नौ सूत्री मांगों को लेकर विस्थापित प्रभावित संघर्ष मोर्चा ने दिया धरना

ममता सिन्हा/तेनुघाट(बोकारो)। तेनुघाट (Tenu ghat) एवं कोनार जलाशयों को उद्योग का दर्जा देने एवं स्थानीय विस्थापितों को नियोजित करने, गैरमजरूआ खास और रैयती भूमि के सरकारी रशीद निर्गत करने, टीटीपीएस विस्थापितों से अर्जित की गई भूमि को रैयतों को वापस करने सहित नौ सूत्री मांगों को लेकर अनुमंडल मुख्यालय तेनुघाट के समक्ष बेरमो अनुमंडल विस्थापित संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष सह झारखंड आंदोलनकारी अजहर अंसारी (Ajahar Ansari)  के नेतृत्व में विस्थापितों ने एक दिवसीय धरना दिया। इस दौरान विस्थापितों के द्वारा अपनी मांगों को लेकर जमकर नारेबाजी की गई।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल समाज सेविका दयामनी बारला ने कहा कि हम झारखंडी आंदोलन कर अलग राज्य के रूप में झारखंड को पाया है। हमारे आंदोलन का मुख्य उद्देश्य जल जंगल और जमीन पर छीने गए अधिकारों को वापस पाना है। ग्रामीणों और किसानों को गैरमजरूआ खाते की भूमि और वनवासी मूलवासी का वन भूमि के अंदर रैयतों के अधिकार की भूमि को जबरन वन विभाग द्वारा छीनकर हम रैयतों को प्रताड़ित किया जा रहा है। बारला ने कहा कि अनेक बिजली कारखाना एवं उद्योगों के खुलने के बावजूद लाखों धरतीपुत्र बेरोजगार हो गए हैं। वे रोजगार की तलाश में झारखंड से बाहर जाकर बंधुआ मजदूर बनने को मजबूर हो गए हैं। प्रत्येक सप्ताह ऐसे मजदूरों के आकस्मिक निधन की खबरें भी आती रहती हैं। साथ ही कहा कि जमींदारी उन्मूलन 1954 के बाद हल्का भू राजस्व कर्मचारी रैयतों को जमीदारों द्वारा दी गई रसीद देखकर दूसरा रसीद काटते थे। जमाबंदी में उनका नाम दर्ज करते थे। जमींदारी उन्मूलन 1954 में भी गैरमजरूआ खाते की भूमि पर जिन किसानों का कब्जा था, उन्हें बेदखल न कर उस भूमि पर उनका मालिकाना हक कायम रखा। कहा कि अपने हक और अधिकार मांगने पर विभिन्न कम्पनियों द्वारा स्थानीय रैयतों एवं विस्थापितों पर पुलिस द्वारा लाठी चलाया जाता है, जो गलत है। विस्थापितों की नौ सूत्री मागों पर सरकार अविलम्ब पहल करें, अन्यथा विस्थापित पुरजोर तरीके से आंदोलन चलाने पर मजबूर हो जाएंगे।
मौके पर समाजसेविका ज्योति भेंगरा, दुलारचंद पासवान, आलम अंसारी, नकुल हांसदा, मोहमद जिलानी, चिड़न रविदास सहित कई वक्ताओं ने अपने-अपने विचार वयक्त किया।

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