जेल अदालत में बंदियों को दी गई कानूनी जानकारी

ममता सिन्हा/तेनुघाट (बोकारो)। सर्वोच्च न्यायलय, झारखंड उच्च न्यायालय एवं प्रधान जिला जज बोकारो अनिल मिश्रा के निर्देशानुसार तेनुघाट जेल में 16 जून को कानूनी जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।

तेनुघाट व्यवहार न्यायालय के एसीजेएम मनोज प्रजापति के अगुवाई में जेल अदालत सह कानूनी जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। यहां बंदियों को संबोधित करते हुए प्रजापति ने कानूनी जानकारियां देते हुए डायन प्रथा अधिनियम के बारे में बताया।

साथ हीं कहा कि दहेज लेना और देना दोनों कानूनी अपराध है। इसलिए ऐसे अपराध से बचना चाहिए। डायन प्रथा अधिनियम के बारे में बताया कि किसी को डायन कहना अपराध है, जिसमें जेल भी जाना पड़ता है। डायन कमजोर, वृद्ध, विधवा महिलाओं को कहते हैं। उन्होंने अन्य कई तरह की कानूनी जानकारियां बंदियो को दी। बताया कि जेल में बंदियों को मिलने वाली सुविधाओं के बारे में जानकारी दी।

एसीजेएम ने बताया कि जेल जेल नहीं बल्कि सुधार गृह है, जहां से आप अपने गलतियों पर विचार कर उसे सुधार कर बाहर निकले। मुंसिफ शिवराज मिश्रा ने भी बंदियों को कानूनी जानकारियां देते हुए बताया कि जो बंदी अधिवक्ता नहीं रख सकते हैं, उनके आवेदन पर उन्हें न्यायालय द्वारा अधिवक्ता मुहैया कराया जता है।

ज्ञात हो कि उक्त शिविर में बंदियो द्वारा कोई भी आवेदन नहीं दिया गया था, इसलिए कोई भी बंदी को जेल से रिहा नहीं किया जा सका। बंदियों को जानकारी देने के बाद न्यायिक पदाधिकारी ने जेल में बंदी वार्ड, महिला वार्ड, रसोई घर सहित अन्य जगह का निरीक्षण किया।

मंच संचालन कर रहे अधिवक्ता सुभाष कटरियार ने बंदियों को दहेज अधिनियम, अधिकार एवं कर्तव्य सहित कानून की कई जानकारी दी। स्वागत भाषण तथा धन्यवाद ज्ञापन जेलर नीरज कुमार ने किया । पैनल अधिवक्ता देव दत्त तिवारी ने भी कई तरह की जानकारी दी। इस अवसर पर सुजय आनंद, विजय कुमार, मदन प्रजापति सहित जेल में मौजूद जेल प्रशासन ने भी अपनी अहम भूमिका निभाई।

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