स्विच ऑन फाउंडेशन द्वारा जागरूकता को लेकर निकाली गयी साइकिल रैली

एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। वैश्विक स्तर पर देश के 300 से अधिक शहरों में दस हजार से अधिक पर्यावरण प्रेमी दुनिया भर में जलवायु कार्रवाई के लिए एक आवाज के रूप में मूव फॉर अर्थ वैश्विक साइकिल सवारी के लिए आगे आए। गैर सरकारी संगठन स्विच ऑन फाउंडेशन ने इसके लिए कई विशेषज्ञों को इकठ्ठा किया।

प्रमुख राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के सहयोग से 27 अगस्त को वैश्विक साइक्लिंग अभियान का आयोजन किया। वैश्विक लीडरो से स्वच्छ और टिकाऊ भविष्य के लिए तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया।

स्विच ऑन फाउंडेशन द्वारा 27 अगस्त को झारखंड की राजधानी रांची में साइकिल रैली का आयोजन किया गया। जिसमें सैकड़ो युवा ने इस वैश्विक साइकिल सवारी में सक्रिय रूप से भाग लिया। इस अवसर पर स्विच ऑन की सहयोगी के तौर पर मंथन युवा संस्थान, प्रयास सोसाइटी, संडे समर्पण, नारी शक्ति सेना, सहिया जैसे पर्यावरण प्रेमी संस्थाओ ने सामूहिक जलवायु अभियान की सवारी में भाग लिया।

बताया गया कि इस वैश्विक अभियान में वरिष्ठ अधिवक्ता, भारत का सर्वोच्च न्यायालय न्यायमूर्ति अंजना प्रकाश, संस्थापक, एनर्जी स्वराज फाउंडेशन प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी, पर्यावरणविद वंदना शिवा, विशेष सलाहकार, हरित अर्थव्यवस्था गठबंधन दक्षिण अफ्रीका कुमी नायडू, संस्थापक अध्यक्ष महात्मा गांधी फाउंडेशन तुषार गांधी, इको जस्टिस लीड, दक्षिणी अफ़्रीकी आस्था समुदाय पर्यावरण संस्थान (एसएएफसीईआई) लिज़िवे मैकडैड, फोटो जर्नलिस्ट व् संस्थापक रघु राय फाउंडेशन तथा संसद सदस्य सह विदेश मामलों के संसदीय समिति अध्यक्ष शशि थरूर खासतौर पर रुची ले रहे हैं।

बताया गया कि, विशेषज्ञों और 300 से अधिक संगठनों के बीच पत्र राज्य के मुख्यमंत्रियों, प्रधान मंत्री और सभी जी20 देशों के नेताओं को भेजे गए हैं। यह खुला पत्र कार्रवाई के आह्वान, एक समुदाय के रूप में एकजुट होने और आगे आने वाली चुनौतियों से निपटने के निमंत्रण के रूप में कार्य करता है।

इस अवसर पर स्विचऑन फाउंडेशन के प्रबंध निदेशक विनय जाजू ने कहा कि जलवायु परिवर्तन वास्तविक परिणामों वाला एक वैश्विक संकट है। आँकड़े चिंताजनक हैं और हम पहले से ही कमजोर समुदायों पर इसका प्रभाव देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारा खुला पत्र इसी समस्या की गंभीरता को रेखांकित करता है। इसके संबंध में समाधान सुझाता है। कहा कि मूव फॉर अर्थ समुदाय इस बदलाव का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है।

आज हम सभी का एक साथ आना इस उद्देश्य के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हम साथ मिलकर सभी के लिए बेहतर और उज्जवल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेंगे। उन्होंने बताया कि ब्लूमबर्ग के एक अध्ययन के अनुसार जलवायु परिवर्तन दुनिया भर में 50 लाख मौतों से जुड़ा है, जिनमें से लगभग 10 प्रतिशत अत्यधिक गर्मी सहित अत्यधिक मौसम से जुड़े हैं।

इसी तरह आईपीसीसी का छठा आकलन भविष्य में अंधकारमय जलवायु की भविष्यवाणी करता है। जब तक कि समय पर सुधारात्मक उपाय लागू नहीं किए जाते। आकलन का अनुमान है कि 2021 से 2040 तक सभी परिदृश्यों में ग्लोबल वार्मिंग बढ़ती रहेगी और बहुत कम जीएचजी उत्सर्जन परिदृश्य में तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने की संभावना है।

जाजू ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र के अनुसार आर्कटिक पृथ्वी पर किसी भी अन्य स्थान की तुलना में 2-3 गुना तेजी से गर्म हो रहा है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने कहा कि वैश्विक औसत समुद्र स्तर 2021 में एक नई रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया, जो 2013 से 2021 तक प्रति वर्ष औसतन 4.5 मिलीमीटर बढ़ गया।

जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव जैसे अनियमित और बेमौसम बारिश, सूखा, अत्यधिक गर्मी और बाढ़ ने गरीब देशों की जल, ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा को चुनौती देना शुरू कर दिया है। विश्व की बढ़ती जनसंख्या के साथ, यह वैश्विक गरीबी और भूख को बढ़ाएगा, जिससे महिलाएं और बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होंगे।

कहा कि यह भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के मिशन लाइफ के अनुरूप है। मिशन लाइफ सभी राज्यों में हो रही इस पहल का समर्थन कर रहा है। उत्सर्जन कम करने की भारत की प्रतिबद्धता से प्रेरणा लेते हुए मूव फॉर अर्थ ग्लोबल साइकिल राइड तत्काल जलवायु एक्शन का आग्रह करता है।

निदेशक जाजू के अनुसार जलवायु परिवर्तन वास्तविक है। इसके हानिकारक प्रभाव पड़ रहे हैं। एक स्थायी भविष्य के लिए, हमें इस उद्देश्य के लिए लड़ने के लिए सामूहिक कार्रवाई करने की आवश्यकता है।

जी20 नेताओं को लिखे खुले पत्र की कुछ प्रमुख अपील विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा, टिकाऊ और हरित गतिशीलता को बढ़ावा देने पर प्रकाश डालती हैं। यह टिकाऊ कृषि, विकास सहायता, ऋण राहत और सहायता के बारे में बात करता है। खुला पत्र लैंगिक समावेश को बढ़ावा देने और मुख्यधारा में लाने, स्वदेशी समुदायों की सुरक्षा और नागरिक समाज की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।

इस पहल का समर्थन करते हुए न्यायमूर्ति अंजना प्रकाश ने कहा कि न्याय के संरक्षक के रूप में, यह पहचानना हमारा कर्तव्य है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव न केवल पर्यावरणीय हैं, बल्कि गहराई से कानूनी और सामाजिक भी हैं।

यद्यपि जलवायु परिवर्तन में योगदान देने वाली मानवीय गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए पर्यावरणीय नियमों, अंतर्राष्ट्रीय समझौतों और कानूनी ढांचे के माध्यम से बहुत कुछ नया रूप दिया गया है, फिर भी हमें अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि मैं जलवायु कार्रवाई के लिए मूव फॉर अर्थ ग्लोबल साइकिल राइड का समर्थन करता हूं। हमें याद रखना चाहिए कि आज हम जो निर्णय लेते हैं वह समय के साथ प्रतिध्वनित होता है, जिससे उस दुनिया को आकार मिलता है। जिसकी हम अपने बच्चों और पोते-पोतियों के लिए कल्पना करते हैं।

महात्मा गांधी फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष तुषार गांधी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन दूसरों की तुलना में हाशिये पर रहने वाले समुदायों को अधिक प्रभावित करता है। एक सामाजिक-पर्यावरणीय चेतना वाले व्यक्ति के रूप में, मुझे यह समझ में आया है कि जिस तरह शब्दों में मन को आकार देने की शक्ति होती है, उसी तरह शब्दों में भी मन को आकार देने की शक्ति होती है।

कार्यों में हमारी दुनिया को आकार देने की शक्ति है। मेरा मानना है कि बदलाव की वकालत केवल पन्नों तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि हमारे अस्तित्व के मूल ताने-बाने तक फैलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वैश्विक साइकिल सवारी पहल केवल एक यात्रा नही, यह पृथ्वी पर धीरे-धीरे चलने के हमारे कर्तव्य की अभिव्यक्ति है।

यह परिवर्तन के उन कदमों की प्रतिध्वनि है। जिसकी हमारे पूर्वजों ने एक बार वकालत की थी। मुझे उम्मीद है कि हम सभी के विकास के लिए न्यायसंगत दुनिया बनाने के अपने सामूहिक कर्तव्य को स्वीकार कर सकते हैं।

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