पुलिस संरक्षण में फल फूल रहा है कोयले का अवैध कारोबार

जनता त्रस्त, पुलिस वाले व् अवैध धंधेबाज मस्त

एस. पी. सक्सेना/धनबाद (झारखंड)। वर्तमान प्रशासनिक व्यवस्था इतनी ढुलमुल हो गई है कि आम जनमानस तो दूर मीडिया कर्मियों से भी इन दिनों नजरें चुराते दिख रही है धनबाद पुलिस। यह कोई दंत कथा नहीं बल्कि हकीकत है झारखंड के धनबाद पुलिस की।

जानकारी के अनुसार पूरे धनबाद जिले में कोयला तस्करी चरम पर है। रात की बात तो छोड़िए, दिन-दहाड़े यहां अवैध कोयले के धंधेबाज ट्रको एवं ट्रैक्टरों में अवैध सुरंगों से निकाले गए कोयला लोड कर बाहर की मंडियों सहित यहां के कई हार्ड कोक फैक्ट्री में उक्त अवैध कोयला भेजकर मालामाल हो रहे हैं।

बानगी के तौर पर धनबाद जिला के हद में महोदा थाना के भाटडीह में बीते दिनों कुछ ऐसी दृश्य दिखा कि आम जनता उस दृश्य को देखकर दांतो तले उंगली दबाने को विवश हो जाएगी। यहां भाटडीह शिव मंदिर से लेकर रिवर साइड तक वन भूमि पर दर्जनों अवैध सुरंग बनाकर अवैध धंधेबाज सुरंग के भीतर व बाहर दोनों तरफ बोरा में कोयला भरकर उसे ट्रैक्टर में लोड कर रहे थे।

इस संबंध में स्थानीय भाटडीह ओपी प्रभारी वीरेंद्र कुमार से संपर्क करने का प्रयास किया गया। बावजूद इसके ओपी प्रभारी ने मीडिया कर्मियों से मिलना तो दूर फोन रिसीव करना भी मुनासिब नहीं समझा। इस संबंध में बाघमारा डीएसपी तथा धनबाद एसएसपी संजीव कुमार से उनके मोबाइल पर कई बार रींग होने के बाद भी उन्होंने ना तो कॉल रिसीव करना उचित समझा और ना ही बाद में रिटर्न कॉल किया।

इस बाबत डीआईजी कोयला क्षेत्र मयूर पटेल से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि वह इसकी सूचना एसएसपी धनबाद तक पहुंचा दे रहे हैं। आप उनसे संपर्क कर लें। मीडिया कर्मी डीआईजी पटेल के निर्देश पर धनबाद स्थित एसएससी कार्यालय पहुंचे।

जहां एसएसपी नदारद दिखे। मीडिया कर्मी इस मामले को ग्रामीण एसपी से उनके मोबाइल पर संपर्क कर इस संबंध में जानकारी देते हुए मिलने की बात कही। महिला एसपी ने मीडियाकर्मियों से मिलने में असमर्थता जताते हुए दूसरे दिन भेंट करने की बात कही।

आश्चर्य यह कि एसएसपी कार्यालय में लगे बोर्ड और वहां के थानों में लगे बोर्ड में कहीं भी किसी भी पुलिस अधिकारी का संपर्क नंबर नहीं लिखा था। जिसके कारण आम रहिवासियों का कहना है कि न्याय पाने के लिए उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

इसकी तस्दीक करने को लेकर मीडिया कर्मियों द्वारा बोर्ड में उल्लिखित जितने भी नंबर थे सभी में संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन हास्यास्पद यह है कि उल्लिखित कोई भी नंबर सेवा में उपलब्ध नहीं था। ऐसे में यह माना जा सकता है कि पुलिस प्रशासन पूरी तरह से बेलगाम है। अवैध धंधेबाजो की चांदी कट रही है और जनता त्रस्त है।

खास यह कि थक हार कर मीडिया कर्मियों को धनबाद जिला उपायुक्त से संपर्क करना पड़ा। उपायुक्त (Deputy Commissioner) ने मामले में संज्ञान लेने की बात कही। अब देखना यह है कि क्या अब भी अवैध धंधेबाज अपना चेहरा चमकाते रहेंगे अथवा सलाखों के पीछे जाएंगे? बहरहाल धनबाद जिला में जहां एक ओर यहां की जनता त्रस्त है, वहीं पुलिस वाले व् अवैध धंधेबाज मस्त हैं।

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