प्रहरी संवाददाता/सारण (बिहार)। सारण जिला मुख्यालय छपरा सहित जिला के हद में विभिन्न प्रखंडक्षेत्र में सूर्योपासना का महापर्व छठ 8 नवंबर को संपन्न हो गया। जिले के विभिन्न नदियों, पोखरों, नहरों एवं दरवाजों तथा कुओं पर हजारों छठ व्रतियों ने व्रत के तीसरे दिन अस्ताचलगामी और चौथे दिन 8 नवंबर की सुबह उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर अपनी संतति वृद्धि, सुख-शांति और समाज की मंगल कामना की।
सारण जिला से गुजरने वाली गंगा- गंडकी, मही एवं सरयू नदियों पर बने छठ घाटों पर जानेवाले तमाम सड़कों की पर्याप्त सफाई की गई थी। बिजली के नन्हें रंग बिरंगी बल्बों से संपूर्ण सड़क मार्ग के दोनों ओर सजावट किया गया था। ऐसा भव्य एवं दुर्लभ दृश्य अन्य किसी भी पर्व में नहीं दिखता। घाटों पर सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था की गई थी। किसी भी अनहोनी से बचने के लिए नदी तटों के आसपास लाइसेंसी नौकाओं एवं गोताखोरों को तैनात किया गया था।
सोनपुर के पहलेजा धाम में गंगा नदी किनारे बने घाटों पर छठ व्रतियों ने उगते हुए भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया। मही नदी किनारे राहर दियारा – नजरमीरा, सबलपुर में भी छठ व्रतियों ने अस्थाई घाटों पर भगवान सूर्य और छठी माई की पूजा-अर्चना की। मही नदी किनारे बने इन विविध घाटों को भी सजाया गया था। यहां अर्घ्य देने वाले व्रतियों की भी बड़ी भीड़ थीं।
सबलपुर में गंगा एवं गंडक नदियों के किनारे हजारों की संख्या में छठ व्रतियों ने विविध घाटों पर अस्ताचल गामी एवं उदयाचल भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया। सबलपुर राम घाट से जगन्नाथ घाट तक सड़क के दोनों किनारों को भव्य तरीके से सजाया गया था। यहां नारायणी नदी किनारे अस्थाई घाट बनाकर ग्रामीणों ने छठ पूजा संपन्न किया। जगन्नाथ घाट मंदिर के पास छठ मईया, भगवान सूर्य एवं व्रतियों की मूर्ति स्थापित की गई थी। यहां रात भर स्थानीय कलाकारों ने एक से बढ़कर एक छठ व्रत के गीतों की प्रस्तुति से भक्ति की सरिता प्रवाहित कर दी।
इस अवसर पर व्रतियों के परिजन अपने माथे पर पूजन सामग्री और विविध प्रसादों से भरी टोकरी उठाकर नंगे पैर घाट पहुंचे। पूजा की समाप्ति के बाद उसी तरह अपने -अपने घर लौटे। छठ पर्व पर दरवाजों, मोहल्लों से लेकर नदी किनारों तक यानी पूरे इलाके में छठ पूजा के पारंपरिक गीत गूंजते रहे। सभी सड़कें दुल्हन की तरह सजी थी।
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