ईश्वर दोनों रूपों में है साकार और निराकार-आचार्य दिनेशाचार्य

एस. पी. सक्सेना/बोकारो। बोकारो जिला के हद में बेरमो प्रखंड के जारंगडीह स्थित दुर्गा मंडप में बीते 29 अप्रैल से 6 मई तक आयोजित 61वां श्रीराम चरित मानस नह्वान पारायण यज्ञ में अयोध्या धाम से पधारे राम कथा वाचक मर्मज्ञ विद्वान जगतगुरु श्यामनंदांचार्य स्वामी राम दिनेशाचार्य द्वारा लगातार यज्ञ प्रवचन तथा श्रद्धालुओं में अध्यात्म ज्ञान का विस्तार करने में लगे हैं।

स्वामी दिनेशाचार्य महाराज ने 3 मई की संध्या सीसीएल के कथारा अतिथि गृह में पत्रकारों से विशेष भेंट में कहा कि ईश्वर साकार तथा निराकार दोनों रूपों में है। उन्होंने कहा कि वायु को हम महसूस करते हैं।

पानी में तरंग व बुलबुले निकलते हैं, लेकिन इस जल को ठंडा होने पर वह ठोस रूप धारण कर लेता है, ईश्वर भी उसी प्रकार साकार और निराकार दोनों रूपों में है। उन्होंने कहा कि धर्म के जागरण में भगवान श्रीराम मानव समाज के लिए एक आदर्श रूप है। श्रीराम के जीवन चरित्र के प्रचार प्रसार से ही समाज में व्यभिचार, न्यूनता, बिखराव, आपस में मतभेद में कमी आएगी।

इसलिए उन्होंने 10 साल के अल्पायु से ही वर्ष 2007 से श्रीराम कथा में लगे हैं। जगह-जगह धर्म प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि श्रीराम मानव जीवन के लिए प्रेरक हैं। राम कथा जीवन का आधार है। कथाओं के श्रवण करने से धर्म की उन्नति होगी।

स्वामी दिनेशाचार्य महाराज ने कहा कि आज चहुंओर व्यभिचार, सामाजिक पतन, पारिवारिक मतभेद, धर्म के प्रति न्यूनता के कारण समाज में बिखराव आ गया है। मानव जीवन भ्रष्टाचार के दलदल में डूबता जा रहा है। ऐसे में यह सोंच बन गया है कि सत्यवादी हरिश्चंद्र और भगवान श्रीराम सबके घर में हो लेकिन हमारे घर में ना हो। यह मानव में संकुचित सोंच का परिचायक हैं।

उन्होंने गायत्री परिवार द्वारा किए जा रहे धर्म प्रचार को उत्तम बताया, लेकिन स्त्रियों के जनेऊ धारण कराने को गैर धार्मिक विधि करार दिया। कहा कि हमारी पौराणिक सभ्यता और संस्कृति में स्त्रियों का जनेऊ धारण करना शामिल नहीं है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि गायत्री परिवार बेहतर तो कर रही है लेकिन समाज को भटकाव की ओर ले जा रही है, जो कहीं से उचित नहीं है।

स्वामी जी ने कहा कि हम भूख को जिस तरह अनुभव करते हैं, उसी प्रकार निराकार परब्रह्म है। जबकि जल सेवन करते हैं वह दृष्टिपात है। इस प्रकार ईश्वर साकार रूप भी है।

कहा कि सूर्य की रोशनी हम ग्रहण करते हैं, सूर्य अपनी रोशनी जिस प्रकार पृथ्वी के कण-कण को प्रभावित करता है, उसी प्रकार ईश्वर भी कण कण में वास करता है। यही कारण है कि भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने बराह रूप धारण कर खंभो का फाड़कर हिरणकश्यप जैसे अधर्मी का नाश किया था।

कर्म और धर्म में बड़ा कौन के संबंध में पूछे जाने पर आचार्य ने कहा कि दोनों ही हितकारी है। बिना कर्म का धर्म की कल्पना नहीं की जा सकती, लेकिन कर्म सात्विक होना चाहिए। इसलिए दोनों ही मानव समाज के हित के लिए जरूरी है।

वर्तमान केंद्र की मोदी सरकार तथा यूपी की योगी सरकार की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा कई सामाजिक हित और राष्ट्रीय हित के लिए बेहतर कार्य किया जा रहा है। आमजन व्यवस्था से संतुष्ट है।

सनातन धर्म की रक्षा के लिए टाट में रह रहे भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या नगरी में भगवान श्रीराम को उचित आसन प्रदान किया है, इसलिए इस सरकार को पुनः इस बार स्थापित करने के लिए सनातन धर्मी को एकता का रूप धारण कर चुनाव में साथ देने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि विद्वता पीएम डॉक्टर मनमोहन सिंह में भी था, लेकिन तब देश में सर्वत्र भ्रष्टाचार का बोलबाला था। कोयला घोटाला, टू जी, थ्री जी, अस्त्र खरीद में भ्रष्टाचार का बोलबाला था। इसलिए पुनः भाजपा की सरकार देश में बनाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि उनके गुरु जगतगुरु स्वामी हरयाचार्य जी महाराज वर्ष 2007 में साकेतवासी (स्वर्गवासी) हो गए। उन्ही की प्रेरणा के बाद से उन्होंने प्रवचन कार्य का बागडोर संभाला और तब से धर्म कार्य के लिए पूरे देश में प्रचार प्रसार में लगे हैं। इस अवसर पर उनके साथ अयोध्या धाम से पधारे उनके अनन्य भक्त उमेश दास तथा कृपाशंकर दास उपस्थित थे।

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