देवराज इंद्र के गर्व हरण के लिए भगवान ने रचा गोवर्धन लीला, शुरु की गिरिराज पूजा

श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन

अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। भगवान श्रीकृष्ण ने देवराज इन्द्र के गर्व हरण करने की नीयत से ही बृजवासियों को गिरिराज की पूजा करने के लिए प्रेरित किया था।

सारण जिला के हद में हरिहरक्षेत्र सोनपुर के प्रसिद्ध श्रीगजेन्द्र मोक्ष देवस्थानम् नौलखा मन्दिर में 22 जुलाई को पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन उक्त उदगार व्यक्त किये।

लक्ष्मणाचार्य महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं के वृतांत के साथ-साथ भगवान श्रीकृष्ण द्वारा बाल्यावस्था में हीं पूतना राक्षसी सहित अन्य राक्षसों के वध किए जाने की घटना का सांगोपांग वर्णन किया। उन्होंने गोवर्धन पूजा प्रकरण पर कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने देवराज इन्द्र के गर्व हरण करने की नीयत से ही बृजवासियों को गिरिराज की पूजा करने के लिए प्रेरित किया था।

इन्द्र के प्रकोप से बचाने के लिए अपनी ऊंगली पर गिरिराज को धारण कर समस्त बृजवासियों की रक्षा की थी।उन्होंने कहा कि इस संसार में कोई किसी का नहीं होता। परमात्मा से नाता जोड़ कर ही इस भवसागर से पार पाया जा सकता है।

ना घर तेरा ना घर मेरा, यह तो चिड़िया रैन बसेरा

स्वामी लक्ष्मणाचार्य महाराज ने ना घर तेरा ना घर मेरा, यह तो चिड़िया रेन बसेरा एक दिन उड़ जाना है दोहे की व्याख्या करते हुए कहा कि हरि नाम का सुमरिन करने के लिए कल का इंतजार नहीं करना चाहिए। जीवन में सुख-दु:ख की लहर आती- जाती रहती है। इसलिए प्रभु भक्ति में लीन रहते हुए अपने दुखों को भूल जाना चाहिए।

श्रद्धालुओं ने लिया श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह का आध्यात्मिक रसास्वादन

कथा व्यास जगतगुरु स्वामी लक्ष्मणाचार्य ने भागवत कथा के क्रम में श्रीकृष्ण और रुक्मिणी के विवाह की अमृत वर्षा का रसास्वादन श्रद्धालुओं को कराया। श्रीमद्भागवत कथा के दौरान बीच-बीच में झांकियां प्रस्तुत की गई, जिनमें श्रीकृष्ण एवं रुक्मिणी विवाह उत्सव की मनोहर झांकी को भक्तगण देखते नहीं अघाए।

भगवान श्रीकृष्ण-रुकमणी विवाह का समस्त श्रद्धालु भक्तजनों ने आनन्द लिया। कथा विराम होने पर मन्दिर प्रबंधन द्वारा जलेबी का प्रसाद वितरण किया गया। प्रसाद वितरण में समाजसेवी लाल बाबू पटेल, दिलीप झा, रतन कुमार कर्ण, मंदिर प्रबंधक नन्द कुमार बाबा का सराहनीय सहयोग रहा।

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