पंचायतों का कार्यकाल नहीं बढ़ाने का निर्णय आत्मघाती साबित होगा-माले

नीतीश कुमार केंद्र सरकार की तरह राज्य में तानाशाही चला रहे हैं-प्रो. उमेश

कार्यकाल बढ़ाने का नियम नहीं था तो सरकार अध्यादेश ला सकती थी-सुरेन्द्र
एस.पी.सक्सेना/समस्तीपुर (बिहार)। भाकपा-माले नेता (Bhakpa Male Leader) व् समस्तीपुर जिला सचिव प्रो उमेश कुमार ने पंचायतों को भंग किए जाने के सरकार के निर्णय की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि बिहार की जनता की मांग को भाजपा- जदयू की बिहार सरकार ने अनसुना कर दिया है। नीतीश कुमार केंद्र सरकार की तरह राज्य में तानाशाही चला रहे हैं। जनप्रतिनिधियों की भूमिका को कम करना इस भयावह दौर में आत्मघाती साबित होगा।
उन्होंने कहा कि कोविड के प्रति जागरूरकता अभियान में पंचायत प्रतिनिधियों के अनुभव का बेहतर इस्तेमाल हो सकता था। सरकार ने इस पर तनिक भी ध्यान नहीं दिया। यदि पंचायतों के कार्यकाल बढ़ाने का कोई नियम नहीं था तो क्या सरकार अध्यादेश नहीं ला सकती थी? दरअसल, सरकार की मंशा ही कुछ और थी। सरकार के इस अलोकतांत्रिक निर्णय के खिलाफ भाकपा माले एक बार फिर अपने राज्यव्यापी विरोध दिवस के तहत 3 जून को पूरे जिले में प्रतिवाद कार्यक्रम करेगी।
इस आशय का प्रेस विज्ञप्ति जारी कर 2 जून को भाकपा माले जिला स्थाई समिति सदस्य सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने जानकारी देते हुए पंचायत प्रतिनिधियों से भी लाकडाउन का पालन करते हुए अपने- अपने घरों में धरना- प्रदर्शन कर इसे सोशल साइट्स पर अपडेट कर सरकार तक आवाज पहुंचाने की अपील की है।

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