रेलवे की नोटिस के खिलाफ ताल ठोकते कुर्लावासी

पात्र-अपात्र के चक्कर में दलाल और रेलवे के अधिकारी होंगे मालामाल

मुश्ताक खान/मुंबई। मध्य रेलवे ने कुर्ला स्टेशन (Kurla Station) से लेकर वर्मा सेल रेलवे लाइन होते हुए ट्रांबे यार्ड के किनारे बसे करीब 12 से 15 सौ दुकान, मकान, गोदाम और झोपड़ाधारकों को आपनी जमीन खाली करने का नोटिस देना शुरू कर दिया है।

इससे यहां के लोगों में हड़कंप मच गया है। करीब चार पांच दशक से बसे यहां के लोगों का कहना है कि रेलवे द्वारा इससे पहले तीन बार नोटिस दिया जा चुका है, इसके अलावा जिलाधिकारी द्वारा 1991 से लेकर अब तक तीन बार सर्वे भी किया हो चुका है।

लेकिन नतीजा शुन्य ही देखा जा रहा है। रेलवे द्वारा दिये गए नोटिस के बाद कुछ लोगों ने अदालत तो अधिकांश लोग राजनीतिक दलों की शरण में गए हैं। अब यहां के लोग रेलवे के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं।

मिली जानकारी के अनुसार मध्य रेलवे के सहायक मंडल अभियंता (रेलपथ) ने कुर्ला स्टेशन से लेकर वर्मा सेल लाईन होते हुए ट्रांबे यार्ड के किनारे बसे करीब 12 से 15 सौ दुकान, मकान, गोदाम और झोपड़ाधारकों को आपनी जमीन खाली करने का नोटिस दिया है।

अलग – अलग तारीख को दिये गए इस नोटिस में महज सात दिनों में झोपड़े या दुकानों को खुद के खर्च से तोड़ कर रेलवे की जमीन को खाली करने का आदेश दिया गया है। आदेश का पालन नहीं करने वालों पर दंडडात्मक कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी गई है। इस कड़ी में दिलचस्प बात यह है कि जिन लोगों को 21 दिसंबर या इससे पहले नोटिस जारी किया गया है।

उक्त नोटिस की मियाद पूरी हो चुकी है। इसके बाद भी नोटिस (Notice) देने का सिलसिला जारी है। रेलवे की नोटिस से साफ हो गया है कि यहां के अधिकारी व अभियंता खाना पूर्ति में जुटे हैं। चूंकि कुर्ला पूर्व की इन झोपड़पट्टियों के नागरीकों से निबटना रेलवे के बूते में नहीं है।

एक अन्य जानकारी के अनुसार लोकमान्य तिलक टर्मिनल से सटे साबले नगर और विद्या विहार में मध्य रेलवे के अतिक्रमण निषकन विभाग द्वारा करीब तीन साल पहले अवैध झोपड़ों को तोड़ गया था। लेकिन उक्त तोड़क कार्रवाई के दौरान अधिकारियों को लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा और वहां के लोगों को जगह भी मुहैया करानी पड़ी थी।

चार किलोमिटर में है अतिक्रमण

कुर्ला पूर्व स्टेशन परीसर से लेकर इंदिरा नगर, राजीव गांधीनगर, इंदिरा नगर विकास मंडल, शिवशक्ति नगर, मारोली चर्च, सरदार वल्लभभाई पटेल नगर, शरद नगर, इस्लामपूरा, जय हिंदनगर, शंकर देवल, लाल डोंगर आदि वर्मा सेल रेलवे लाइन से सटे बने झोपड़ों के अलग-अलग लोग अपने अपने स्तर पर जुगाड़ बैठा रहे हैं।

कयास लगाया जा रहा है कि नोट बंदी और कोरोना काल से प्रभवित लोग पूरी तरह टुट चुके हैं। ऐसे में अगर लोगों का आशियाना छीन गया तो क्या होगा? इन्हीं कारणों से कोई अदालत की शरण ले रहा है तो कोई राजनीतिक दलों के नेताओं से गूहार लगा रहा है।

दशकों से बसे लोगों के पास हैं दस्तावेज

वर्मा सेल रेलवे लाइन (Railway Line) के किनारे बसे लोगों के पास 1983 , से लेकर 2021 तक अनेक दस्तावेज हैं, इन दस्तावेजों में फोटो पास, राशनकार्ड, बिजली बील, वोटर कार्ड, मनपा और कलेवटर कार्यालयों को झोपड़ों के भुक्तान की रशीदें आदि सुरक्षित हैं।

उपरोक्त नगरों में मिली जुली समाज व संस्कृति के लोग रहते हैं। इन झोपड़पट्टियों में कोरोना काल के बाद से शिक्षित और बेरोजगारों की संख्या में इजाफा देखा जा रहा है। इसके बाद भी लोग किसी तरह अपना व अपने परीवार की जीविका चला रहे हैं। ऐसे में अगर घर या जीविका चलाने के साधन पर हमला हुआ तो लोग सड़कों पर उतर सकते हैं, यानी आंदोलन तय है।

क्या कहता है रेलवे का नियम

रेलवे के अनुसार अतिक्रमित स्थान के बदले अतिक्रमणकारियों को मुफ्त जगह मुहैया कराने का कोई प्रवधान नहीं है। इसके लिए राज्य सरकारें रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण कर बने दुकान, मकान, गोदाम या झोपड़पट्टियों के रहिवासियों को कहीं भी पनाह दे सकती है।

ऐसे में अगर राज्य सरकार ने हाथ उठा लिया तो कोई रास्ता नहीं है। रेलवे के नियमानुसार आबादी वाले इलाके में रेल पटरियों से हट कर सुरक्षा दिवार होनी चाहिए, जो कि उपरोक्त इलाकों में कहीं भी नहीं है।

ऐसे में सवाल यह उठता है कि जिन लोगों ने मनपा या जिलाधिकारी को अपने झोपड़ों के बदले में हर तरह के टैक्स जमा किये हैं उनका क्या होगा? इसके अलावा अतिक्रमित झोपड़ाधारकों से मनपा या कलेवटर कार्यालय के अधिकारियों ने झोपड़ों के बदले टैक्स क्यों लिया।

क्या कहते हैं नेता व समाजसेवक

मध्य रेलवे की इस नोटिस से कुर्ला पूर्व स्थित स्टेशन से लेकर ट्रांबे यार्ड तक के झोपड़ाधारकों में कुछ लोग शांत हैं। लेकिन अधिकांश लोगों का कहना है कि यह सब चुनावी शगूफा है। चूंकि मनपा का चुनाव जल्द ही होने वाला है। इसे देखते हुए क्षेत्र के नेता और समाजसेवक लोगों को अश्वासन दे रहे हैं। यानी एक तीर से दो निशाना साध रहे हैं।

चुंकि आने वाले मनपा चुनाव (Municipal election) में इन्हीं वोटरों के मत से उन्हें कुर्सी तक पहुंचना है। कयास लगाया जा रहा है कि अगर रेलवे ने लोगों के साथ सख्ती बरती तो लोग चुनाव का बहिष्कार भी कर सकते हैं। इसे लेकर सावधानी भी बरती जा रही है।

रेलवे की नोटिस के बाद दलाल सक्रिय

मध्य रेलवे द्वारा नोटिस दिये जाने के बाद नागरिकों में अफरा-तफरी का माहोल है। इसे देखते हुए दो तरफा दलाल सक्रिय हो गए हैं। इनमें कोई कम किमतों पर झोपडो का सौदा करने में व्यस्त है तो कोई फर्जी तरीके से दस्तावेज तैयार कराने में जुटा है।

क्योंकि चुनाव आदि को देखते हुए अगर राज्य सरकार (State Government) ने हामी भरी तो, जो पात्र होगा उसे झोपड़ों की जगह एक घर ही मिलेगा। चाहे उसका झोपड़ा कितना भी बड़ा या चार मंजिला क्यों न हो। ऐसे में कुर्ला की जनता रेलवे और दलालों के भंवर में गोता लगा रही है।

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