भारतीय इतिहास का सबसे क्रुरतम रहा है जलियावाला बाग कांड-भागीरथ शर्मा

एस. पी. सक्सेना/बोकारो। सीपीएम (माकपा) बेरमो लोकल कमिटी के तत्वावधान में 13 अप्रैल को जालियांवाला बाग हत्याकांड के स्मृति मे बोकारो जिला (Bokaro district) के हद में फेज टू सीटू कार्यालय प्रांगण में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। सभा की अध्यक्षता बेरमो लोकल कमिटी के वरिष्ठ सदस्य टेकामन यादव ने की।

सभा में सर्वप्रथम पार्टी के जिला सचिव कॉमरेड भागीरथ शर्मा ने शहीदों के चित्र पर माल्यार्पण किया। मौके पर कॉ अख्तर खान, कमलेश गुप्ता, रेणु दास, तापेश्वर ठाकुर, रीणा पासवान, मंजू देवी, सुमित्रा देवी, कन्हाई शर्मा, सुरेश शर्मा, समीर सेन सहित अन्य गणमान्यों ने भी जलियावाला बाग के अमर शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित किया।

इस अवसर पर पार्टी के बोकारो जिला सचिव सह राज्य कमिटी सदस्य भागीरथ शर्मा ने कहा कि 13 अप्रैल 1919 भारतीय इतिहास का सबसे क्रुरतम दिन रहा है।

इस दिन यानि 13 अप्रैल 1919 को हजारों की संख्या में निहत्थे जनता, दो स्वतंत्रता सेनानी सत्यपाल और सैफुद्दिन किचलू की गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए अमृतसर के जालियांवाला बाग में एकत्र हुए थे। तत्कालीन कार्यवाहक ब्रिगेडियर जनरल रेजिनाल्ड-ओ डायर ने ब्रिटिश सेना को निहत्थे भीड़ पर बेरहमी से गोली चलाने का आदेश दिया था।

कॉ शर्मा के अनुसार डायर की ब्रिटिश सेना ने घटना के समय जालियावाला बाग के सभी तरफ के रास्ते बंद कर दिये थे, ताकि कोई बच न सके। शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे निहत्थे जनता पर बेरहमी से गोलियां चलाई गई। छोटे बच्चों को भी नहीं बख्शा गया था।

खुद को बचाने के लिए लोगों ने बाग के कुएं में छलांग लगा दी, लेकिन देखते देखते पूरा बाग लाशों से पट गया। तब साम्राज्यवादी अंग्रेजी सेना द्वारा किया गया इस बर्बर घटना ने पूरे भारतीयों को झकझोर कर रख दिया था। घटना से मर्माहत रविंद्र नाथ टैगौर ने नाईटहूड का पदवी त्याग दिया था।

उन्होंने कहा कि जालियांवाला बाग के खून के धब्बे आज भी चीखते हैं। निहत्थों की लाचारी आज भी हम सब को सताती है। देश की आजादी के लिए चुकाई गई सबसे बड़ी कीमत जालियांवाला बाग कांड है। उन शहीदों की याद में 103 वें वर्ष पर पुरा राष्ट्र नतमस्तक है।

उन्होंने कहा कि भारी कुर्बानी से प्राप्त की गई आजादी की रक्षा हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। आज हमारी आजादी और आजाद भारत का संविधान खतरे में है। सांप्रदायिक शक्तियां हमारी एकता को कमजोर कर रही है। विविधता में एकता हमारी ताकत है। इसकी रक्षा आज देश की जरूरत हैं।

श्रद्धांजलि सभा में अख्तर खान, रेणु दास, सुमित्रा देवी, तापेश्वर ठाकुर, मिथुन महतो, सुरेश यादव, राजेंद्र सा़व आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये। मौके पर उपरोक्त के अलावा शहादत अंसारी, रीना पासवान, उर्मिला देवी, रूपलाल कमार, समीर सेन, मंजू देवी, जीतन मांझी, जावा देवी सहित दर्जनों गणमान्य उपस्थित थे।

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