दिल्ली, पंजाब और केरल तक झारखंड की बिजली लेकिन राज्य में अंधेरा

टीवी कलाकार सह फुसरो की बेटी पूजा शर्मा ने उठाए सवाल

एन. के. सिंह/फुसरो (बोकारो)। झारखंड में स्थापित पावर प्लांटों से कुल क्षमता प्रतिदिन 4826 मेगावाट बिजली उत्पादित करने की है। फिलहाल, रोजाना 4246 मेगावाट बिजली उत्पादित भी हो रही है। राज्य को मात्र 1246 मेगावाट बिजली ही मिल पा रही है।

शेष 3000 मेगावाट बिजली दिल्ली, पंजाब और केरल को चली जाती है। उक्त बातें उक्त बातें टीवी कलाकार पूजा शर्मा ने 14 जून को बोकारो जिला के हद में फुसरो बाजार शर्मा कॉलोनी स्थित अपने आवास में बातचीत क्रम में प्रेस को जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि इधर, बढ़ती गर्मी के बीच झारखंड में बिजली की मांग 2600 मेगावाट तक बढ़ गयी है। जिसमें से बमुश्किल 2200 से 2300 मेगावाट तक की ही आपूर्ति की जा रही है। ऐसे में लगातार लोड शेडिंग हो रही है। कुल मिलाकर बेरमो, बोकारो सहित झारखंड में ‘चिराग तले अंधेरा’ वाली स्थिति है।

उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार (Jharkhand Government) को प्रयास करना चाहिए कि फुसरो, बोकारो सहित पूरे झारखंड में 24 घंटा लोगों को बिजली उपलब्ध हो। झारखंड में डीवीसी के चार और टाटा पावर के दो पावर प्लांट हैं। डीवीसी से उत्पादित 2000 मेगावाट में 600 मेगावाट बिजली ही झारखंड को मिल पाती है।

शेष बिजली दिल्ली और पंजाब को जाती है। टाटा पावर के जोजेबेड़ा से उत्पादित बिजली टाटा स्टील (Tata Steel) को मिलती है। वहीं, टाटा पावर व डीवीसी के संयुक्त उपक्रम मैथन पावर से 1000 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है। यहां से बिजली केरल, दिल्ली व पंजाब राज्यों को जाती है।

लेकिन, झारखंड को नहीं मिलती है, क्योंकि झारखंड के साथ पावर परचेज एग्रीमेंट नहीं है। आधुनिक पावर से उत्पादित बिजली में 188 मेगावाट झारखंड को मिलती है। इनलैंड पावर से 63 मेगावाट बिजली झारखंड को मिलती है। वहीं, टीवीएनएल से 380 मेगावाट बिजली झारखंड को ही मिलती है।

एकता की भावना से अखंड भारत का निर्माण संभव-पूजा शर्मा

फुसरो की बेटी एवं टीवी कलाकार पूजा शर्मा ने बातचीत के क्रम में बताया कि सभी देशों से भारत श्रेष्ठ देश है, जहां अलग अलग भाषा व संस्कृति के बावजूद हम एक सूत्र में बंधे हैं। राष्ट्र की एकता व अखंडता को बनाये रखने के लिए हम सभी तत्पर हैं। एकता व अखंडता के बगैर किसी देश का विकास संभव नहीं है।

एकता ही महान शक्ति है। इसी से अखंड भारत का निर्माण संभव है। देश के सभी घटकों को भिन्न-भिन्न विचार, आस्था के होते हुए भी आपसी प्रेम, एकता,भाईचारा बना रहे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एकता केवल शारीरिक नजदीकियों से नहीं बनती, बल्कि मानसिक, बौद्धिक, वैचारिक भावना से भी निकटता होनी चाहिए।

देश की अखंडता का मतलब केवल मतभेद न हो ऐसा नहीं है। बल्कि जो सुखद एवं सबके हित में हो और सभी के लिए स्वीकार्य हो। सभी नागरिक राष्ट्र प्रेम से ओतप्रोत हों। सभी में यह भावना हो कि हम सबसे पहले भारतीय हैं, इसके बाद हिदू, मुसलमान, सिख और ईसाई। हमारे देश की यह महानता है कि यहां धार्मिक स्वतंत्रता है। सभी को बराबर कर दर्जा मिला है।

इससे हमारे देश की अखंडता का पता चलता है। इसे बनाये रखने के लिए महापुरुषों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। उन्हीं के बलिदान से हमारा राष्ट्र ध्वज गर्व के साथ लहरा रहा है। हमें अपने देश की एकता व अखंडता पर गर्व करना चाहिए।

टीवी कलाकार शर्मा ने कहा कि जाति धर्म के अनुसार सभी का रहन सहन, संस्कृति, परंपरा अलग अलग है। इसके बीच भी राष्ट्र में एकता व अखंडता बनी हुई है। भारत की अखंडता में सबसे बड़ी बाधा देश में धार्मिक विषमता है। धर्मांधता के चलते भावनात्मक एकता में बाधा उत्पन्न होती है। धर्म के आधार पर एक दूसरे को नीचा दिखाना, धार्मिक कट्टरता और उन्माद के चलते पूरा विश्व त्रस्त है।

सभी बाधाओं को तभी दूर किया जा सकता है। जब हम स्कूलों के पाठ्यक्रम में बदलाव लाएं। विद्यार्थियों को नैतिकता का पाठ पढ़ायें। राष्ट्र के महत्व पर चर्चा कर वर्तमान व भविष्य के संबंध में बताकर उनमे देश भक्ति की भावना जागृत करें। तभी एक भारत श्रेष्ठ भारत का सपना साकार हो सकता है।

उन्होंने कहा कि भारत (India) में विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों और संप्रदाय को बराबर का दर्जा मिला है, क्योंकि सभी धर्मों का सार एक ही है। इस लिए हमारा राष्ट्र धर्म निरपेक्ष है। देश की आजादी के समय धार्मिक कट्टरवाद के चलते देश के टुकड़े हुए। राजनीतिक लाभ के लिए देश की अखंडता को ठेस पहुंचाया गया।

अब भी देश में जाति, धर्म के आधार पर समाज को बांटने का प्रयास किया जाता रहा है। भाषा व क्षेत्र के नाम पर हिंसा हो रही है। यह सामाजिक संतुलन को भी बिगाड़ रहा है। इससे क्षेत्र वाद व जाति वाद को बढ़ावा मिल रहा है। इससे समाज कई हिस्सों में बंट जाता है।

वास्तव में किसी भी चीज को मुद्दा बनाकर समाज में फूट एवं हिंसा फैलाई जाती है, इससे राष्ट्रीय एकता पर बुरा असर पड़ता है। किसी भी सभ्य और लोकतांत्रिक राष्ट्र (Democratic nation) के निर्माण के लिए जाति, धर्म, लिग, आर्थिक स्थिति के आधार पर भेदभाव नहीं कर सभी से समान व्यवहार करना चाहिए।

आज बड़ा प्रश्न है कि जाति धर्म के नाम पर समाज, राज्य और देश को बंटने से कैसे रोका जाये। इसके लिए सबसे पहले तो हम दूसरे की भावना, संस्कृति व परंपरा का सम्मान करें। तभी अनेकता में एकता व देश की अखंडता को बरकरार रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य की सरकार को काम करने दे, तभी देश का समुचित विकास हो सकता है।

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