भौतिक से अधिक वैचारिक आपदाओं को नियंत्रित करना जरूरी : अनिल तिवारी

प्रहरी संवाददाता/मुंबई। मेरा मानना है कि भौतिक आपदाओं से अधिक वैचारिक आपदाओं को नियंत्रित करना बहुत महत्वपूर्ण है। इसके तहत सबसे पहले आइडियोलॉजी जर्नलिज्म (Ideology Journalism) को समाप्त करने की जरूरत है, क्योंकि यह अब खतरनाक मोड़ पर पहुँच गया है।

यह वक्तव्य दोपहर सामना के स्थानीय संपादक अनिल तिवारी ने मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम (Program) के दौरान कहीं। उन्होंने यह भी कहा कि फर्जी खबरों को चलाया जा रहा है। इसे भी कहीं न कहीं अंकुश लगाया जाना चाहिए।

आजादी के अमृत महोत्सव के तहत मुंबई में मीडिया पैनल स्फीयर इंडिया (Media Panel sphere India) द्वारा कार्यक्रम आयोजित किया गया था। मीडिया की भूमिका पर आयोजित चर्चा का संचालन वरिष्ठ पत्रकार और अनेक अखबारों के संपादक रह चुके और कॉमनवेल्थ थॉट लीडर्स फोरम के संस्थापक ओंकारेश्वर पांडे ने किया।

इंडियन ऑब्जर्वर पोस्ट के प्रधान संपादक ओंकारेश्वर पांडेय ने कहा कि आपदाओं के कवरेज के लिए मीडिया कर्मियों का प्रशिक्षण कराए जाने की सख्त जरूरत है। इसके साथ ही आपदाओं के दौरान सरकार समेत राहत पहुंचाने वाली सभी एजेंसियों को प्रभावितों की त्वरित मदद के लिए मीडिया (Media) के साथ मिलकर काम करने की जरूरत है।

मीडिया दिखाएगा तभी प्रभावितों को तुरंत राहत मिल सकेगी। इसमें नकारात्मकता ढूंढने की आवश्यकता नहीं है। पत्रकार अभय मिश्रा ने कहा कि मीडिया मुख्य रूप से आपदा और विपदा पर ध्यान केंद्रित करेगा। दोनों पर सामूहिक रूप से ध्यान दिया जाएगा।

पत्रकार राजीव रंजन ने कहा कि आपदा टीमों के पास अक्सर मीडिया के साथ जानकारी साझा करने के साधनों की कमी होती है। जानकारी वास्तविक समय में आबादी तक नहीं पहुंचती है।

एक ऐसा तंत्र विकसित किया जाना चाहिए जिसमें मीडिया के साथ सूचना साझा की जाए। पत्रकार ओम प्रकाश तिवारी ने कहा कि आपदाओं की रिपोर्ट करते समय व्यावहारिक चुनौतियां हैं।

मीडिया के लोगों के रूप में हमें तत्काल चुनौतियों को देखते हुए आपदाओं की रिपोर्टिंग के लिए अपनी रणनीति बनाने की जरूरत है। पत्रकार अभिमन्यु शितोले ने कहा कि आपदा हमेशा समग्र रूप से समाज द्वारा सामना किया जाता है, जो परिस्थितियां उत्पन्न होती हैं। हम किसी भी हितधारक को दोष नहीं दे सकते।

पत्रकार विश्वरथ आर. नायर ने कहा कि नवी मुंबई (Mumbai) में बाढ़ के अलावा कोई आपदा नहीं आई है। नवी मुंबई दूसरों के लिए एक मॉडल के रूप में काम कर सकती है क्योंकि इसमें एक तंत्र है।

पत्रकार पूर्णिमा सूर्यवंशी ने कहा कि सोशल मीडिया (Social media) आजकल आपदाओं के लिए एक मेक या ब्रेक स्थिति है। समाचार जंगल की आग की तरह फैलते हैं, लेकिन गलत संचार अतिरिक्त नुकसान है। इस दौरान पत्रकार प्रसाद काथे,  किशोर शाही सहित कई पत्रकार उपस्थित थे।

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