कानून का दु:खद पहलू यह है कि बिहार से गुजरने वाली मेल ट्रेन में यात्रा कर रहे सेना और फोर्स के जवान जो दूसरे राज्यों को जा रहे होते हैं, वे भी शराब के साथ पकड़े जा रहे हैं।

अभी तक हाजीपुर रेल पुलिस द्वारा ट्रेन से एक सौ से ऊपर सेना और फोर्स के जवानों को शराब के साथ यात्रा करने के जुर्म में गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है, जिसमें सेना का एक मेजर भी शामिल है।
हाजीपुर जेल में अभी दर्जनों ऐसे कैदी महीनों से जेल में सिर्फ शराब पीने के आरोप में बंद हैं।

जानकारों के अनुसार शराब बन्दी कानून अच्छा हो सकता है, लेकिन इसके दुष्परिणाम अब सभी जगह दिखने लगा है। कोर्ट में शराब से सम्बंधित मुकदमों की भीड़ है, जिससे न्यायालय का और कार्य बाधित हो रहा है।

पूरा प्रशासन शराब बन्दी कानून लागू करवाने में लगा है। जिस वजह से अन्य अपराध बढ़ रहे हैं। इस कानून के चक्कर मे पड़ने वाला व्यक्ति किसी तरह पुलिस और जेल से बाहर आना चाहता है। जिस वजह से भ्रष्टाचार हर जगह बढ़ रहा है, लेकिन सरकार अपनी जिद पर है।

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