गांवों में पेयजल संकट गहराया बुंद बुंद पानी को लेकर भटक रहे ग्रामीण

मुखिया, पंसस, जिप सदस्य, विधायक, सांसद व् पदाधिकारी किए हैं मौन धारण

एस. पी. सक्सेना/लातेहार (झारखंड)। लातेहार जिला के हद में चंदवा प्रखंड में शहर से लेकर गांव तक पेयजल के लिए एक साल से ग्रामीणों में हाहाकार मचा है। ग्रामीण बुंद बुंद पानी को लेकर भटक रहे हैं। वहीं मुखिया, पंसस, जिप सदस्य, विधायक, सांसद और पदाधिकारी मौन धारण किए हुए हैं।

जानकारी के अनुसार चंदवा प्रखंड के दर्जनों गांवो का आलम यह है कि आम जनता को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है। इस संबंध में माकपा नेता अयूब खान ने 10 सितंबर को बताया कि यहां एक वर्ष से न खराब चापानल की मरम्मत हो रही है न ही जलमीनार बनाए जा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि गांवों में लगातार चपानल और जलमीनार खराब हो रहे हैं। इसे ठीक करने के लिए कोई प्रयास होता नहीं दिख रहा है। गांव में पेयजल व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है।

ज्ञात हो कि, इस मामले में क्षेत्र के जन प्रतिनिधि मुखिया, पंसस, जिप सदस्य, विधायक, सांसद समेत प्रशासनिक पदाधिकारी का ध्यान इस ओर नहीं है। सभी मौन धारण कर लिए हैं।

किसी का ध्यान है भी और वे इन समस्याओं को उठाते भी हैं तो उनकी सुनी नही जा रही है। पदाधिकारियों और जन प्रतिनिधियों द्वारा समस्याओं से मुंह मोड़ लेने से समस्याओं से घिरे ग्रामीण जनता अपने आपको को अकेला और ठगा महसूस कर रहे हैं।

माकपा नेता तथा कामता पंचायत के पंचायत समिति सदस्य अयुब खान ने भुसाढ गांव का दौरा कर पेयजल की गंभीर संकट देखकर कहा कि चंदवा प्रखंड के कामता पंचायत में एक वर्ष से करीब तीन दर्जन से अधिक चापानल व कई जलमीनार खराब है।

यही स्थिति सभी पंचायतों की है। उन्होंने कहा कि चापानल नहीं बनने से गांवों में पेयजल संकट गहराया हुआ है। समस्या समाधान की मांग को लगातार नजर अंदाज किया जा रहा है।

खान कहते हैं कि यदि खराब पड़े चापानलों और जलमीनार को तत्काल दुरुस्त नहीं किया गया तो प्रशासन को गांवों में टेंकर से पानी पहुंचाना पड़ेगा, अन्यथा ग्रामीण रहिवासी पेयजल को लेकर आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

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