शिशु मंदिर में संकुल स्तरीय त्रिदिवसीय आचार्य प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

एन. के. सिंह/फुसरो (बोकारो)। बोकारो जिला के हद में फुसरो स्थित अनपती देवी सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में 31 मार्च को संकुल स्तरीय त्रिदिवसीय आवासीय आचार्य प्रशिक्षण वार्षिक कार्यशाला का समापन किया गया।

कार्यशाला में मुख्य रूप से कस्तूरबा संकुल के चार विद्यालय सरस्वती शिशु मंदिर ढोरी, सरस्वती शिशु मंदिर मकोली, शिशु मंदिर पिछरी एवं स्थानीय विद्यालय अनपति देवी सरस्वती शिशु विद्या मंदिर के सभी आचार्य एवं दीदी के लिए उक्त प्रशिक्षण का आयोजन किया गया था।

जिसका शुभारंभ बीते 29 मार्च को वंदना सभा में धनबाद विभाग के विभाग प्रमुख विवेक नयन पांडेय, विद्यालय के सचिव अमित कुमार सिंह, कोषाध्यक्ष दीपक कुमार अग्रवाल, प्रधानाचार्य पंकज कुमार मिश्रा द्वारा सामूहिक रूप से दीप प्रज्वलन एवं पुष्पार्चन के साथ प्रारंभ किया गया था। कार्यक्रम में कस्तूरबा संकुल के चार विद्यालय के लगभग 60 आचार्य एवं दीदी उपस्थित थे।

कार्यशाला के समापन के अवसर पर अपने अभीभाषण में धनबाद विभाग के प्रमुख विवेक नयन पांडेय ने कहा कि हम सभी आचार्य दीदी का मुख्य भूमिका सिर्फ भैया बहनों को शिक्षा देना नहीं है। अपितु उनका मुख्य दायित्व विद्यालय और विद्यालय में उपस्थित विभिन्न प्रकार की सामग्रियां, विभिन्न प्रकार के विभाग का मूल्यांकन करना, रखरखाव करना और आने वाले समय में एक अच्छा प्लान बनाकर अपने कार्य का निर्वहन करना है।

इसके लिए सभी आचार्य व् दीदी को पूरे तन मन धन से इस प्रशिक्षण में सहयोग करना होगा। ढोरी प्रधानाचार्य परमानंद सिंह, मकोली प्रधानाचार्य गणेश कुमार पाल, पिछरी प्रधानाचार्या झरना चटर्जी ने भी विचार व्यक्त की।

कार्यशाला के प्रथम सत्र में सभी पंजीयन संचिकाओं एवं अभिलेख को व्यवस्थित किया गया। द्वितीय सत्र में सभी अभिलेखों को व्यवस्थित एवं अद्यतन किया गया। तृतीय सत्र में सभी प्रकार के विभागों का बंटवारा किया गया। दिवस प्रमुख एवं कक्षाचार्य के दायित्व का बोध कराया गया। चतुर्थ सत्र में सभी विभागों के कार्यों की समीक्षा की गई एवं सामग्रियों की सूची बनाई गई। पंचम सत्र में सत्र 2023 -24 की विस्तृत समीक्षा की गई एवं सबल व् निर्मल विषयों पर विचार विमर्श किया गया।

कार्यशाला के द्वितीय दिवस के उद्घाटन सत्र में चारों विद्यालय के प्रधानाचार्य एवं स्थानीय विद्यालय के सचिव अमित कुमार सिंह, ढोरी विद्यालय के अध्यक्ष ओम शंकर सिंह मुख्य रूप से उपस्थित थे। प्रथम सत्र अमित सिंह द्वारा लिया गया, जिसमें विद्यालय के प्रति एक आचार्य, दीदी के कर्तव्य पर प्रकाश डाला गया।

द्वितीय सत्र में स्थानीय विद्यालय के प्रधानाचार्य पंकज कुमार मिश्रा द्वारा सत्र लिया गया। जिसमें कक्षा कक्ष में एक आचार्य की भूमिका पर प्रकाश डाला गया। तृतीय सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में श्री अरविंदो सोसाइटी के अध्यक्ष मधुसूदन सिंह, स्थानीय विद्यालय के कोषाध्यक्ष दीपक कुमार अग्रवाल मुख्य रूप से उपस्थित थे। मुख्य अतिथि द्वारा योग एवं अध्यात्मिक विषय पर प्रकाश डाला गया।

कार्यशाला में बताया गया कि अपने आप को जानना ही अध्यात्म है। आचार्य का एक विशेष गुण होना चाहिए कि वह भैया बहन के साथ-साथ पूरे समाज को अध्यात्म के साथ जोड़ने में मदद करें। चतुर्थ सत्र के मुख्य अतिथि के रूप में आनंद प्रजापति शिक्षा विभाग में क्लस्टर रिसर्च पर्सन के रूप में कार्यरत हैं, उनके द्वारा गणित को किस प्रकार सरल बनाया जाए इस विषय पर प्रकाश डाला गया।

पंचम सत्र में कस्तूरबाश्री विद्या निकेतन ढोरी के प्राचार्य रण सुमन सिंह, मारवाड़ी महिला समिति के अध्यक्ष मानसी अग्रवाल, शिशु मंदिर ढोरी के अध्यक्ष ओम शंकर सिंह, सुमित बंसल सचिव ढोरी शिशु मंदिर उपस्थित थे। इस सत्र में कस्तूरबा के प्रधानाचार्य द्वारा सत्र लिया गया। जिसमें उन्होने प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षण विषय पर प्रभावी ढंग से प्रकाश डाला।

जिसमें उन्होंने कहानी और इतिहास के माध्यम से स्पष्ट करने का प्रयास किया कि किस प्रकार मां के गर्भ से ही एक बच्चे का शिक्षा प्रारंभ हो जाता है। हम सभी आचार्य दीदी का परम कर्तव्य है, कि हम बच्चे को एक शेर के जैसा निडर, साहसी, संवेदनशील प्राणी बनाने का प्रयास करें।

तृतीय दिवस के प्रथम सत्र प्रधानाचार्य द्वारा लिया गया। जिसमें उन्होंने विभिन्न विषय के विभाग को पंजीकरण कराना, वार्षिक कार्य योजना पर चिंतन करना, अभिभावक सम्मेलन, दादा-दादी, नाना नानी कार्यक्रम का क्रियान्वयन करना, विभिन्न विषयों का प्रशिक्षण आयोजित करना, पूरे वर्ष भर का समय सारणी बनाना इत्यादि विषय पर प्रकाश डाला गया।

द्वितीय सत्र मकोली सरस्वती शिशु मंदिर के अध्यक्ष अखिलेश कुमार सिंह द्वारा लिया गया जिसमें उन्होंने एक शिक्षक का कर्तव्य क्या होता है, इस पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि सबसे पहले खुद पर अनुशासन बनाए रखना, सभी छात्रों में परिवर्तन लाना, पाठ्यक्रम बनाने की योजना पर चर्चा करना, विभिन्न विषयों पर विचार करना शामिल है।

उन्होंने भूगोल विषय पर यह बताने का प्रयास किया कि किस प्रकार से सरल से सरल शब्दों में भैया बहनों को हम समझा सकते हैं। उदाहरण स्वरूप उन्होंने अक्षांश एवं देशांतर रेखा का आकलन किस प्रकार किया जाए उसके बारे में बताएं।

तृतीय सत्र विद्यालय के सचिव धीरज कुमार पांडेय द्वारा लिया गया। जिसमें उन्होंने विद्यालय का संचालन किस प्रकार किया जाता है, इस पर प्रकाश डाला। स्थानीय विद्यालय की वरिष्ठ आचार्य सुनील चंद्र झा के द्वारा कार्यक्रम की सफलता का अनुभव विषय पर प्रकाश डाला गया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार हम सभी आचार्य प्रधानाचार्य से मिलकर योजना को बनाते हैं।

आचार्य टीम गठित करते हैं। तब विद्यालय व्यवस्था से संबंधित सभी विषयों को क्रियान्वित करते हैं। संपूर्ण विद्यालय व्यवस्था में अनुशासन को बनाए रखने का भरपूर प्रयास किया जाता है।

कार्यक्रम के समापन सत्र में अभिभावक प्रतिनिधि रीमा सिंह, कस्तूरबा विद्यालय के सचिव धीरज पांडेय, स्थानीय विद्यालय के कोषाध्यक्ष दीपक अग्रवाल, मकोली शिशु मंदिर के अध्यक्ष अखिलेश सिंह, स्थानीय विद्यालय के सचिव अमित कुमार सिंह, उपाध्यक्ष रामनरेश द्विवेदी, कस्तूरबाश्री विद्या निकेतन के सचिव धीरज कुमार पांडे मुख्य रूप से उपस्थित थे।

जिसमें कार्यक्रम को सफल बनाने वाले स्थानीय विद्यालय के सभी कर्मचारी, बंधु, भगिनी को आए हुए सभी अतिथियों द्वारा अंग वस्त्र देखकर सम्मानित किया गया। प्रशिक्षण में प्रशिक्षु के रूप में चार विद्यालय से उपस्थित सभी आचार्य व् दीदी को डॉक्यूमेंट बेग एवं श्याम दुपट्टा उपहार स्वरूप प्रदान किया गया। कार्यक्रम के अंत में प्रधानाचार्य पंकज कुमार मिश्रा ने कहा कि विद्या भारती विद्यालय द्वारा हर संभव प्रयास किया जाता है, कि हम इस प्रकार की राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली का विकास करें।

जिसके द्वारा ऐसी युवा पीढ़ी का निर्माण हो सके। जो हिंदुत्वनिष्ठ एवं राष्ट्रभक्ति से ओत प्रोत हो, शारीरिक प्राणिक मानसिक बौद्धिक एवं माध्यमिक दृष्टि से पूर्ण विकसित हो। आचार्य प्रशिक्षण में हम सभी आचार्यों द्वारा यही प्रयास किया गया, कि आने वाले समय में हम बच्चों को इस प्रकार की शिक्षा दे पाएं। विद्यालय के सचिव अमित कुमार सिंह द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया। त्रिदिवसीय आचार्य कार्यशाला का समापन राष्ट्रगीत के साथ किया गया।

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