जेएमएम, कांग्रेस और बीजेपी को आदिवासी हितों से कोई लेना देना नहीं है-पूर्व सांसद

फिरोज आलम/जोनामोड़ (बोकारो)। देश और प्रदेश संविधान कानून से चलता है। मगर लगता है झारखंड प्रदेश इसका अपवाद है। वर्तमान संदर्भ झारखंड में नगर निकाय चुनाव और उससे जुड़े संवैधानिक और कानूनी पहलू से जुड़ा हैं। उक्त बातें पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने 21 नवंबर को बोकारो दौरे के क्रम में कही।

उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 ZC के तहत पांचवी अनुसूची के अधीन शेड्यूल एरिया में नगर निकाय चुनाव वर्जित है। जब तक उसमें संविधान के अनुच्छेद 243 ZC (1) के तहत संसद अनिवार्य संशोधन लाकर पेसा पंचायत कानून-1996 की तरह नगर निकाय चुनाव का शेड्यूल एरिया में विस्तारीकरण कानून पारित नहीं करती है। अतः यह संविधान का प्रथम दृष्टया उल्लंघन है।

परन्तु दुर्भाग्य है कि झारखंड का ब्यूरोक्रेसी और चुनाव आयोग से जुड़े वरिष्ठ पदाधिकारियों को इसकी समझ है या नहीं? चूँकि यह मामला आदिवासियों से जुड़ा हुआ है, तो शायद उनके बीच संवेदनशीलता की कमी स्वभाविक है। संवेदनहीन बने हुए हैं। इस मामले को झारखंड के राज्यपाल को भी गंभीरता से देखना जरूरी है।

क्योंकि राज्यपाल पांचवी अनुसूची क्षेत्र और अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों के अभिभावक व् प्रोटेक्टर हैं। राष्ट्रपति को जानकारी प्रेषित कर दिया गया है।

उन्होंने कहा कि सर्वाधिक दुर्भाग्यपूर्ण विडंबना यह है कि झारखंड में कार्यरत बड़ी राजनीतिक दल- झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी आदि भी इस गंभीर संवैधानिक और कानूनी मामले पर अपनी समझ और प्रतिक्रिया व्यक्त करने के बदले केवल चुनाव में भाग लेने की आपाधापी में जुट गए हैं।

अर्थात इन्हें भी संविधान कानून और आदिवासी हितों से कोई लेना देना नहीं है। लेना देना है तो केवल वोट और नोट से। जो दुखद एवं चिंता का विषय है। अन्ततः अबुआ दिशोम अबुआ राज का हाल बेहाल है। अतः आदिवासी समाज को खुद एकजुट संघर्ष का रास्ता अपनाना होगा।

पूर्व सांसद ने कहा कि हेमंत सरकार द्वारा अवैध मकानों को वैध बनाने की घोषणा भी जंगल राज को स्थापित करने जैसा है। चूँकि इससे सीएनटी/एसपीटी कानून के अपराधियों को चोर दरवाजा मिल जायेगा। लगता है झारखंड में संविधान और आदिवासियों के प्रति सभी बड़ी पार्टियां बेकार हैं। आदिवासी बिरोधी हैं।

 133 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *