मानदेय वृद्धि व् सरकारी कर्मी का दर्जा की मांग को लेकर आशा कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन

धरना को भाकपा माले, एक्टू, महासंघ गोपगुट का समर्थन

एस. पी. सक्सेना/समस्तीपुर (बिहार)। आशा कार्यकर्ताओं को 10 हजार रूपये मानदेय देने, राज्य कर्मी का दर्जा देने, बकाया राशि का भुगतान करने, नियमित पारिश्रमिक देने समेत अन्य मांगों को लेकर 4 जुलाई को आशा कार्यकर्ता एवं फैसिलिटेटर द्वारा समस्तीपुर जिला सिविल सर्जन कार्यालय पर जमकर प्रदर्शन किया गया।

इससे पूर्व बिहार राज्य आशा संघ के बैनर तले समस्तीपुर जिला के हद में विभिन्न प्रखंडों से जुटकर बड़ी संख्या में आशा कर्मियों ने स्टेडियम गोलंबर से जुलूस निकाला। जुलूस नारा लगाते हुए सदर अस्पताल स्थित सिविल सर्जन कार्यालय पहुंचकर जमकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के बाद आशा कर्मी धरना पर बैठ गये।

मौके पर सभा का आयोजन किया गया। सभा की अध्यक्षता कल्पना सिन्हा ने की। सभा को पुनम कुमारी, रेखा कुमारी, अंजू कुमारी, अनीता कुमारी, बबीता देवी, संगम कुमारी, उषा कुमारी, प्रमिला कुमारी, प्रितिबाला कुमारी, पुष्पा कुमारी, राज कुमारी, शांति देवी, शोभा कुमारी, रेणु कुमारी, अर्चना झा, आदि।

पुनम देवी, बबीता देवी, बेबी कुमारी, प्रभा कुमारी समेत भाकपा माले के सुरेंद्र प्रसाद सिंह, स्कीम वर्कर के जिला प्रभारी महेश कुमार, कमल सिन्हा, नीलम शर्मा, राम कुमारी देवी, कुमारी शशिकला, राधा कुमारी, महासंघ गोपगुट के अजय कुमार समेत अन्य दर्जनों आशा कार्यकर्ताओं ने संबोधित किया।

सिविल सर्जन के पहल पर 5 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल डीएमओ सह एसीएमओ डॉ विजय कुमार से मिलकर 9 सूत्री स्मार-पत्र सौंपकर मांगों को यथाशीघ्र पूरा करने अन्यथा 12 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल करने की घोषणा की गई।

इस अवसर पर महासंघ गोपगुट के नेता अजय कुमार ने कहा कि राज्य के ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा की बुनियाद के रुप में आशा कार्यकर्ता एवं फैसिलिटेटर की सेवा के बदौलत सरकारी संस्थागत प्रसव एवं जन्म- मृत्यु दर में उल्लेखनीय स्तर पर उपलब्धि हासिल हुई है। मातृ- शिशु मृत्यु दर में भी राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धि हासिल हुई है।

टीकाकरण कार्य से लेकर समय- समय पर सरकार द्वारा सौपें गये अन्य कार्यों को आशा कार्यकर्ता सफलतापूर्वक अंजाम देती रही हैं। यहाँ तक कि कोरोना महामारी के दौरान अपनी जान जोखिम में डालकर महामारी संबंधी विभिन्न निरोधात्मक कार्यक्रम को भी मुस्तैदी व लगन के साथ आशाओं ने पूरा किया।

विश्व स्वास्थ्य संगठन से लेकर पटना उच्च न्यायालय तक ने भी आशाओं के कार्यों की प्रशंसा की है। बावजूद इसके सरकार आशा कार्यकर्ताओं को दोयम दर्जे के कर्मी का दर्जा दे रखा है। आशाओं की समस्याओं ने सरकार को कोई लेना- देना नहीं है।

उन्होंने कहा कि संघ द्वारा डेलीगेट, स्मार- पत्र, धरना-प्रदर्शन जैसे सांकेतिक आंदोलनों के माध्यम से सरकार का ध्यानाकृष्ट कराने की कोशिश की गई, लेकिन दु:ख की बात है कि अभी तक सरकार एवं राज्य स्वास्थ्य समिति मांगों की पूर्ति एवं समस्याओं के समाधान का कोई निर्णय नहीं ली।

अंततः बाध्य होकर आशा सयुक्त संघर्ष मंच के अह्वान पर 12 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू किया जाएगा। जिसकी सारी जबाबदेही सरकार पर होगी। अंत में आगामी 12 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल को बड़ी भागीदारी से सफल बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया।

 

 91 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *