आदिवासी सेंगेल द्वारा भर्रा में मणिपुर के सीएम का पुतला दहन

फिरोज आलम/जैनामोड़ (बोकारो)। बोकारो जिला के हद में भर्रा बस्ती में आदिवासी सेंगेल‌ अभियान के तहत मणिपुर में दो आदिवासी महिलाओं के साथ हुई दुर्व्यवहार के विरोध में 22 जुलाई की संध्या मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह का पुतला दहन किया गया। जिसका नेतृत्व बोकारो जोनल संयोजक जयराम सोरेन के नेतृत्व में किया गया।

पुतला दहन में मौजूद झारखंड प्रदेश संयोजक सुगदा किस्कू ने कहा कि मणिपुर में बीते 4 मई की वीडियो द्वारा जो कुछ देश के सामने आया है। वह दिल को दहलाने वाला है। पीड़ादायक है। मानवता को शर्मसार करता है। किस्कू ने कहा कि इसके लिए और अबतक जारी हिंसा के लिए राज्य सरकार को दोषी मानना गलत नहीं होगा। अतएव हमारी मांग है कि मणिपुर सरकार को अविलंब बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए।

उन्होंने मणिपुर हिंसा के पूरे प्रकरण को सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज या सुप्रीम कोर्ट के निगरानी में सीबीआई से जांच कराये जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि चूँकि अब तक मणिपुर हिंसा के पीछे बहुसंख्यक ऊंची मैतेई जाति का प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष समर्थन हो सकता है। मुख्यमंत्री भी इसी जाति से हैं। यह जाति अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त करने को व्याघ्र है। जिससे पहले से अनुसूचित जनजाति सूची (एसटी) में शामिल कुकी एवं अन्य जातियों के समक्ष मरता क्या नहीं करता वाली स्थिति बना दी गई है।

कहा कि एसटी की मांग के लिए हुए प्रदर्शन के दौरान पूर्व में असम की राजधानी गुवाहाटी के बेलतोला में 24 नवंबर 2007 को एक आदिवासी महिला लक्ष्मी उरांव को भी नंगा कर सारेआम अपमानित किया गया था। उक्त कांड के अपराधियों पर अब तक ना कोई जांच हुई ना सजा। यह मामला भी असम के झारखंडी आदिवासियों द्वारा लगभग 10,000 की संख्या में असम की राजधानी गुवाहाटी के बेलतोला में एक जनसभा और रैली के दौरान हुई थी। इसके पीछे असम सरकार के हाथ होने का शंका बनता है। इसकी भी सीबीआई जांच अनिवार्य है।

मौके पर मौजूद सेंगेल बोकारो जिलाध्यक्ष सुखदेव मुर्मू ने कहा कि मणिपुर हिंसा के पीछे असली मकसद आदिवासियों के अस्तित्व, पहचान और हिस्सेदारी का मामला छिपा हुआ है। इसे देश को गंभीरता से समझने की जरूरत है। अन्यथा आदिवासियों का नरसंहार निश्चित है। आदिवासियों को प्रदत्त संवैधानिक आरक्षण के बगैर उन्हें न्याय, सुरक्षा और समानता नहीं मिल सकती है।

मगर यदि कतिपय ऊंची जातियां और बड़ी संख्या वाली जातियां खुद अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा हड़प कर आदिवासी आरक्षण के कवच में घुसपैठ करेंगे तो असली आदिवासियों का नरसंहार निश्चित है।

मुर्मू ने कहा कि फिलवक्त मणिपुर हिंसा को शांत करने के लिए अन्य सभी उपयोगी उपायों पर त्वरित क्रियान्वयन की जाय। आदिवासी सेंगेल अभियान की मांग है कि किसी भी नई जाति को एसटी का दर्जा देने की प्रक्रिया को अगले 30 वर्षों तक बंद रखा जाए। साथ ही किसी भी नई जाति को एसटी में शामिल करने के पूर्व यह गारंटी करना जरूरी है कि पूर्व से शामिल असली एसटी का अस्तित्व, पहचान, हिस्सेदारी आदि अक्षुण रखा जा सके।

पुतला दहन में सेंगेल छात्र मोर्चा के अध्यक्ष कोमल किस्कू, सेंगेल महिला मोर्चा चास प्रखंड महासचिव सविता मरांडी, चास नगर निगम सेंगेल‌ अध्यक्ष लवली किस्कू, सेंगेल परगना चास प्रखंड जलेश्वर किस्कू, कृष्णा किस्कू, राजकुमार किस्कू, सरिता किस्कू, नेहा मुर्मू, सोनी किस्कू, खुशबू किस्कू, पार्वती किस्कू, मीना किस्कू, लक्ष्मी मुर्मू, साधमती किस्कू, लक्ष्मी किस्कू, रिंकी हेम्बरम, राज हांसदा, विशाल किस्कू, सोनी टुडू आदि महिला पुरुष शामिल थे।

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