ग्रामीण क्षेत्रों में हाथियों द्वारा ग्रामीणों की मौत दुखदायी-विजय शंकर नायक

एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में हाथियों द्वारा ग्रामीणों को कुचलकर मारने की घटना एवं खेतों में लगे फसलों को रौंद कर फसल बर्बादी को रोकने के लिए संपूर्ण भारत क्रांति पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सह प्रभारी झारखंड व् छत्तीसगढ़ विजय शंकर नायक ने दुःख जताया है। नायक ने 26 फरवरी को प्रधान मुख्यमंत्री संरक्षक वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग झारखंड सरकार एवं प्रधान मुख्यमंत्री एवं मुख्य वन्यप्राणी प्रतिपालक झारखंड रांची को पत्र प्रेषित किया है।

उपरोक्त बातें 26 फरवरी को संपूर्ण भारत क्रांति पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सह प्रभारी झारखंड, छत्तीसगढ विजय शंकर नायक ने कही। उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि हाथियों द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में मानव हाथी टकराव की घटना में बेतहाशा वृद्धि देखी जा रही है, जिससे ग्रामीण क्षेत्र में व्यापक रूप से ग्रामीणों में दहशत व्याप्त है। उन्होंने कहा कि आए दिन झारखंड राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में हाथियों के द्वारा ग्रामीणों को कुचलकर मारने एवं फसल बर्बाद करने का समाचार प्राप्त हो रहा है।

नायक ने कहा कि राज्य के निर्माण से अभी तक जितना राज्य में नक्सली मुठभेड़ में मौत नहीं हुई है, उससे ज्यादा हाथियों के कुचलने से राज्य में ग्रामीणों की मौत हुई है। यह काफी चिंताजनक विषय है। ग्रामीणों के मौत के बाद ऐसी शिकायतें काफी प्राप्त हो रही है कि राज्य सरकार द्वारा निर्धारित मुआवजा राशि का भी भुगतान सही समय से नहीं किया जा रहा है।

ना ही हाथी से बचाव के लिए टॉर्च, पटाखे, मिर्च एवं मसाला बनाने की सामग्री भी सही रूप से वितरण नहीं किया जा रहा है। कहा कि हाथियों से बचाव एवं भगाने के लिए वन विभाग के द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम भी युद्ध स्तर पर नहीं चलाया जा रहा है जो जांच का विषय है।

नायक ने कहा कि संपूर्ण भारत क्रांति पार्टी प्रधान मुख्य संरक्षक वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग झारखंड सरकार रांची एवं प्रधान मुख्य वन प्राणी प्रतिपालक से ग्रामीण हित में यह मांग किया गया है कि विभिन्न बिंदुओं पर विचार करें और ठोस पहल करें, ताकि मानव और हाथियों के टकराव को रोका जा सके।

उन्होंने इसके लिए 6 सूत्री मांग की है। जिसमें हाथियों से बचाव एवं भगाने के लिए वन विभाग द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम को युद्ध स्तर पर सभी संबंधित प्रभावित जिलों में चलाने, हाथी के कुचलने से हुई मौत से प्रभावित परिवारों को स्वरोजगार से जोड़ने की पहल हो और 24 घंटे के अंदर सरकार द्वारा निर्धारित मुआवजा राशि का अविलंब भुगतान किया जाए।

हाथी प्रभावित क्षेत्रों में युद्ध स्तर पर जन जागरण जागरूकता अभियान चलाया जाए। झारखंड के जंगलों में हाथियों के मूवमेंट की हाईटेक मॉनिटरिंग के लिए एआई आधारित झारखंड एलीफेंट ट्रैकिंग एंड अलर्ट ऐप को विकसित किया जाए। प्रभावित जिलों में हाथी मित्र दल का गठन मजबूती से किया जाए।

साथ ही वन प्रबंधन सूचना प्रणाली (एफएमआईएस) और वन्य जीव विंग द्वारा संयुक्त रूप से एक ऐप बनाकर विकसित किया जाए ताकि हाथियों की उपस्थिति की जानकारी को सही समय पर ग्रामीणों को दी जा सके। हाथियों के उत्पात को रोकने के लिए विशेष कार्य योजना बनाई जाए।

साथ ही विभिन्न जिलों में हाथियों के उत्पात को रोकने के लिए जंगलों में बंबू योजना की तरह कंजर्वेशन प्लांट बांस के जंगल बनाने का कार्य किया जाए, जिससे हाथी अपने पसंदीदा भोजन खाने में ही उलझे रहे और किसानों के खेतों की ओर रुख ना कर सके।

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