ठाकुर अनुकूलचंद्र का 136वाँ अविर्भाव दिवस पर जनमोत्सव का आयोजन

मनुष्य का गंतव्य ईश्वर प्राप्ति है-ऋत्विक अमरनाथ ठाकुर

सिद्धार्थ पांडेय/जमशेदपुर (झारखंड)। पश्चिमी सिंहभूम जिला के हद में बड़ाजामदा सत्संग विहार बोकना में ठाकुर अनुकूल चंद्र का 136वाँ अविर्भाव सह जनमोत्सव पूरे श्रद्धा व हर्षो उल्लास के साथ मनाई गई।

सुंदर झलक में रूपांतरित जय गुरु श्रीश्री ठाकुर अनुकूल चंद्र को याद करने के लिए बडाजामदा, गुवा व नोवामुंडी के अतिरिक्त बड़बील (ओडिसा) व अन्य आसपास के सैकड़ो श्रद्धालु यहां एकजुट दिखे।

इस अवसर पर कार्यक्रम की शुरुआत में प्रातः कालीन प्रभात फेरी, संवेदक प्रार्थना, ग्रंथ पाठ, जन्म लग्न प्रार्थना की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बोकना सत्संग बिहार प्रभारी सह ऋत्विक अमरनाथ ठाकुर ने कहा कि मनुष्य का गंतव्य ईश्वर प्राप्ति है।

सत्संगी को यजन एवं याजन का महत्व बताते हुए उसे अनुकरण करने के लिए उन्होने प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि ईश्वर के आदेश का पालन करने वाला एवं जन कल्याण के कार्य करने वाला व्यक्ति सदैव ईश्वर से जुड़ा होता है। मनुष्य को मानव शरीर बहुत ही सौभाग्य से प्राप्त होता है। अतः मानव को जन कल्याण के कार्य करते रहना चाहिए।

नोवामुंडी के सत्संगी सुबोध बढ़ाईक द्वारा बेहतर सेवा, त्वरित सहयोग व जनकल्याण के लिए परम प्रेममय पिता श्रीश्री ठाकुर अनुकूल चन्द्र के बनाए मार्ग पर चलने के लिए सबों को प्रेरित किया गया। उन्होंने कहा कि मानव में मानवीय गुणो का संचार करने व जन कल्याण के लिए सदैव अग्रसर रहना चाहिए।

इस अवसर पर बोकना सत्संग बिहार ठाकुर अनुकूल चन्द्र के दर्शनार्थ के साथ ही घर – घर में भगवान श्रीराम के संस्कारों को जागृत करने के लिए बताया गया। सियाल जोड़ा के विश्वामित्र महतो ने भी ठाकुर अनुकूल चन्द्र के बताए गए मार्ग की चर्चा की।

कार्यक्रम में भजन कीर्तन के साथ-साथ धर्म सभा, मातृ सम्मेलन व भंडारा का आयोजन किया गया। अंत में संध्या प्रार्थना व ग्रंथ प्रार्थना के उपरांत कार्यक्रम की समाप्ति की घोषणा की गई। सत्संग के लिए आगमन एवं एकजुट होने से सबो में अपार ख़ुशी देखी गयी।

इस अवसर पर दीक्षा समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें दर्जनों श्रद्धालुओं को दीक्षा दिया गया। साथ हीं चेतना शक्ति बढ़ाने, परमात्मा से सीधा संपर्क करने का ज्ञान दिया गया। दीक्षा समारोह के बाद उपस्थित सभी श्रद्धालुओं ने भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया।

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