IDBI के निजीकरण के विरोध में कर्मचारी संघ

शुरू हुवा देशव्यापी आंदोलन

प्रहरी संवाददाता/मुंबई। बदहाली के दौर से गुजर रहे देश में केंद्र सरकार (Central Government) द्वारा एक के बाद एक सरकारी संस्थानों को निजीकरण करती जा रही है। वहीं संस्थानों के बचाओ में कर्मचारियों द्वारा निजीकरण के विरोध में धरना प्रदर्शन और आंदोलन जारी है, लेकिन सरकार (Government) सुनने को तैयार नहीं है।

रेलवे आदि के बाद केंद्र सरकार आईडीबीआई बैंक (IDBI Bank) को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी में है। आईडीबीआई बैंक के निजीकरण के विरोध में ऑल इंडिया आईडीबीआई ऑफिसर्स एसोसिएशन और कर्मचारी एसोसिएशन द्वारा 4 मार्च से देश व्यापी आंदोलन शुरू हो गया है। चूंकि केंद्र सरकार के अड़ियल रवैये की वजह देश खोखला होता जा रहा है।

गौरतलब है कि आईडीबीआई बैंक और केंद्र सरकार में कार्यरत कर्मचारियों और अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले
ऑल इंडिया आईडीबीआई ऑफिर्सस एसोसिएशन (All India IDBI  के जेनरल सेक्रेटरी ए वी वट्ठल के राव और कर्मचारी एसोसिएशन के जेनरल सेक्रेटरी रत्नाकर वानखेडे ने साफ किया है कि ओनिडा के एलआईसी जे़ आईडीबीआई बैंक 45 . 48 प्रतिशत और 49 प्रतिशत हिस्से दरी है।

24 प्रतिशत शेयरधारिता वाली प्रवर्तक निजी कंपनियों को बैंक की प्रस्तावित बिक्री के खिलाफ कर्मचारी संघों ने आंदोलन शुरू कर दिया है। 25 फरवरी 2022 से शुरू हुए आईडीबीआई बैंक के स्टेक सेल रोड शो का देशव्यापी विरोध 4 मार्च 2022 से देशभर में शुरू हो गया है।

आईडीबीआई बैंक में केंद्र सरकार का यह कदम तत्कालीन माननीय वित्त मंत्री द्वारा संसद के दोनों सदनों में क्रमश 15 दिसंबर 2003 को लोकसभा और राज्यसभा में दिए गए आश्वासन के बिलकुल विपरीत है। केंद्र सरकार ने वादा किया था कि आईडीबीआई की बैंक में 51 फीसदी से कम हिस्सेदारी नहीं होगी।

आईडीबीआई बैंक इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया 1964 से 2004 तक देश में विभिन्न उद्योगों की जरूरतों को पूरा करने वाला एक विकास वित्तीय संस्थान था। आईडीबीआई बैंक का देश के औद्योगिक विकास और बुनियादी ढांचे में हमेशा बड़ा योगदान रहा है। वर्ष 2004 से आईडीबीआई बैंक में तब्दील हो गया है।

यह एक वाणिज्यिक बैंक है जो आम आदमी की व्यक्तिगत और वित्तीय जरूरतों को पूरा करता है। इस बैंक का नेटवर्क अब पूरे देश में फैला हुआ है और देश भर में 1,407 केंद्रों में इसकी 1,886 शाखाएं और 3,393 एटीएम हैं। 48 प्रतिशत शेयरधारिता के साथ एक प्रमोटर के रूप में, आम जनता को आईडीबीआई बैंक में पूर्ण विश्वास है।

31 दिसंबर, 2021 तक आईडीबीआई बैंक में जमा राशि 2 ,22 ,578 करोड़ रुपये थी। ऐसे में अगर आईडीबीआई बैंक को निजी कंपनियों को बेचा जाता है तो आम लोगों की मेहनत की कमाई को बड़ा खतरा होगा। इससे लाखों लोग बेरोजगार होंगे। इसके अलावा और भी बहुत कुछ है,जो फ़िलहाल भविष्य के गर्व में छिपा है।

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