डॉ. बच्चू भाई चौहान की 82वीं जयंती पर जुटे नेता और अभिनेता

अमेरिका, दिल्ली और गुजरात की हस्तियों ने की शिरकत

मुश्ताक खान/मुंबई। शिवसेना के पूर्व नगरसेवक और चेंबूर के शिल्पकारों में से एक स्व. डॉ. बच्चू भाई अर्जुन चौहान की 82वीं जयंती हर्षोल्लास के साथ होटल महाराणा इन में मनाई गई। लोक कल्याण का मिसाल कहलाने वाले स्व. डॉ. बच्चू भाई चौहान धार्मिक विचारों के स्वामी थे।

उन्होंने अपने कार्यकाल के आलावा निजी जीवन में सबसे अधिक महत्व शिक्षा को दी है। इसके लिए उन्होंने मुंबई से गुजरात, स्वराष्ट्र तक स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों की यथा संभव आर्थिक मदद करते रहे हैं। इतना ही नहीं स्व. डॉ. बच्चू भाई चौहान चेंबूर में स्थित दो कॉलेजों के ट्रस्टी भी रहे हैं।

गौरतलब है कि पूर्व नगरसेवक स्व. डॉ. बच्चू भाई अर्जुन चौहान शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे के करीबी लोगों में से एक थे। यही कारण था कि चुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को भरी मतों से हरा कर वे मनपा सदन में पहुंचे।

वर्ष 1985 से 1992 तक उन्होंने अपने कार्यकाल में लोगों की सेवा की और उनका विश्वास जीता, यही कारण है कि स्व. डॉ. बच्चू भाई अर्जुन चौहान को लगभग हर उम्र के लोग बाप्पू के नाम से अब भी संबोधित करते हैं। उनका जन्म 1 जून 1941 में गुजरात के भावनगर में हुआ था।

स्व. डॉ. बच्चू भाई चौहान अपने छात्र जीवन से ही सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया करते थे। हालांकि वर्ष 1966 में उन्होंने राजनीत में कदम रखा, और सबसे पहले शिवसेना के सदस्य बने। इसके बाद शिवसेना में सक्रिय भूमिका निभाने लगे, यही कारण था कि बाला साहेब ठाकरे ने उन्हें चुनावी मैदान में उतरा था। शिवसेना के लिए समर्पित बाप्पू को अब भी गर्व से याद किया जाता है।

मुंबई से गुजरात तक फैला था डॉ. बच्चू भाई चौहान का जाल

शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे के करीबी रहे डॉ. बच्चू भाई चौहान ने अपने जीवन काल में स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों, खास कर छात्राओं को आगे बढ़ाने के लिए यथा संभव आर्थिक मदद करते रहे थे।

उनहोंने अपने जीवनकाल में दर्जनों सामूहिक विवाह कराए, धर्म स्थलों की मदद की, महिलाओं की समस्याओं को गंभीरता से सुलझाना और जमीनी स्तर पर लोगों की मदद करना ही उनके जीवन का उद्देश्य रहा है।

उन्होंने मुंबई से स्वराष्ट्र तक लोगों की सेवाएं की है। इसके आलावा पारंपरिक खेलों को आगे बढ़ाने में अहम् भूमिका निभाई। अब उन्हीं के रह पर उनके बड़े पुत्र अनिल बच्चू भाई चौहान, विनोद बच्चू भाई चौहान और उनके चचेरे भाई प्रकाश नानूभाई चौहान, दीपक नानूभाई चौहान भी चल पड़े हैं। इन चारों भाइयों ने समाज में अपने अपने तरिके से पहचान बनते हुए, पूर्वजों के उद्देश्यों को जीवित रखा है।

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